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सुप्रीम कोर्ट का राज्य सरकारों को निर्देश – अपील पेश करने में विलंब का कारण बनने वाले अफसरों को करें दंडित

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नईदिल्ली – मध्य प्रदेश के कटनी जिले में शासकीय भूखंड के मामले में सिविल कोर्ट के फैसले को राज्य सरकार ने पांच साल बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने विलंब को कारण बताते हुए राज्य शासन की अपील काे खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने इस संबंध में अहम फैसला के साथ ही देशभर के राज्य सरकार को दिशा निर्देश भी जारी किया है। नाराज कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा है कि अपील में विलंब का कारण बनने वाले अफसरों की पड़ताल की जाए और उसे दंडित भी किया जाए। इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन की याचिका को खारिज करने के साथ ही एक लाख रुपऐ का जुर्माना भी ठोंका है।

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों द्वारा दायर की जा रही अपील में विलंब को लेकर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने कहा कि ला डिपार्टमेंट होने के साथ ही सभी विभागों में राज्य सरकार द्वारा हाई कोर्ट में दावा आपत्ति पेश करने के लिए ओआईसी की नियुक्ति की जाती है। ओआईसी को जवाब-दावा बनवाने के अलावा अपील पेश करने या फिर नए सिरे से याचिका दायर करने की अदालत की अवधि के संबंध में स्पष्ट रूप से जानकारी रहती है, इसके बाद भी अपील या फिर मामला दायर करने में विलंब समझ से परे है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पेश अपील की सुनवाई करते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकारों को आदेश दिया कि अपील में देरी का कारण बनने वाले अफसरों पर सख्ती बरतने के साथ ही दंडित भी करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि कुछ अफसरों के उदासीन रवैये के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान भी होता है। सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले अफसरों से ही इसकी भरपाई करें।

क्या है मामला

कटनी जिले में शासकीय भूखंड से जुड़े एक मामले के फैसले को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

मप्र सरकार बनाम रामकुमार चौधरी मामले में भूमि विवाद प्रमुख कारण था। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा तय समयावधि से भारी विलंब से अपील पेश करने का कारण बताते हुए शासन की अपील खारिज कर दी थी। राज्य सरकार ने इस मामले में पांच साल बाद हाई कोर्ट में अपील पेश की थी। हाई कोर्ट के फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी और जुर्माना ठोंकने के साथ ही राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है।

राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट की हिदायत

मध्य प्रदेश सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश देने के साथ ही राज्य सरकारों को हिदायत देते हुए कहा है कि राज्यों को बिना उचित आधार के हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देनी चाहिए। विलंब के आधार पर अपील खारिज हो जाती है। इससे सरकारी धन का अपव्यय भी होता है।

निचली अदालत के फैसले को पांच साल बाद दी थी चुनौती

मामले की सुनवाई के दौरान कटनी के भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के अफसरों के रवैये को लेकर कड़ी टिप्पणी की है। डिवीजन बेंच ने कहा कि भूमि संबंधी विवाद का निराकरण करते हुए निचली अदालत ने 21 अगस्त 2014 को फैसला सुना दिया था। शासकीय अधिवक्ता ने 25 अगस्त 2015 को निचली अदालत के फैसले की जानकारी कलेक्टर को दे दी थी। कलेक्टर ने चीफ सिकरेट्री को तीन महीने बाद 10 दिसंबर 2015 को कोर्ट के फैसले की जानकारी दी। विधि विधायी विभाग ने तीन साल बाद 26 अक्टूबर 2018 को अपील की अनुमति दी। इसकी जानकारी 31 अक्टूबर 2018 को कलेक्टर को भेजी गई। शासकीय विभाग में फाइल अटकाने की प्रवृति का खामियाजा राज्य सरकार को भुगतनी पड़ी है।