नई दिल्ली – उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्तों (ईसी) की नियुक्तियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 19 फरवरी को ‘‘प्राथमिकता के आधार’’ पर सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ को एक गैर सरकारी संगठन की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सूचित किया कि संविधान पीठ के 2023 के फैसले में कहा गया था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियां ऐसा पैनल करेगा जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) भी शामिल होंगे लेकिन सरकार ने सीजेआई को इसमें शामिल नहीं किया और इस तरह से ‘‘लोकतंत्र का मजाक’’ उड़ाया।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह मामला 19 फरवरी के लिए सूचीबद्ध है लेकिन इसे ‘आइटम नंबर’ 41 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। सरकार ने संविधान पीठ के दृष्टिकोण की अनदेखी करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त, निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की है। कृपया इसे पहले उठाएं क्योंकि मामले पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है।’’
याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने कहा कि सरकार ने नए कानून के तहत तीन नियुक्तियां की हैं जिन्हें चुनौती दी गई है।
पीठ ने भूषण और अन्य पक्षों को आश्वासन दिया कि कुछ अत्यावश्यक सूचीबद्ध मामलों के बाद वह 19 फरवरी को सुनवाई के लिए याचिकाओं पर विचार करेगी। सरकार ने सोमवार को ज्ञानेश कुमार को अगला मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया है।
कुमार जनवरी 2024 में सहकारिता मंत्रालय में सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे और मार्च 2024 में उन्हें निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया। राजीव कुमार के मंगलवार शाम को सेवानिवृत्त होने के एक दिन बाद वह 26वें सीईसी के रूप में शपथ लेंगे।
पीटीआई के इनपुट के साथ