शेख हसन गरियाबंद– गरियाबंद जिले के देवभोग टीकरापारा के अवैध क्लिनिक में 4 घंटे तक प्रसूता को रोके रखा गया। खून बहा अधमरी हो गई प्रसूता,पति जनरेटर ढूंढता रहा केस बिगड़ा तो ओडिसा के निजी क्लिनिक रेफर किया, जहा आदिवासी महिला की हो गई मौत। अवैध प्रसव के लिए बदनाम टिकरापारा का अवैध क्लिनिक एक बार फिर एक परिवार के घर उजाड़ने की वजह बन गया। मामला शुक्रवार देर रात की है, जब मैनपुर विकासखण्ड के डूमाघाट निवासी पदमन नेताम की पत्नी योगेंद्री को प्रथम गर्भ में प्रसव पीड़ा हुई।परिजनों नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमलीपदर ने भर्ती किया।जहा समय नहीं होना बता कर पीड़िता को लौटा दिया गया था।लेकिन परिजनों ने समय का इंतजार करने के बजाए सीधे किराए के बोलेरो से रात करीबन साढ़े 8 बजे टीकरापारा में संचालित अवैध क्लिनिक पहुंचे।पति पदमन ने बताया कि इस क्लिनिक के संचालक ने 4 घंटा तक रोके रखा। चीरा लगा कर बच्चे को बाहर निकालने की कोशिश किया,बिजली गुल हुआ तो जनरेटर ढूंढने पति देवभोग भेज दिया। 4 घंटे में खून बह गया था,पानी डिस्चार्ज हो गया था,बच्चा बीच में फंसा रहा।जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही योगेंद्री को संचालक ने आधी रात ओड़िशा के धर्मगढ़ के एक निजी अस्पताल भेज दिया। जहां जाते ही कुछ देर बाद मृत घोषित कर दिया।पीड़ित पदमन ने कहा कि मरने के बाद भी 10 हजार फिस चुकाना पड़ा।फिर शव लाने 10 हजार अतरिक्त लग गए।2019 में क्लिनिक सिल हुआ था
लगातार अवैध प्रसव की शिकायत पर जिला स्तरीय टीम ने टिकरापारा में संचालित अवैध क्लिनिक में छापेमारी किया था, जहां से एक्यू मशीन, सीजीरियन उपक्रम,गर्भपात के दवा के अलावा सरकारी दवा मिले थे।नर्सिंग एक्ट के उल्लंघन के तहत क्लिनिक को सिल कर दिया गया था।तब इस क्लिनिक का संचालन एक एमबीबीएस डॉक्टर कर रहा था,जिसके बर्खास्तगी के बाद वह ओडिसा सरकार में नौकरी हासिल किया। उसके जाने के बाद भी इस बेनामी क्लिनिक में लगातार अवैध प्रसव किए जाते रहे हैं।इस क्लिनिक का नर्सिंग एक्ट के तहत कोई पंजीयन नहीं है फिर भी इसे कुछ दबंगों द्वारा स्थानीय प्रशासन से सेटिंग कर चलाया जा रहा है।सरकारी अस्पताल ने क्यों लौटाया
योगेंद्री को सबसे पहले अमलीपदर के सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां डॉक्टरों ने प्रसव में कुछ दिन बाकी है कहा कर दवाइयां देकर वापस घर भेज दिए। सवाल यह उठता है कि क्या सरकारी अस्पताल में सही तरीके से जांच हुई थी? अगर प्रसव पीड़ा शुरू हो चुकी थी, तो महिला को अस्पताल में भर्ती कर उसकी निगरानी क्यों नहीं की गई?
पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीद
मृतका के परिवार ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर सही समय पर रेफर किया जाता या पहले से ऑपरेशन कर दिया जाता, तो शायद मां और बच्चा दोनों बच सकते थे। अब देखने वाली बात होगी कि क्या सरकार इस मामले में न्याय दिलाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई करती है या फिर यह मामला भी अन्य स्वास्थ्य लापरवाहियों की तरह फाइलों में ही दबकर रह जाएगा।
जिला चिकित्सा अधिकारी गरियाबंद ने कहा मामले पर कार्यवाही की जायेगी
गार्गी यदु सीएमएचओ – देवभोग के टिकरापारा में कोई भी क्लिनिक संचालन की अनुमति या लाइसेंस जारी नहीं किया गया है।अगर वहा प्रसव किया जा रहा है।या उसके प्रयास भी किए गए है तो जांच कर आवश्यक कार्यवाही की जायेगी।
आदिवासी विकास परिषद द्वारा अवैध क्लीनिक को शील करने एवं पीड़ित परिवार को 50 लाख मुआवजा दिलाने की मांग किया
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद महिला मोर्चा अध्यक्ष श्रीमति लोकेश्वरी नेताम एवं आदिवासी समाज के प्रतिनिधियो ने सोमवार को इस मामले में गरियाबंद जिले के कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौपकर मांग किया कि देवभोग टिकरापारा में संचालित अवैध क्लीनिक संचालक की लापरवाही से हुए आदिवासी समाज के प्रसुता एवं अजन्मे बच्चे की मौत पर क्लीनिक संचालक पर कठोर कार्यवाही किया जाये। अवैध क्लीनिक को शील कर पीड़ित परिवार को 50 लाख मुआवजा राशि एवं परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिया जाये।
अवैध क्लिनिक पर तत्काल कार्रवाई किया जाए- संजय नेताम
जिला पंचायत गरियाबंद सदस्य संजय नेताम ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा डुमाघाट के पदमन नेताम अपनी पत्नि को डिलिवरी के लिए सबसे पहले सरकारी अस्पताल अमलीपदर ले गये थे लेकिन उसे रिफर कर दिया गया ,
टिकरापारा में अवैध क्लीनिक संचालक के ऊपर कार्यवाही किया जाये पीड़ित परिवार को तत्काल मुआवजा दिया जाए और दोबारा ऐसा घटना ना घटे इसके लिए शासन प्रशासन को ठोस कदम उठाना चाहिए,