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भारत समेत 75 देशों को राहत, चीन पर 125% वाला टैरिफ बम… अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के नए ऐलान की बड़ी बातें

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नई दिल्‍ली – अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन (China) पर बड़ा आर्थिक प्रहार करते हुए उसके उत्पादों पर 125 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है.इससे पहले अमेरिका ने यह दर बढ़ाकर 104 प्रतिशत कर दी थी. इसके बाद चीन ने भी अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर शुल्क बढ़ाकर 84 प्रतिशत कर दिया. वहीं, भारत समेत 75 देशों को ट्रंप ने बड़ी राहत देते हुए ‘रिसिप्रोकल टैरिफ’ पर 90 दिनों की छूट देने की घोषणा की है. इस अवधि में इन देशों पर केवल 10 प्रतिशत शुल्क लागू रहेगा.

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दुनिया के बड़े देशों के बीच व्यापारिक तनाव चरम पर पहुंच रहा है और वैश्विक मंदी की आशंकाएं गहराने लगी हैं. ट्रंप के इस फैसले को एक तरफ जहां चीन पर दबाव बनाने की रणनीति माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर आलोचकों का कहना है कि यह कदम वैश्विक बाजारों में गिरावट और भारी आलोचना के बाद उठाया गया ‘यू-टर्न’ है.

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर कहा, “मैंने 90 दिन की PAUSE अधिकृत की है और इस दौरान अन्य देशों के लिए रेसिप्रोकल टैरिफ को घटाकर 10% कर दिया गया है, जो तुरंत प्रभाव से लागू है.”

चीन के खिलाफ ट्रंप का अब तक का सबसे बड़ा कदम
अमेरिका-चीन व्यापार तनाव के बीच ट्रंप का यह अब तक का सबसे आक्रामक कदम माना जा रहा है. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “चीन ने विश्व बाजारों के प्रति जो असम्मान दिखाया है, उसके जवाब में अमेरिका अब 125% शुल्क वसूलेगा. चीन को यह समझना होगा कि अमेरिका और अन्य देशों का शोषण अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”

इससे पहले चीन ने भी बुधवार को पलटवार करते हुए अमेरिका से आयात होने वाले उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर 84 प्रतिशत कर दिया, जो पहले 34 प्रतिशत था. चीन के विदेश मंत्रालय ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि वह अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए ठोस और मजबूत कदम उठाएगा.

भारत समेत 75 देशों को राहत
अमेरिका के इस टैरिफ अभियान में भारत समेत 75 देशों को फिलहाल राहत मिली है. इन देशों पर नई टैरिफ दरें लागू नहीं होंगी और उन्हें 90 दिनों की छूट दी गई है. इस अवधि में उन पर केवल 10% शुल्क लगेगा. अमेरिकी ट्रेजरी सचिव बेसेंट ने कहा कि जो देश अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई से बचे हैं, उन्हें इसका इनाम मिलेगा. उन्होंने बताया कि मेक्सिको और कनाडा को 10% टैरिफ स्लैब में शामिल किया गया है, जिससे उन्हें राहत मिलेगी.

बेसेंट ने कहा कि 90 दिनों का ‘पॉज़’ बाजार की प्रतिक्रिया के चलते नहीं लिया गया है. बाजार यह नहीं समझ पाया कि टैरिफ प्लान पहले से ही अपने अधिकतम स्तर पर था. यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि चीन लगातार टकराव की राह पर चल रहा था. राष्ट्रपति ट्रंप का यह फैसला दर्शाता है कि अमेरिका अब पीछे नहीं हटेगा.

किस देश पर कितना लगाया था टैरिफ
ट्रंप ने शुरुआत में कई एशियाई देशों पर 30 फीसदी से 45 फीसदी तक का टैरिफ लगाया था. इसमें भारत पर 26 फीसदी टैरिफ शामिल था. वहीं चीन पर 34 फीसदी टैरिफ लगाया गया था. इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने वियतनाम से आयातित सामान पर 46%, यूरोपीय संघ पर 20%, स्विटजरलैंड पर 31% और ताइवान पर 32% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था.

शेयर बाजार में उछाल
ट्रंप की घोषणा के बाद अमेरिकी शेयर बाजारों में जोरदार तेजी देखी गई. S&P 500 में 474.13 अंकों की बढ़त (9.52%) दर्ज हुई और यह 5,456.90 पर बंद हुआ. वहीं Nasdaq Composite में 1,857.06 अंकों की बढ़त (12.16%) हुई और यह 17,124.97 पर बंद हुआ और Dow Jones Industrial Average में 2,962.86 अंकों की उछाल (7.87%) आई और यह 40,608.45 पर बंद हुआ. इस दौरान वॉलमार्ट के शेयरों में 8% की वृद्धि हुई. बाजार विश्लेषकों ने इसे स्पष्ट नीति और संभावित समझौते की दिशा में एक कदम माना है. अमेरिकी शेयर बाजार ने ट्रंप के ऐलान के बाद केवल 10 मिनट में 4 ट्रिलियन डॉलर की रिकॉर्ड बढ़त दर्ज की, जो इस फैसले के व्यापक आर्थिक प्रभाव को दर्शाता है.

कोई और राष्ट्रपति ऐसा नहीं करता जो मैंने किया: ट्रंप
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मुझे लगा कि लोग थोड़ा हद से ज़्यादा आगे बढ़ रहे थे. कोई और राष्ट्रपति ऐसा नहीं करता जो मैंने किया. किसी को तो यह करना ही था. उन्हें इसे रोकना ही था क्योंकि यह टिकाऊ नहीं था. मुझे इसे करके गर्व महसूस हो रहा है. मैंने 90 दिनों के लिए नए टैरिफ (शुल्क) पर रोक लगाई उन देशों के लिए जिन्होंने जवाबी कार्रवाई नहीं की, क्योंकि मैंने पहले ही कह दिया था कि अगर उन्होंने जवाब दिया, तो हम उसका दुगना जवाब देंगे. और यही मैंने चीन के साथ किया क्योंकि उन्होंने जवाब दिया. अब देखते हैं आगे क्या होता है. मुझे लगता है कि इसका नतीजा बहुत अच्छा निकलेगा. मुझे लगता है कि हमारा देश एक साल के अंदर या शायद उससे पहले ऐसी स्थिति में पहुंच जाएगा जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. मैं बहुत खुश हूं कि मैंने ये किया.”

किसी दबाव में नहीं लिया फैसला: व्हाइट हाउस
ट्रंप के इस यू-टर्न जैसे फैसले को लेकर जब पत्रकारों ने अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट से सवाल किए, तो उन्होंने कहा, “यह बाज़ार दबाव के आगे झुकना नहीं है. यह राष्ट्रपति की रणनीति का हिस्सा था. उन्होंने चीन को जानबूझकर ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा किया कि वे खुद को दुनिया के सामने गलत साबित करें. 75 से ज्यादा देशों ने अमेरिका से संपर्क किया है और हर एक के साथ बातचीत खास समाधान के तौर पर की जाएगी. हम इस प्रतिक्रिया से अभिभूत हैं. हमारे सहयोगी देश अच्छे इरादे से बातचीत करना चाहते हैं. इसलिए यह 90 दिनों का विराम दिया गया है. राष्ट्रपति ट्रंप खुद इस प्रक्रिया में व्यक्तिगत रूप से शामिल होना चाहते हैं.”

बढ़ता ट्रेड वॉर, चिंता में कंपनियां
ट्रंप की नई टैरिफ नीति से अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर एक बार फिर चरम पर पहुंचता दिख रहा है. फरवरी में लगाए गए 10 प्रतिशत शुल्क से शुरू हुआ सिलसिला अब 125 प्रतिशत तक जा पहुंचा है. व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि इस स्थिति से अमेरिका की घरेलू कंपनियों पर भी असर पड़ेगा. उत्पादन लागत बढ़ने, नौकरियों में कटौती और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में कमी की आशंका जताई जा रही है. कई अमेरिकी कंपनियों ने चेतावनी दी है कि लागत बहुत बढ़ जाएगी, कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ सकती है और उनका ग्लोबल मार्केट में मुकाबला करना मुश्किल हो जाएगा.

चीन का पलटवार, अमेरिका का जवाब
चीन ने ट्रंप के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वह अमेरिका के दबाव में नहीं आएगा. वहीं अमेरिका का तर्क है कि चीन के साथ व्यापार घाटा असंतुलित है और उसे सही करना जरूरी है. आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल चीन ने अमेरिका को करीब 439 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया, जबकि अमेरिका ने चीन को केवल 144 अरब डॉलर का. व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने कहा, “जब कोई अमेरिका को चोट पहुंचाने की कोशिश करेगा, तो राष्ट्रपति ट्रंप और ज्यादा ताकत से जवाब देंगे.”