घने जंगल ,नदी नालो पहाड़ो से घिरे इस क्षेत्र में आजादी से पहले अंग्रेज के अफसर आते थे शिकार करने ,तौरेगा जंगल में विश्राम करने किया गया था गेस्ट हाउस का निर्माण
117 साल पुराना मैनपुर थाना का इतिहास – आजादी के बाद बदली क्षेत्र की तकदीर और तस्वीर,महासमुंद और धमतरी तहसील के अन्तर्गत आता था मैनपुर थाना क्षेत्र 165 ग्राम इसके आधीन होता था
शेख हसन गरियाबंद – मैनपुर थाना का इतिहास काफी पुराना है सन् 1908 में अंग्रेज शासन काल के दौरान यहां थाना की शुरूआत किया गया था जो अब 117 साल पुराने हो चुके है इस थाने के कई गौरवशाली और रहस्यमय अनसुनी बातें है जिसके बारे मे आज भी क्षेत्र के लोग नही जानते 1908 में जब मैनपुर मे थाना प्रारंभ किया गया तो यह महासमुंद तहसील के अंतर्गत आता था और 1943 तक यह धमतरी तहसील के अधीन रहा उस समय इस थाने के अंतर्गत सोंढुर, नगरी तक लगभग 165 ग्राम बहुत बड़ा क्षेत्रफल में फैला हुआ था एक तरफ ओड़िसा के नवरंगपुर तो दूसरे तरफ राजा खरियार सीमा से लगा हुआ है 1993 मे गरियाबंद तहसील बनने के बाद उसके अधीन आ गया ,अंग्रेज जमाने मे जब इस थाना शुरूआत किया गया तो यहां एक अफसर और दो सिपाही हुआ करते थे घासफूस की बनी झोपड़ी में दारोगा और सिपाही निवास करते थे सिपाही और दारोगा दूर गांव गांव तक घटना दुर्घटना की स्थिति मे घोड़ा सायकल और पालकी का उपयोग करते थे बदलते समय के साथ यहां की भी तस्वीर और तकदीर बदलने लगी और 10 साल पहले मैनपुर में हाईटेक थाना भवन का नवनिर्माण किया जा चुका है नवीन थाना भवन का लोकार्पण 13. मई 2015 को तत्कालीन छत्तीसगढ़ शासन के गृहमंत्री रामसेवक पैंकरा द्वारा किया गया है।
राजधानी रायपुर से लगभग 137 किमी दूरस्थ वनांचल और चारो तरफ नदी नालो पहाड़ो जंगलो हिरा रत्नचंल क्षेत्र में बसा मैनपुर नगर का इतिहास हमेशा से गौरवशाली रहा है अंग्रेज जमाने मे भी मैनपुर की खास भूमिका इतिहास के पन्नो मे देखने को मिलता है यहां क्षेत्र जहां एक ओर घने जंगल नदी नालो पहाड़ो से घिरा हुआ है वहीं दूसरी ओर कीमती हीरा रत्न भूमि जन्म स्थली के नाम से जाना जाता है पैरी उदगम स्थल यहां से महज 03 किमी दूर भाठीगढ़ पहाड़ी से निकला हुआ है यह पैरी नदी को जीवन दायनी नदी के नाम से पूरे प्रदेश मे जाना जाता है। यह क्षेत्र गोंड़ राजा नागेन्द्र शाह के क्षेत्र मे आता था बाद मे बिन्द्रानवागढ़ से छुरा राजधानी बन गई राजा नागेन्द्र शाह द्वारा दर्जनो ग्रामों मे बावड़ी कुआं खुदवाया गया था मैनपुर मे भी राजा द्वारा खुदवाये गये मालकुआं आज भी सरस्वती शिशु मंदिर के सामने स्थित है सन् 1944 में पत्थर बोल्डर और चूना मिटटी गारा का उपयोग कर मैनपुर मे थाना का निर्माण किया गया था जिसे अब एसडीओपी निवास के रूप में तब्दील किया जा चुका है।
1991 में नक्सली दस्तक के साथ ही क्षेत्र मे बढाई गई सुरक्षा और चौकियां
पुराने रिकॉर्ड को खंगालने से पता चलता है कि मैनपुर क्षेत्र शुरू से शांतप्रिय रहा है लेकिन सन् 1991 में शोभा गोना क्षेत्र मे नक्सली गतिविधियों की जानकारी पुलिस को प्राप्त हुआ था और सन् 2006 में ग्राम खरताबेड़ा में तेन्दुपत्ता के 1000 बंडल को आग लगाने से नक्सलियों के विरूध्द आगजनी का पहली अपराध थाना मे दर्ज किया गया था नक्सली घटना बढने के साथ ही रायपुर जिले के अंतर्गत आने वाले मैनपुर थाना क्षेत्र मे सुमार था 2010 में गरियाबंद को पुलिस जिला के रूप मे अस्तीत्व में लाया गया और सन् 2012 में राजस्व जिला का दर्जा मिला। मैनपुर थाना के अति संवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण बल वृध्दि करने मैनपुर के शोभा और जुंगाड़ मे नवीन थाना का स्थापना किया गया बाद मे इंदागांव मे भी थाना का स्थापना किया गया मैनपुर थाना अंतर्गत एक चौकी बिन्द्रानवागढ़, दर्रीपारा, धवलपुर, कुल्हाड़ीघाट, छिन्दौला, ओढ़ मे नवीन चौकियां स्थापित है वर्तमान में मैनपुर थाना की कुल जनसंख्या 37431 है जिसमे पुरूष 22175 महिला 15256 बताई गई है।
कंडेल में गांधी जी के आने के बाद मैनपुर में मालथाना का निर्माण किया गया था
ब्रिटिश हुकूमत के समय मैनपुर में बंदियों को यातना देने के लिए माल थाना का निर्माण किया गया था यह भवन काफी मजबूती के साथ मैनपुर नगर में खड़ा था लेकिन 15 वर्ष पहले पशु चिकित्सालय नया भवन निर्माण के लिए इस मालथाना को जमीनदोज कर दिया गया बगल में मालकुआं अब भी मौजूद है मालथाना में बंदिया को रखने के लिए एक विशेष प्रकार के कारागार का निर्माण किया गया था, मिली जानकारी के अनुसार 1920 में जब महात्मा गांधी धमतरी जिले के कंडेल पहुंचे थे उस समय मैनपुर धमतरी तहसील के अंतर्गत आता था कडेल में गांधी जी के आने के बाद स्वतंत्रता आंदोलन में बड़ी संख्या में लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगे थे जिसके कारण ब्रिटिश हुकूमत द्वारा मैनपुर में मालथाना का निर्माण किया गया था ताकि लोगों में दहशत हो।
क्या कहते है क्षेत्र के बुर्जूग
पहले के समय दरोगा आने जाने के लिए घोड़ा का उपयोग करते थे – सोनसाय ध्रुव
मैनपुर क्षेत्र के वरिष्ठ बुजुर्ग रिटायर्ड शिक्षक सोनसाय ध्रुव 85 वर्षीय ने चर्चा में बताया पहले जमाने में पुलिस के दरोगा और सिपाही आना जाना करने के लिए घोड़ा का उपयोग करते थे और मैनपुर थाना तथा तौरेंगा में अस्तबल भी बना था जहां घोड़ा बांधा जाता था और लोगो में पुलिस के प्रति डर देखने को मिलता था कोई थाना के तरफ घुमने तक नही जाते थे।
46 साल पहले मैनपुर में लगाई गई बिजली उससे पहले चौक चौराहो में जलाते थे मसाल – हरचंद
मैनपुर नगर के 95 वर्षीय बुजूर्ग हरचंद ध्रुव ने बताया मैनपुर में बिजली लगभग 46 साल पहले लगाई गई इससे पहले मैनपुर में चौक चौराहो पर मसाल जलाया जाता था उन्होने बताया देश जब आजाद हुआ तो इसकी जानकारी रेडियों के माध्याम से मिला था तो लोग खुशी में झुम उठे थे उन्होने पुराने दिन को याद करते हुए कहा अब मैनपुर क्षेत्र पुरी तरह बदल गया है मैनपुर में 1901 में स्कूल प्रारंभ हुआ था जिसके बारे में उनके बाप दादा से सुना था और यह बेहद घनघोंर ज्रंगल क्षेत्र था छुरा वाला राजा सहाब का क्षेत्र है और यहां बड़े-बड़े अफसर अंग्रेस जमाने में शिकार करने आते थे तौरेंगा में रूकते थे तौरेंगा का रेस्टहाउस उसी जमाने का है।
थाना में नारियल भेट करने की परम्परा आज भी कायम है -थानु पटेल
मैनपुर नगबर के बुजुर्ग थानु पटेल ने बताया कि हमेशा से थाना और पुलिस वाले ग्रामीणों के सहयोग करते रहे है हर धार्मिक तथा सामाजिक कार्यक्रमों में उनका विशेष योगदान रहता था जिसके कारण किसी भी धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम करने से पहले थाना में नारियल देने की परंपरा आज भी कायम है।
क्या कहते एसडीओपी
मैनपुर थाना के एसडीओपी बाजीलाल सिंग से चर्चा करने से बताया कि मैनपुर में बताया रिकार्ड के अनुसार सन 1906 तक मैनपुर खुर्द नवागढ़ आउट पोस्ट का आ वर्ग का ग्राम था नवागढ़ आउट पोस्ट थाना पारागांव गरियाबंद के अन्तर्गत था सन 1902 तक जमीदार छुरा की राजधानी नवागढ़ थी उन्ही के मालखाने में 1906 तक नवागढ़ में एवं मैनपुर में 1908 जून तक क्रमशःः नवागढ़ आउट पोस्ट एवं थाना मैनपुर रहा। बदलते समय के साथ अब काफी परिवर्तन आ गया देश आजादी मिलने के बाद लोकतंत्र में थाना मैनपुर अब काफी हाईटेक हो चूका है और तमाम संसाधन यहां उपलब्ध है और लोगो की समस्याओ का समाधान थाना में होता है। हर अपराध पर पुलिस की पैनी निगाह है,