गरियाबंद – बता दें कि 23 जनवरी 2011 को गरियाबंद जिले के छुरा निवासी 32 वर्षीय नई दुनिया के युवा पत्रकार उमेश राजपूत को थाने से महज कुछ ही फलांग की दुरी पर रिहाइशी इलाके में उनके ही निवास पर अन्य पांच लोगों की उपस्थिति में दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।जिनका जांच चार साल तक स्थानीय पुलिस ने की लेकिन अपराधियों के नहीं पकड़े जाने के चलते परिजनों की मांग पर हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच हेतु आदेश किया था।
वहीं इस केस में सात संदेहियों का ब्रेन मैपिंग टेस्ट भी कराया गया था, जिसमें कुछ राजनीतिक पार्टियों से जुड़े प्रभावशील लोगों का नाम भी सामने आया था,और आज लगभग दस वर्षों से यह केस सीबीआई के पास लंबित है। जिसमें लगभग एक हजार पन्नों की चार्ज सीट और लगभग सौ से अधिक लोगों का बयान दर्ज किया गया है। वहीं इस बीच एक पत्रकार जो घटना के समय उमेश राजपूत के घर में उपस्थित था उसे सीबीआई ने रिमांड पर ली थी लेकिन सीबीआई के अधिकारियों की मानें तो सीबीआई कस्टडी में उन्होंने आत्महत्या कर ली थी।
इस घटना में एक बड़ा आरोप पुलिस पर भी लगा है कि इस हत्याकांड में इस घटना से जुड़े सबुत स्थानीय पुलिस थाने से भी ग़ायब है।अब आगे देखने वाली बात ये होगी कि इस घटना के आज पंद्रह साल बाद न्यायालय , क्या फैसला सुनाएगा और परिजनों को न्याय मिल पायेगा या नहीं ये आने वाले दिनों में पता चल पाएगा।