विपक्षी सांसदों ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। 71 सांसदों के हस्ताक्षर वाले इस प्रस्ताव के दौरान टीएमसी ने सदन से वॉकआउट किया। हालाँकि, विपक्ष के पास धनखड़ को हटाने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है।
नई दिल्ली – उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने आज राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। इस अविश्वास प्रस्ताव में कुल 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इन सबके बीच दिलचस्प बात यह है कि इंडिया गठबंधन का हिस्सा कहे जाने वाली टीएमसी ने सदन से वॉकआउट कर दिया है। ममता बनर्जी की पार्टी की तरफ से इसपर कोई भी फैसला नहीं लिया गया है। हालांकि अंक गणत की बात करें तो विपक्ष के पास उतने नंबर नहीं हैं कि वह धनखड़ को उनके पद से हटा दे।
विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव, टीएमसी का वॉकआउट
इंडिया गठबंधन की पार्टियां जिसमें कांग्रेस प्रमुख है, ने सभी के साथ मिलकर आज राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। हालांकि यहां विपक्ष में ही तालमेल में कमी दिखी। इंडिया घटक दल की प्रमुख साथी तृणमूल कांग्रेस ने इसपर कुछ न कहते हुए किनारा कर लिया है। ममता बनर्जी की पार्टी के सांसद अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन से वाकआउट तर गए। पार्टी की तरफ से इस प्रस्ताव को समर्थन या इसके साथ खड़े रहने को लेकर कोई फैसला नहीं किया गया है।
संविधान के किस आर्टिकल में है इसका जिक्र
इस प्रस्ताव के लिए संविधान के अनुच्छेद 67(B) के तहत 14 दिन का नोटिस देना होता है। प्रस्ताव पास होने के लिए राज्यसभा और लोकसभा दोनों में बहुमत चाहिए,जो विपक्ष के लिए मुश्किल है। कांग्रेस और अन्य दलों को लगता है कि इस प्रस्ताव से INDIA गठबंधन को एकजुट करने में मदद मिलेगी,जो अभी दोनों सदनों में बंटा हुआ है।
दोनों सदनों की बात करें तो विपक्ष के पास जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है। लोकसभा में उसके पास 543 सीटों में 236 सीटे हैं और राज्यसभा में 231 में केवल 85 सीट हैं। अभी तक कुल 71 सांसदों ने ही इसपर अपनी मुहर लगाई है।
क्यों लिया गया है यह फैसला?
विपक्षी दलों और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के बीच बढ़ते मतभेदों के चलते यह कदम उठाया जा रहा है। इससे पहले वे अपने-अपने दलों के नेताओं से बात की। कांग्रेस और अन्य दलों का मानना है कि यह प्रस्ताव INDIA गठबंधन को मजबूत करेगा। वर्तमान में गठबंधन के दल दोनों सदनों में अलग-अलग राय रखते हैं, जिससे एकता की कमी दिख रही है। यह प्रस्ताव एकता का संदेश दे सकता है।