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राजधानी में होगा 200 कुण्डीय धर्म रक्षा महायज्ञ एवं दो दिवसीय सनातन संस्कृति महासम्मेलन… 19 व 20 अप्रैल को आयोजन

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रायपुर – छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के तत्वावधान में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती एवं आर्य समाज के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर होगा 200 कुण्डीय धर्म रक्षा महायज्ञ एवं दो दिवसीय सनातन संस्कृति महासम्मेलन होने जा रहा है। 19 एवं 20 अप्रैल को पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम रायपुर में यह कार्यक्रम होगा। कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया कि इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपनी सहमति प्रदान की है। गुजरात के राज्यपाल महामहिम आचार्य देवव्रत इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शामिल होंगे। सुरेन्द्र कुमार आर्य अध्यक्ष, ज्ञान ज्योति पर्व के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, दीनदयाल गुप्त, कै. रुद्रसेन सिंधु, विनय आर्य दिल्ली कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे।

योग आयोग के अध्यक्ष और इस कार्यक्रम के संयोजक रूपनारायण सिन्हा ने बताया- महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती विगत शताब्दी के समग्र क्रांति के अग्रदूत,प्रखर वक्ता, समतामंत्र के दाता, नारी जाति के उद्धारक, विचारक एवं हिंदू समाज के महान् समाज सुधारक थे। उन्होंने डेढ़ सौ वर्ष पहले हिंदू समाज की एकता के लिए अथक प्रयत्न किया। वर्तमान समय में इस कार्यक्रम को आयोजित करने का महान् उद्देश्य है सभी वर्ग, संप्रदाय व जाति से ऊपर उठकर, छुआछूत, ऊंच- नीच के भेदभाव को भुलाकर समस्त मानव जाति को समरसता का संदेश पहुंचाना है। इसी कड़ी में सनातन संस्कृति महासम्मेलन के माध्यम से  विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयत्न कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान रामकुमार पटेल ने बताया वर्तमान समय में आर्य समाज की 99 मान्यता प्राप्त शाखाएं एवं संस्थाएं छत्तीसगढ़ में कार्य कर रही हैं। इस सम्मेलन में सभी संस्थाएं सहभागिता के साथ धर्म संस्कृति और समाज को दिशा देने के लिए कार्य करेंगी। महर्षि दयानंद सरस्वती ने “वेदों की ओर लौटो” यह नारा दिया था। ज्ञान-विज्ञान, भारतीय समाज और संस्कृति के मूल आधार वेद ही हैं। उन्होंने वेद को सत्य विद्याओं का पुस्तक प्रतिपादित किया है । आर्य समाज संपूर्ण समाज को अंधविश्वास और पाखंड से दूर हटाकर  सत्य-सनातन वैदिक धर्म को पालन करने का संदेश दे रहा है।

छत्तीसगढ़ प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री अवनि भूषण पुरंग ने बताया महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने आज से 175 वर्ष पहले हिंदू समाज को एक करने का प्रयत्न आरंभ किया था। डेढ़ सौ साल पहले आर्य समाज की स्थापना करते हुए उन्होंने हिंदू समाज को जाति-पाति से ऊपर उठकर एक धर्म संस्कृति और परंपरा को अनुसरण करने का संदेश दिया था। स्वामी दयानंद मानते थे कि कोई भी व्यक्ति जन्म से नहीं अपितु कर्म से महान बनते हैं। समरसता के माध्यम से आर्य समाज वर्तमान समय में गली-गली बस्ती-बस्ती में जाकर  यज्ञ करके स्वामी दयानंद के इसी संदेश को हिंदू समाज के बीच रख रहा है।

राजस्थान आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री जीवर्धन शास्त्री ने बताया कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने स्वराज का नारा देते हुए स्वतंत्रता के लिए तत्कालीन क्रांतिकारियों व देशभक्तों को एकजुट किया था। कांग्रेस के इतिहास में यह दर्ज है कि आजादी के आंदोलन में 80% से अधिक लोग आर्य समाज और स्वामी दयानंद की विचारधारा से प्रभावित थे। आर्य समाज ने आधुनिक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सती प्रथा का उन्मूलन, विधवा विवाह, नारी शिक्षा, पुनर्विवाह, हिंदी रक्षा आदि आर्य समाज के महत्वपूर्ण कार्य रहे हैं। लाला लाजपत राय स्वामी दयानंद के अनन्य शिष्य और भक्त थे। स्वदेशी का मंत्र देने वाले महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने स्वदेशी शिक्षा और भारत की सनातन परंपरा को विश्व पटल पर स्थापित करने का कार्य किया। आयोजकों ने बताया कि कार्यक्रम में सांसद रायपुरा बृजमोहन अग्रवाल, दुर्ग सांसद विजय बघेल, राज्य सभा, सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह, क्षेत्रिय संघ संचालक डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना, पूर्व प्रान्त संघ संचालक बिसरा राम यादव, विधायक राजेश मूणत, सुनील सोनी, मोतीलाल साहू, पुरन्दर मिश्रा, गजेन्द्र यादव, रिकेश सेन, संपत अग्रवाल, योगेश्वर राजू सिन्हा, रायपुर महापौर मीनल चौबे कार्यक्रम में अपने-अपने विचार रखेंगे।।