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छत्तीसगढ़ : विरोध में फंसा आयुष्मान, राज्य में 30 फीसद ही निजी अस्पतालों में हो पाया इलाज

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केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना अगस्त 2019 के बाद छत्तीसगढ़ से बाहर हो जाएगी। यह राज्य की भूपेश सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है। इसकी जगह यूनिवर्सल हेल्थ केयर (यूएचसी) लांच करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। मुख्यमंत्री बघेल विधानसभा सदन के बजट सत्र में इसकी घोषणा कर चुके हैं। 300 करोड़ रुपये की भारी-भरकम बजट वाली योजना के अंतर्गत सभी वर्ग, सभी समुदाय और हर व्यक्ति तक कवरेज होगा। इसे ‘थाईलैंड फॉर्मूला’ कहा जा रहा है। दूसरी तरफ आयुष्मान भारत पर विवाद जस का तस बना हुआ है। 16 सितंबर 2018 को पीएम नरेंद्र मोदी ने योजना लांच की थी, जिसके बाद से राज्य के निजी अस्पताल संचालक इंडियन मेडिकल एसो. के बैनर तले विरोध कर रहे हैं। यह जारी भी है। हालांकि नेत्र रोग विशेषज्ञों (ऑफ्थेलमोलॉजिस्ट) ने योजना के तहत अनुबंध कर काम शुरू कर दिया है। डेंटिस्ट भी सेवाएं दे रहे हैं।

आयुष्मान का विरोध सिर्फ इसलिए है क्योंकि निजी अस्पताल संचालकों का पुरानी स्वास्थ्य योजना के तहत किए गए क्लेम के 60 करोड़ रुपये अब तक जारी नहीं किए गए हैं। आयुष्मान का सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि योजना में बीमारियों के इलाज का पैकेज पूर्व की योजनाओं से भी कम है। इस महाभारत का अंत कब होगा यह कह पाना संभव नहीं, लेकिन अब सरकारी अस्पतालों में भी इस योजना के तहत इलाज में परेशानियां आ रही हैं। डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के ही आयुष्मान के तहत हुए इलाज के चार करोड़ रुपये अब तक जारी नहीं हुए हैं।

राज्य में बीते 10 साल में आईं स्वास्थ्य योजनाएं-

आरएसबीवाइ- यूपीए सरकार ने 2009 में सिर्फ बीपीएल परिवारों के लिए 30 हजार रुपये सालाना पैकेज वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाइ) लांच की थी। देश की पहली स्वास्थ्य योजना थी, जिसे अच्छा रिस्पांस मिला। इसके तहत राज्य के करीब 46 लाख परिवार अनुबंधित थे, जो आयुष्मान में ट्रांफसर हो चुके हैं।

एमएसबीवाइ- केंद्र सरकार की आरएसबीआइ योजना सिर्फ बीपीएल परिवारों के लिए थी तो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एमएसबीवाइ) लांच की। इसमें एपीएल परिवारों को भी 30 हजार रुपये तक सालाना इलाज की सुविधा वाला कार्ड दिया गया। परिवार के पांच सदस्य इसमें जुड़े।

आयुष्मान- यूपीए के बाद अस्तित्व में आई केंद्र की मोदी सरकार ने 16 सितंबर 2018 को आयुष्मान भारत योजना लांच की। इसमें आरएसबीवाइ को मर्ज कर दिया गया है। लेकिन इसका कई राज्यों के साथ-साथ आइएमए ने भी विरोध किया, जो अनवरत जारी है।

अब भूपेश सरकार ने लिया है यूनिवर्सल हेल्थ केयर का फैसला-

राज्य में सरकार बदली और सत्ता में लौटी कांग्रेस यूनिवर्सल हेल्थ केयर (यूएचसी) लाने जा रही है। स्थिति अभी बहुत स्पष्ट नहीं है। यह हर व्यक्ति तक पहुंचेगी, सभी कार्ड खत्म हो जाएंगे और हर मरीज को सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज मुहैया करवाने की बात कही गई है।

10 जिलों से होगी शुरुआत-

यूएचसी लांच करने के लिए भूपेश सरकार के पास सिर्फ पांच महीने का समय है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पूर्व में ही कहा था कि शुरुआत 10 जिलों से होगी। विभागीय के अफसर इसी दिशा में काम कर रहे हैं। यह भी बता दें कि अगर तैयारी पूरी हो जाती है तो योजना सभी जिलों में एक साथ भी लांच की जा सकती है।

आइएमए के जितने भी सदस्य आयुष्मान के तहत काम कर रहे हैं वे अपने रिस्क पर काम रहे हैं। हमारे पहले से ही स्टैंड है और क्लियर कट है कि जब तक पूर्व की योजना का भुगतान नहीं हो जाता तब तक काम नहीं करेंगे। काफी सदस्य नहीं भी कर रहे हैं। अब देखते हैं कि चुनाव के बाद सरकार का क्या स्टैंड होता है।

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