रायपुर – विष्णुदेव कैबिनेट की आज दोपहर बाद तीन बजे बैठक होने जा रही है। इसमें ओबीसी आरक्षण को पेश किया जाएगा। जाहिर है, ओबीसी कल्याण आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है। इस हिसाब से नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण किया जाएगा। इसके लिए सरकार को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक्ट में संशोधन करना पडेगा। क्योंकि, अभी तक ओबीसी को इन दोनों चुनावों में 25 परसेंट का फ्लैट आरक्षण मिलता था।
फ्लैट आरक्षण मतलब ओबीसी की जनसंख्या अगर 10 परसेंट हो तो भी 25 प्रतिशत और जनसंख्या 50 परसेंट से अधिक हो तब भी 25 परसेंट। मगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आरक्षण पर पहला अधिकार एससी और एसटी का होगा। याने किसी निकाय में अगर एससी और एसटी की आबादी 40 परसेंट होगी तो फिर ओबीसी को 10 परसेंट ही आरक्षण मिल पाएगा। और कहीं दोनों की आबादी 50 परसेंट है तो फिर ओबीसी का आरक्षण जीरो हो जाएगा।
बस्तर और सरगुजा में ओबीसी को नुकसान
पुराने एक्ट के अनुसार बहुल बस्तर और सरगुजा के जिन निकायों और पंचायतों में दो-चार परसेंट ओबीसी होते थे, वहां भी उन्हें फ्लैट आरक्षण के तहत 25 परसेंट सीटें आरक्षण में मिल जाती थी। मगर अब आबादी के अनुसार आरक्षण मिलेगा। इसमें सबसे अधिक ओबीसी को नुकसान बस्तर और सरगुजा में होगा। बस्तर और सरगुजा के कई निकायों और पंचायतों में ओबीसी का आरक्षण जीरो हो जाएगा।
दलित बहुत इलाकों में भी यही हाल
छत्तीसगढ़ के दलित बहुल इलाकों में भी ओबीसी को नुकसान होगा। बलौदा बाजार, जांजगीर, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, महासमुंद, रायगढ़ जिले में कई ऐसे इलाके हैं, जहां अनुसूचित जाति के साथ ही अनुसूचित जनजाति की भी अच्छी खासी आबादी है। वहां ओबीसी की सीटें कम होगी।
रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग में फायदा
ओबीसी को रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग जैसे नगरीय निकायों में फायदा भी होगा। इन इलाकों में एससी, एसटी की आबादी कम है। सो, ओबीसी का आरक्षण बढ़ जाएगा। अभी तक आबादी अधिक होने के बाद भी इन नगरीय निकायों में ओबीसी को 25 परसेंट सीटें रिजर्व होती थी। मगर अब रायपुर में यदि एससी, एसीट की आबादी 15 परसेंट होगी तो ओबीसी को 35 परसेंट आरक्षण मिलेगा। बता दें, आरक्षण की सीमा 50 परसेंट से अधिक नहीं हो सकता।