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हाथों में हथकड़ियां, पैरों में बेड़ियां, 40 घंटे तक अमेरिका ने भारतीयों के साथ पार की हदें, रुला देगी ये कहानी

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वॉशिंगटन – अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 अवैध प्रवासियों में से एक पंजाब के होशियारपुर जिले के ताहली गांव के हरविंदर सिंह भी हैं. डंकी रूट से जाने में जितनी मुश्किलें उन्हें नहीं आई होंगी, उतनी अमेरिका के विमान से लौटने पर मिली है. यही कारण है कि वह अपने सफर को नरक से भी बदतर बता रहे हैं. उन्होंने बताया कि 40 घंटे तक उनके हाथ हथकड़ी से बंधे रहे और पैर जंजीरों से जकड़े थे. अपनी सीट से उन्हें हिलने तक की इजाजत नहीं थी. बार-बार जब वह अनुरोध करते तो ही उन्हें टॉयलेट जाने की छूट मिलती थी. लेकिन यह भी बेहद अपमानजनक था.

एक रिपोर्ट के मुताबिक हरविंदर ने कहा कि, ’40 घंटे के दौरान हमें खाना भी हथकड़ी लगे हाथों से खाना पड़ता था. कुछ मिनटों के लिए भी अमेरिकी अधिकारी उन्हें नहीं खोलते थे. हम चिल्लाते रहते थे और वह बहरों की तरह खड़े रहते थे. यह यात्रा शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से तोड़ देने वाली थी.’

उन्होंने यह भी कहा कि विमान में एक अच्छा आदमी था, जिसने उन्हें खाने के लिए फल दिया. अमेरिकी सैन्य विमान सी-17 ग्लोबमास्टर के जरिए अवैध प्रवासियों को अमेरिका ने भारत भेजा. अमृतसर में उतरने से पहले यह चार बार ईंधन भरने के लिए रुका. हरविंदर ने कहा कि वह सो नहीं सके, क्योंकि डंकी रूट के जरिए अमेरिका जाने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी से जो वादे किए थे, उसे वह पूरा नहीं कर सके.

पंजाब से बड़ी संख्या में लोग अवैध रूप से अमेरिका जाते रहे हैं. हरविंदर दूध बेचकर गुजारा कर रहे थे. वह अपनी पत्नी, 12 साल के बेटे और 11 साल की बेटी के साथ रहते थे. जून 2024 में उन्होंने अमेरिका जाने का फैसला किया. उनके एक रिश्तेदार ने बताया कि 42 लाख रुपए देकर वह 15 दिनों में अमेरिका पहुंच जाएंगे. उन्हें झांसा दिया गया कि यह डंकी नहीं बल्कि एक वैध रूट होगा. 42 लाख रुपए जुटाने के लिए हरविंदर ने अपनी एकमात्र जमीन गिरवी रख दी और ऊंचे ब्याज दर पर कर्ज लिया. कुलजिंदर ने कहा, ‘8 महीनों तक मेरे पति एक देश से दूसरे देश भेजा जाता रहा.’

अपने सफर के दौरान हरविंदर ने जानलेवा हालात झेले. उन्होंने अपने संघर्ष का वीडियो रिकॉर्ड कर कुलजिंदर को भेजा. आखिरी बार उन्होंने 15 जनवरी को बात की थी. उनके डिपोर्टेशन की खबर कुलजिंदर के लिए किसी सदमे से कम नहीं थी. गांव वालों से उन्हें जानकारी मिली कि 104 लोगों में उनके पति भी शामिल हैं, जिन्हें अमेरिका से वापस भेजा जाएगा. कुलजिंदर ने बताया कि पिछले महीने हरविंदर से संपर्क टूटने के बाद उन्होंने ट्रैवल एजेंट के खिलाफ गांव के पंचायत में शिकायत दर्ज कराई थी.

वह एजेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई और 42 लाख रुपए वापस करने की मांग कर रही हैं. उन्होंने कहा, ‘हमने सबकुछ खो दिया है. अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए हम यह सब कर रहे थे. लेकिन अब हम कर्ज के साथ रह गए हैं.’ कुलजिंदर ने यह भी बताया कि एजेंट ने हरविंदर के हर सफर के दौरान पैसे ऐंठे. ढाई महीने पहले, जब वह ग्वाटेमाला में थे तो एजेंट ने उनसे आखिरी बार 10 लाख रुपए मांगे थे. यह कहानी सिर्फ हरविंदर की ही नहीं बल्कि उन हजारों लोगों की है जो ‘अमेरिकन ड्रीम’ की चाहत में अवैध तरीके से अमेरिका जाते हैं.