रायपुर – परिसीमन की सीमा है पर दिल की कोई दीवार नहीं है। दिल से हम सब एक हैं। ओडिशा हो या झारखंड। दिल से हम सब एक हैं। हम सब अलग-अलग नहीं हो सकते। ना हम अलग-अलग हैं। जगन्नाथ प्रभु केवल ओडिशा के नहीं है, जगत के नाथ हैं, वो छत्तीसगढ़ के भी हैं। वहां 56 कोटी चावल रोज पकता है। यह चावल (देवभोग,गरियाबंद जिले की नगर पंचायत) छत्तीसगढ़ का है। यह विश्व के लोग कहते हैं। ये बातें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के रजत जयंती समारोह में कहीं।
रजत जयंती समारोह पर प्रदेशवासियों को 25 वर्षों की लोकतांत्रिक यात्रा की बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि यह एक पुण्यभूमि, तपोभूमि और पवित्रभूमि है। इस पवित्र भूमि का नाम छत्तीसगढ़ है। यह ओडिशा का एक हिस्सा हो, या छत्तीसगढ़ का, लेकिन यह देश हम सब का है। यह भारत है हम सब एक हैं इसीलिए मुझे छत्तीसगढ़ से विशेष लगाव है। पांच से दस बार मैं यहां आ चुकी हूं। इस राज्य के लोग बहुत अच्छे हैं इसलिए कहा जाता है छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया। ‘छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’ के उद्घोष पर विधायकों ने मेज पर ही थाप देकर हर्षध्वनि के साथ उनका स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित लोगों को समाज के मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य अंतिम और निर्णायक दौर में पहुंच गया है। यहां के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोग विकास के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं। मुझे विश्वास है कि छत्तीसगढ़ के लोग पूरी तरह से नक्सलवाद से मुक्त होने के प्रयास में शीघ्र सफल होंगे और राज्यों के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ेंगे। नक्सल-समस्या के उन्मूलन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार विकास और पुनर्वास की नीति पर कार्य कर रही है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के रजत जयंती समारोह के अवसर पर राष्ट्रपति ने विधानसभा परिसर में कदम्ब का पौधरोपण किया।