रायपुर – मकर संक्रांति का पर्व उस दिन मनाते हैं, जिस दिन ग्रहों के राजा सूर्य देव शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं. जिस क्षण सूर्य का मकर में गोचर होता है, वह मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. मकर संक्रांति के अवसर पर लोग स्नान करते हैं, उसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान देते हैं. मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने का विधान है. उस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. सनातन धर्म में स्नान और दान का विशेष महत्व है क्योंकि इससे पाप मिटते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होता है. इस साल मकर संक्रांति के अवसर पर आपको दो वस्तुओं का दान करना चाहिए, जिससे सूर्य और शनि दोनों का आशीर्वाद मिलता है. कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि बढ़ती है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि मकर संक्रांति के दिन किन 2 वस्तुओं का दान करना सबसे अच्छा माना जाता है।
मकर संक्रांति 2025 के दान का उपाय
1. गुड़: मकर संक्रांति के दिन आप सुबह में किसी पवित्र नदी में या फिर घर पर ही स्नान कर लें. उसके बाद साफ कपड़े पहन लें. फिर सूर्य देव को स्मरण करके गुड़ का दान करें. मकर संक्रांति के दिन गुड़ का दान करने से सूर्य की कृपा प्राप्त होगी
2.काला तिल: मकर संक्रांति के अवसर पर गुड़ के साथ काले तिल का दान करने का भी विधान है. काला तिल दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. शनि देव की कृपा प्राप्त होती है.
मकर संक्रांति पर क्यों करते है काला तिल का दान?
मान्यताओं के अनुसार, सूर्य और शनि में पिता एवं पुत्र का संबंध है, लेकिन दोनों में शत्रुता का भाव होता है. इस वजह से माना जाता है कि सूर्य और शनि एक साथ होंगे तो शुभ फल प्राप्त नहीं होगा. लेकिन पूरे वर्ष में दो बार सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर में प्रवेश करते हैं. पहले मकर में, उसके बाद कुंभ में.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देव जब पहली बार शनि देव के घर आए थे, तो उन्होंने अपने पिता सूर्य देव को काला तिल दिया था. इससे वे काफी प्रसन्न हुए थे और उनको दूसरा घर कुंभ प्रदान किया था. इस वजह से मकर संक्रांति के अवसर पर काला तिल दान करने का विधान है. इसका दान करने से शनि और सूर्य दोनों का ही आशीर्वाद प्राप्त होगा.
मकर संक्रांति पर दान का महत्व
मकर संक्रांति के अवसर पर लोग स्नान के बाद अन्न, गुड़, काला तिल, गुड़, गरम कपड़े आदि का दान करते हैं. इस दिन लोगों को आपने खिचड़ी या फिर चावल, उड़द की दाल और सब्जियों का दान करते देखा होगा. दान करने से आपके ग्रह दोष मो मिटते ही हैं, आपके पितर भी खुश होते हैं. पितरों का स्मरण करके दान करेंगे तो आपको पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. पितृ, देव और ऋषि ऋण से मुक्ति मिलती है।