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अयोध्या विवाद में मध्यस्थता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

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नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट बुधवार को अहम फैसला सुनाएगा। कोर्ट हिंदू-मुस्लिम पक्षों के बीच आपसी सहमति से मध्यस्थता के जरिए विवाद सुलझाने पर फैसला देगा। कोर्ट तय करेगा कि कौन दोनों पक्षों के बीच सहमति से विवाद सुलझाने में मध्यस्थता करेगा।

अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद की सुनवाई कर रही पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने गत 26 फरवरी को हिंदू-मुसलमान पक्षों के बीच मध्यस्थ के जरिए आपसी सहमति से विवाद सुलझाने का प्रस्ताव दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर बातचीत के जरिए विवाद सुलझने की एक फीसदी भी उम्मीद है तो कोशिश होनी चाहिए।

कोर्ट ने अपने प्रस्ताव पर पक्षकारों की राय पूछी थी, जिसमें मुस्लिम पक्ष व निर्मोही अखाड़ा की ओर से सहमति जताई गई थी। रामलला, महंत सुरेश दास और अखिल भारत हिंदू महासभा ने प्रस्ताव से असहमति जताते हुए कोर्ट से ही जल्द फैसला सुनाने का आग्रह किया था। उनका तर्क था कि इस प्रकार के प्रयास पूर्व में भी हो चुके हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

इस पर संविधान पीठ का कहना था कि उस समय प्रस्ताव कोर्ट की ओर से नहीं आया होगा। दोनों पक्षों की राय सुनने के बाद कोर्ट ने मध्यस्थ पर फैसला छह मार्च तक के लिए टाल दिया था। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह संकेत भी दे दिया था कि मध्यस्थता के नाम पर मामला अनिश्चित काल के लिए नहीं टलेगा।

कोर्ट ने कहा था कि आठ सप्ताह में जब तक पक्षकार मामले से जुड़े दस्तावेजों का अनुवाद जांचेंगे, तब तक मध्यस्थता के जरिये विवाद हल करने की एक कोशिश की जाए। कोर्ट उसके बाद लंबित अपीलों पर सुनवाई करेगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में अयोध्या में राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था।

हाई कोर्ट के इस फैसले को रामलला सहित सभी 14 पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति के आदेश दिए थे। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ कर रही है।

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