बीजिंग – अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार थमने का नाम नहीं ले रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही कई देशों पर रेसीप्रोकल टैरिफ का एलान किया हो, लेकिन चीन उनके निशाने पर है। चीन भी मानने को तैयार नहीं है।वह भी अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाता जा रहा है।
आलम ये हो गया है कि अब चीन ने अमेरिकी सामानों पर 125 फीसदी टैरिफ लगाने का एलान कर दिया है। चीन ने ये फैसला तब लिया है, जब बीते दिन डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लगाए टैरिफ में 20 फीसदी का इजाफा करते हुए उसे 145 प्रतिशत कर दिया था।
चीन ने लोगों से की अपील
अमेरिकी टैरिफ से निपटने के लिए चीन सरकार विभिन्न उपायों में जुट गई है। अमेरिकी उत्पाद पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगाने के अलावा सरकार ने वादा किया है कि वह अपने लोगों को अधिक खर्च करने के लिए प्रेरित करके निर्यात को हुए नुकसान की भरपाई करेगी।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली में प्रकाशित एक लेख में कहा गया कि चीन उपभोक्ता खर्च को आर्थिक विकास का आधार बनाएगा और एक बहुत बड़ा बाजार होने का लाभ उठाएगा। वाणिज्य मंत्रालय से संबद्ध एक संस्थान के शोधकर्ता झोउ मी ने कहा कि अर्थव्यवस्था पूरी तरह एकीकृत है और उत्पादक उपभोक्ता भी हैं। ये सभी लोग एक ही हैं।
WTO में दर्ज कराई शिकायत
- एक तरफ चीन अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ WTO में अमेरिका की शिकायत भी कर रहा है। विश्व व्यापार संगठन में चीन के मिशन ने शुक्रवार को कहा कि उसने अमेरिकी टैरिफ को लेकर व्यापार निकाय में एक अतिरिक्त शिकायत दर्ज कराई है।
- वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से चीन के मिशन के बयान में कहा गया कि ’10 अप्रैल को, संयुक्त राज्य अमेरिका ने कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसमें चीनी उत्पादों पर तथाकथित रेसीप्रोकल में और वृद्धि की घोषणा की गई। चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका के नवीनतम टैरिफ उपायों के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में शिकायत दर्ज कराई है।’