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पटवारी से आरआई भर्ती की परीक्षा में गड़बड़ी – EOW ने दर्ज की प्राथमिकी, बड़े पैमाने पर धांधली का हुआ है खुलासा

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रायपुर – प्रदेश में पटवारी से राजस्व निरीक्षक के पद पर पदोन्नति के लिए हुई भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद केडी कुंजाम की अध्यक्षता वाली कमेटी रिपोर्ट में मामले की विस्तृत जांच की अनुशंसा करते हुए GAD के समक्ष रिपोर्ट पेश कर दी। इसके बाद GAD ने मामले को जांच और कार्यवाही के लिए EOW/ACB को सौंप दिया है। जांच एजेंसी ने प्रारंभिक जांच के बाद अब इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है।

परीक्षा देने वाले पटवारियों ने की थी शिकायत

दरअसल प्रदेश में भाजपा सरकार में मंत्रियों के शपथ ग्रहण करने के 6 दिन बाद ही पटवारी से राजस्व निरीक्षक के 90 रिक्त पदों पर पदोन्नति के लिए विभागीय भर्ती परीक्षा हुई थी। हालांकि परीक्षा के पहले ही इस बात का खुलासा हो गया कि परीक्षा का पेपर लीक कर दिया गया है और पहले से ही भर्ती की लिस्ट तैयार कर ली गई है। इस दौरान यह बात उभरकर सामने आई कि चयनित 22 अभ्यर्थियों को एक जगह बिठाकर परीक्षा ली गई और फिर इन सभी का चयन किया गया। पटवारियों और तहसीलदारों के संगठन ने गड़बड़ियों की जानकारी मिलने पर राजस्व मंत्री टंक राम के शपथ ग्रहण करने के बाद ही मुलाकात की और तथ्यों से अवगत कराते हुए परीक्षा फिलहाल स्थगित करने की मांग की थी । मगर तब इस पर ध्यान नहीं दिया गया।

सूची उजागर होने के बाद उग्र हुए पटवारी

इस मामले में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों का खुलासा हुआ। परीक्षा दे रहे पटवारियों को पता चला कि एक ही परिवार से जुड़े कई पटवारियों को किसी एक जगह पर बिठाकर परीक्षा से पहले ही पर्चे हल कराये गए। संभवतः इन सभी को एक ही परीक्षा केंद्र में एक साथ बिठाया भी गया। बाद में जब पटवारियों ने चयन सूची निकाली तब उसमें भी इन सभी के नाम दर्ज पाए गए। इसके अलावा और कई गड़बड़ियां मिली।

इसके बाद परीक्षा देने वाले पटवारियों के एक समूह ने शासन से शिकायत की और परीक्षा के परिणाम रोकने की मांग करते हुए जांच के लिए कहा।

सरकार ने दिया जांच का आदेश

इस परीक्षा की तमाम शिकायतों के बाद GAD ने मामले की उच्च स्तरीय जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जिसमे विशेष सचिव खाद्य केडी कुंजाम, उपसचिव डॉ. फरिहाआलम सिद्दीकी उपसचिव के अलावा अजय कुमार त्रिपाठी, श्रीमती अंशिका ऋषि पाण्डेय और राकेश साहू शामिल किये गए। कमेटी से 15 दिनों के भीतर जांच प्रतिवेदन मांगा गया। जांच के दौरान गड़बड़ी की पुष्टि हुई है, और कमेटी ने प्रकरण की विस्तृत जांच की जरूरत बताई है।