मिशन क्लीन सिटी से केवल शहर ही नहीं संवर रहा बल्कि महिलाओं की जिन्दगी भी संवर रही है। दो साल से महासमुंद नगर पालिका क्षेत्र में मिशन क्लीन सिटी का काम जारी है। यहां 94 से अधिक महिलाओं को रोजगार मिला है। महिलाएं हर सुबह अपने निर्धारित गणवेश नीली साड़ी में घर से निकलती हैं। रिक्शा पकड़ती हैं और मोहल्ले में घर घर संपर्क कर कचरा लाती हैं।
कचरा मणिकंचन केंद्र में एकत्र होता है। यहां यही महिलाएं गिला और सूखा कचरा की छटाई करती हैं। फिर गीले कचरे का उपयोग खाद बनाने में करती हैं। महिलाओं की मेहनत से केंद्र में सरसों, लहसुन, टमाटर, कुम्हड़ा, मेथी की फसल लहलहा रही है।
साथ ही जैविक खाद की बिक्री भी हो रही है। लोग अपने घर गमलों में पौधों के लिए 5 स्र्पये प्रति किलो की दर से जैविक खाद की घर पहुंच सेवा का लाभ ले रहे हैं। इससे शहर साफ हो रहा है, महिलाओं को रोजगार मिल रहा है और जीवन स्तर संवर रहा है।
केंद्र प्रभारी रमा महानन्द बताती हैं कि 94 महिलाएं इस कार्य में जुड़ी हैं। प्रत्येक को 5 हजार रूपये मासिक वेतन मिलता है। केंद्र में उगाई जा रही फसल फिलहाल व्यावसायिक स्तर पर बेचने लायक नही हुआ है। बावजूद जैविक खाद से निर्मित होने के कारण कुछ लोग यहां तक सब्जी खरीदने पहुँचते हैं।
पति के गुजरने के बाद अब मिली आर्थिक स्थिरता
जमुना यादव बतातीं हैं कि 9 साल पहले पति गुजर गए। बाद तीन बधाों की परवरिश के लिए उन्हें रेजा मजदूरी करनी पड़ी। मजदूरी पर्याप्त नहीं थी, आर्थिक अस्थिरता थी, जीवन कठिन दौर से गुजरा। अब दो साल से जमुना सफाई मित्र है। 5 हजार फिक्स वेतन है। परिवार का गुजर बसर बेहतर हो रहा है। जिंदगी की गाड़ी बेहतर चल रही है। आर्थिक स्थिरता है।