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फारूक ने मानी पहलगाम हमले में लोकल सपोर्ट की बात:बोले- आतंकी वहां कैसे आए; महबूबा बोलीं- ये बयान कश्मीरियों के लिए खतरा बनेगा

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जम्मू-कश्मीर – पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘पहलगाम आतंकी हमला लोकल सपोर्ट के बिना नहीं हो सकता। क्योंकि आतंकवादी वहां कैसे आए, ये सवाल आज भी बना हुआ है। किसी लोकल ने उनकी मदद तो जरूर की है।

अब्दुल्ला के इस बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा कि फारूक अब्दुल्ला का ऐसा बयान देश के बाकी हिस्सों में रह रहे कश्मीरी लोगों के लिए खतरा बन सकता है।

उन्होंने कहा- इससे कुछ मीडिया चैनलों को कश्मीरियों और मुस्लिमों को बदनाम करने का मौका मिल जाएगा।

दरअसल, पहलगाम की बायसरन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था। इसमें 26 पर्यटकों की जान चली गई थी।

सवाल: आपने कहा कि लोकल सपोर्ट के बिना पहलगाम हमला नहीं हो सकता। इससे महबूबा मुफ्ती ने इनकार किया है।

जवाब: महबूबा की हर बात का जवाब मैं नहीं दूंगा। क्योंकि उन्हें भी पता होना चाहिए कि कश्मीर में बाहरी राज्य से आए लोगों को निशाना बनाया जाता है। हमारे पंडित भाइयों को यहां से भगाया गया। ऐसा करने वाले कौन थे?

अब्दुल्ला ने कहा;-महबूबा आतंकवादियों के घर जाया करती थीं। उन्हें इस पर जवाब देना चाहिए।

सवाल: हमले में मारे गए 26 लोगों के परिवार से और 130 करोड़ भारतीयों से आप क्या कहना चाहेंगे?

जवाब: शहीद हुए पर्यटकों के परिवारों से कहूंगा कि हम भी उतना रोए हैं जितना आप रोए हैं। हमें भी नींद नहीं आई सोचकर की ऐसे दरिंदे आज भी मौजूद हैं, जो इंसानियत का कत्ल करते हैं। इस हमले का बदला जरूर लिया जाएगा। आतंकवादी समझते हैं कि पहलगाम हमले से वे जीत जाएंगे लेकिन वे कभी नहीं जीतेंगे।

हम कभी टेरिज्म के साथ नहीं रहे। हम कभी पाकिस्तान के नहीं थे और न होंगे। हम भारत का अटूट अंग हैं। हम भारत का मुकुट हैं।सवाल: भारत की तरफ से होने वाली कार्रवाई पर आप क्या कहेंगे?

जवाब: यह प्रधानमंत्री का अधिकार है, मैं कुछ नहीं बोलूंगा। लेकिन पाकिस्तान के नेता जिस तरह से बयान दे रहे हैं। ऐसे में मामला तो नहीं सुलझेगा।

मैंने कहा था, मौलाना अजहर को मत छोड़िए; सिंधु जल संधि की समीक्षा हो

फारूक अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले को सुरक्षा में चूक बताया। उन्होंने कहा, ‘1999 में जब भारत ने मौलाना मसूद अजहर को छोड़ा था, तब मैंने कहा था कि मत छोड़िए, लेकिन किसी ने मेरी बात मानी नहीं। अजहर कश्मीर को जानता है। उसने अपने रास्ते बना रखे हैं और क्या पता पहलगाम हमले में उसका हाथ भी होगा।
फारूक अब्दुल्ला ने सिंधु जल संधि की समीक्षा की मांग भी की। उन्होंने कहा कि पानी हमारा है, तो इस्तेमाल का हक भी हमारा होना चाहिए। जम्मू में पानी की कमी पर चिनाब से जल लाने की योजना बनाई थी, लेकिन वर्ल्ड बैंक ने सहयोग नहीं किया। अब दोबारा काम शुरू होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि भारत गांधी का देश है। हमने पाकिस्तान को धमकी दी है कि हम उनका पानी रोक देंगे, लेकिन हम उन्हें मारेंगे नहीं। हम उनके जैसे क्रूर नहीं हैं।

फारूक ने आदिल के परिवार से मुलाकात की फारूक अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले में मारे गए आदिल हुसैन के घर गए और परिवार से मुलाकात कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि आदिल शहीद हुए हैं। वो आतंकियों से डरकर भागे नहीं, बल्कि डटकर मुकाबला किया। यही तो इंसानियत और कश्मीरियत है।

दरअसल, आदिल पोनी राइड ऑपरेटर के तौर पर काम कर रहे थे। पहलगाम आतंकी हमले में जिन 26 लोगों की मौत हुई थी, उनमें आदिल भी शामिल था। आदिल को छोड़कर सभी पर्यटक थे।

अब्दुल्ला के पिछले 2 बड़े बयान…

1 मई: पाकिस्तान दुश्मनी चाहता है तो हम तैयार हैं। हम लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरा समर्थन देने की बात कही है, इसके बाद हमारे साथ कोई सवाल नहीं होना चाहिए। पीएम मोदी जो करना चाहें, वो करें। हमारे पास भी न्यूक्लियर पावर है। हमारी पॉलिसी है कि हम पहला हमला नहीं करेंगे, लेकिन कोई हम पर हमला करता है तो उसका जवाब हम जरूर देंगे।

28 अप्रैल: मैं हमेशा पाकिस्तान से बातचीत के पक्ष में रहा, लेकिन उन लोगों को क्या जवाब देंगे जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया? क्या हम न्याय कर रहे हैं? आज देश चाहता है कि ऐसी कार्रवाई हो ताकि इस तरह के हमले कभी न हों।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पहलगाम अटैक में मारे गए पर्यटकों को श्रद्धांजलि दी गई। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा- मेजबान होने के नाते मैं सुरक्षा के लिए जिम्मेदार था। इन लोगों के परिजन से मैं कैसे माफी मांगू। मेरे पास कोई शब्द नहीं है।

उमर ने कहा- जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा लोगों की चुनी हुई हुकूमत की जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन CM और टूरिज्म मिनिस्टर होने के नाते मैंने इन्हें बुलाया था। मेजबान होने के नाते मेरी जिम्मेदारी थी कि इन्हें सुरक्षित भेंजू, नहीं भेज पाया।

उमर ने कहा- उन बच्चों से क्या कहता, जिन्होंने अपने वालिद को खून में लिपटा हुआ देखा। उस नेवी अफसर की विधवा को क्या कहूं, जिन्हें शादी किए हुए ही चंद दिन हुए थे। कुछ लोगों ने पूछा कि क्या कसूर था हमारा। हम पहली बार कश्मीर आए थे छुट्टी मनाने के लिए। इस छुट%8