नई दिल्ली – तृणमूल कांग्रेस (TMC) की ओर से ‘फर्जी मतदाताओं’ के मुद्दे को उठाए जाने के बाद निर्वाचन आयोग ने एक बड़ा कमद उठाया है। चुनाव आयोग ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए अपने सॉफ्टवेयर में एक नया विकल्प शुरू करने का फैसला लिया है। यह नया विकल्प निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ERO) को इस बात की पहचान करने में मदद करेगा कि किसी विशेष निर्वाचन फोटो पहचान पत्र (EPIC) नंबर पर एक से अधिक नाम तो नहीं हैं।
एक अधिकारी ने सोमवार को जानकारी दी कि निर्वाचन आयोग ने इस बारे में सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को सूचित कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को एक पत्र भेजकर उन्हें इस नए विकल्प के बारे में बताया गया है, जिसे ‘डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबर’ को ठीक करने के लिए एक नए मॉड्यूल के रूप में पेश किया गया है।
सुधार का काम 21 मार्च तक पूरा करने का आदेश
उन्होंने बताया कि अब तक, राज्य के निर्वाचन अधिकारी या जिला निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) मतदाताओं के पहचान पत्र या ईपीआईसी नंबर नहीं देख पाते थे और इस तरह वे अन्य राज्यों में समान ईपीआईसी नंबर वाले मतदाताओं के नाम नहीं देख पाते थे। अधिकारी ने बताया कि पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में सुधार का काम 21 मार्च तक पूरा करने का आदेश दिया गया है।
अन्य राज्यों के फर्जी मतदाताओं के नाम दर्ज करने का आरोप
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी पर निर्वाचन आयोग की मदद से मतदाता सूची में अन्य राज्यों के फर्जी मतदाताओं के नाम दर्ज करने का आरोप लगाया और दावा किया कि पार्टी ने दिल्ली और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए इसी तरह की रणनीति अपनाई थी। ममता बनर्जी ने ज्ञानेश कुमार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किए जाने पर भी सवाल उठाया और आरोप लगाया कि बीजेपी संवैधानिक निकाय को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा, “यह बिल्कुल स्पष्ट है कि बीजेपी किस तरह निर्वाचन आयोग के सहयोग से मतदाता सूची में हेराफेरी कर रही है। बनर्जी ने कहा, “यदि मैं (2006 में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के दौरान) 26 दिन की भूख हड़ताल कर सकती हूं, तो हम निर्वाचन आयोग के खिलाफ भी आंदोलन शुरू कर सकते हैं। यदि जरुरत पड़ी तो हम मतदाता सूची में सुधार और फर्जी मतदाताओं को हटाने की मांग को लेकर निर्वाचन आयोग के कार्यालय के समक्ष अनिश्चित काल के लिए धरना भी दे सकते हैं।” (इनपुट- भाषा)