नई दिल्ली : भारतीय सेना ने म्यांमार सीमा पर मौजूद आतंकियों के ठिकाने ध्वस्त किए हैं। जिस समय देश और दुनिया का ध्यान पुलवामा आतंकी हमला और उसके जवाब में भारतीय वायुसेना की पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मुहम्मद के ठिकानों पर किए गए हवाई हमले पर टिका है उसी समय भारतीय सेना ने पूर्वी सीमा पर भी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई कर अपने अदम्य साहस का परिचय दिया है। बालाकोट में हुई कार्रवाई के बाद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह एक रैली में कह चुके हैं कि तीन सर्जिकल स्ट्राइक हुए हैं। उन्होंने कहा था कि तीसरा कौन है यह वह नहीं बताएंगे।
भारतीय सेना ने म्यांमार की सेना के साथ मिलकर आतंकी ठिकानों के खिलाफ अभियान को अंजाम दिया है। दोनों देशों की सेनाओं ने 17 फरवरी से दो मार्च के बीच पूर्वोत्तर के लिए महत्वपूर्ण मेगा बुनियादी ढांचा परियोजना के लिए खतरा बन रहे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की। परियोजनाओं को म्यांमार में सक्रिय उग्रवादी समूह से खतरा था।
म्यांमार का विद्रोही समूह अराकान आर्मी ने मिजोरम सीमा पर नए ठिकाने बनाए थे। यह संगठन कलादान परियोजना को निशाना बना रहा था। अराकान आर्मी को काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी द्वारा नॉर्थ बॉर्डर चीन तक ट्रेनिंग दी गई थी। सूत्रों के अनुसार, विद्रोहियों ने अरुणाचल से सटे क्षेत्रों से मिजोरम सीमा तक की 1000 किमी की यात्रा की।
पहले चरण में मिजोरम सीमा पर नवनिर्मित शिविरों को ध्वस्त करने के लिए बड़े पैमाने पर संयुक्त अभियान शुरू किया गया था, जबकि ऑपरेशन के दूसरे भाग में टागा में एनएससीएन (के) के मुख्यालय को निशाना बनाया गया और कई शिविरों को नष्ट कर दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि रोहिंग्या आतंकी समूह अराकान आर्मी और नागा आतंकी समूह एनएससीएन (के) के खिलाफ दो सप्ताह लंबा संयुक्त भारत-म्यांमार अभियान चला। आतंकी समूहों ने कलादान मल्टी मॉडल प्रोजेक्ट की तरह भारत की कनेक्टिविटी परियोजनाओं के खिलाफ हमले की योजना बनाई थी।