नई दिल्ली – कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्रीय बजट में अर्थव्यस्था से जुड़े संकटों के समाधान के लिए कुछ नहीं है तथा इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते बिहार के लिए कई घोषणाएं की गई हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि केवल आयकरदाताओं के लिए राहत दी गई है। अर्थव्यवस्था पर इसका वास्तविक प्रभाव क्या होगा, यह देखना अभी बाकी है।
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘अर्थव्यवस्था इस समय स्थिर वास्तविक मजदूरी, सामूहिक उपभोग में उछाल की कमी, निजी निवेश की सुस्त दरें तथा जटिल और पेचीदा जीएसटी प्रणाली रूपी संकटों से घिरी हुई है। बजट में इन समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘केवल आयकरदाताओं के लिए राहत दी गई है। अर्थव्यवस्था पर इसका वास्तविक प्रभाव क्या होगा, यह देखना अभी बाकी है।’’ रमेश ने यह दावा किया कि वित्त मंत्री ने चार इंजनों कृषि, एमएसएमई, निवेश और निर्यात की बात की है, उनके बावजूद बजट पूरी तरह से पटरी से उतर गया है।
रमेश ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि बिहार को घोषणाओं का खजाना मिल गया है। यह स्वाभाविक है क्योंकि साल के अंत में वहां चुनाव होने हैं।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के दूसरे स्तंभ यानी आंध्र प्रदेश की इतनी बेरहमी से अनदेखी क्यों की गई?’’
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट में बिहार पर काफी ध्यान दिया गया है और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्य के लिए कई घोषणाएं कीं, जिनमें मखाना बोर्ड की स्थापना, पश्चिमी कोसी नहर के लिए वित्तीय सहायता और आईआईटी पटना की क्षमता बढ़ाने के लिए समर्थन शामिल है।
लोकसभा में अपना रिकॉर्ड आठवां केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि केंद्र बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान स्थापित करेगा तथा राज्य की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए वहां ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की सुविधा भी देगा।
रमेश ने सीतारमण के बजट भाषण का हवाला देते हुए यह दावा भी किया कि वह किसानों की मांगों और कृषि संबंधी संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों पर पूरी तरह चुप रहीं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘मेक इन इंडिया जो फेक इन इंडिया बन गया था, अब उसका नया नाम राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन है।’’
रमेश ने दावा किया, ‘‘वित्त मंत्री ने बजट की शुरूआत कृषि से की हैं, लेकिन किसानों की मांगों और कृषि पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों पर वह पूरी तरह से चुप हैं।’’ उन्होंने संसदीय समिति की सिफारिशों का उल्लेख किया जिनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी के रूप में लागू करने, कृषि ऋण माफी, पीएम किसान भुगतान का मुद्रास्फीति सूचकांकीकरण और पीएम फसल बीमा योजना में सुधार की पैरवी की गई है।
सीतारमण ने शनिवार को ‘प्रधानमंत्री धन ध्यान कृषि योजना’ की घोषणा की। इसके तहत कम पैदावार, आधुनिक फसल गहनता और औसत से कम ऋण मानदंडों वाले 100 जिलों को शामिल किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा।