हिन्दू ज्योतिष में शनि ग्रह को कर्मफल दाता और न्यायधीश माना जाता है। साथ ही शनि देव आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि के कारक होते हैं। वहीं यह मकर और कुंभ राशि के स्वामी होते हैं। तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है। वहीं शनि देव की महादशा 19 साल तक चलती है।
वहीं आपको बता दें कि अगर मनुष्य की कुंडली में शनि देव अशुभ स्थित हैं तो व्यक्ति को आर्थिक और मानसिक रूप से समस्य़ाओं से घिरा रहता है। साथ ही शनि नकारात्मक हो तो साढ़े साती या ढैय्या में घोर दरिद्रता देते हैं। वहीं अगर शनि देव कुंडली में शुभ स्थित हैं तो वह व्यक्ति को अपार धन प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं शनि की महादशा का जीवन में प्रभाव और लाभ- हानि…
कुंडली में शनि देव नकारात्मक होने पर
शनि की महादशा व्यक्ति के ऊपर 19 साल तक रहता है। आपको बता दें कि शनि देव अपनी महादशा में कैसा फल व्यक्ति को देंगे। तो ये इस बात पर निर्भर करता है कि शनि देव व्यक्ति की कुंडली में कैसे स्थित हैं। अगर शनि कुंडली में निगेटिव (नीच) विराजमान हैं तो व्यक्ति को शनि की दशा में मानसिक और धन को लेकर समस्या का सामना करना पड़ता है। साथ ही व्यक्ति को झूठ आरोप लगते हैं और जेल हो सकती है। वहीं व्यापार में घाटा होता है। वहीं अगर शनि देव कुंडली में सूर्य ग्रह के साथ स्थित हैं तो पैसोंं की हानि होती है। मान- सम्मान की हानि होती है। साथ ही अगर कुंडली में शनि देव अगर मंगल ग्रह के साथ स्थित हैं तो सेहत खराब रहती है। साथ ही दुर्घटना के योग बने रहते हैं। क्योंकि शनि देव और सूर्य, मंगल ग्रह में शत्रुता का भाव विद्यमान है।
शनि अगर शुभ स्थित हों तो
शनि देव जन्म कुंडली में शुभ या उच्च के स्थित हैं, तो शनि की महादशा में व्यक्ति को आकस्मिक धनलाभ के योग बनते हैं। साथ ही व्यक्ति को संपत्ति की प्राप्ति होती है। वहीं व्यक्ति लोकप्रिय होता है। साथ ही मेहनत के साथ- साथ उसको किस्मत का भी साथ मिलता है। व्यापार अच्छा चलता है। राजनीति के क्षेत्र में सफलता मिलती है। अगर आपका काम शनि ग्रह से रिलेटिड है जैसे- लोहा, पेट्रोल, खनिज, शराब से जुड़ा है तो विशेष लाह के योग बनते हैं। वकील, जज, और प्राइवेट कंपनी से जुड़े लोगों को अच्छा धनलाभ होता है।