नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें याचिकाकर्ता ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि देश में वोटिंग बैलेट के जरिये कराए जाने का निर्देश दिया जाए। याचिकाकर्ता डॉक्टर केए पॉल ने पीआईएल दाखिल कर कहा था कि चुनाव आयोग को यह भी निर्देश दिया जाए कि वह उन कैंडिडेंट्स को अयोग्य घोषित करे जिसे चुनाव के दौरान शराब बांटने और अन्य प्रलोभन देने का दोषी पाया जाता है। याचिका में बैलेट से मतदान कराए जाने के अलावा कई अन्य दिशा-निर्देश दिए जाने का भी अनुरोध किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर आप चुनाव जीतते हैं तो ईवीएम सही रहती है। हारने पर ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया जाता है। अदालत ने कहा कि मामले में याचिकाकर्ता कोई पॉलिटिकल पार्टी नहीं था।
बैलट पेपर से चुनाव, SC में याचिका खारिज
जस्टिस विक्रम नाथ ने जनहित याचिका खारिज करते समय तीखी टिप्पणी की और कहा कि जब आप चुनाव जीतते हैं, तो ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं होती। लेकिन जब आप हारते हैं, तो ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाया जाता है। जब चंद्रबाबू नायडू हारे, तो उन्होंने कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी हो सकती है। अब इस बार जब जगन मोहन रेड्डी हारे, तो उन्होंने भी यही कहा कि ईवीएम में छेड़छाड़ की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपने पहले भी पीआईएल दाखिल की है आपको कहां से यह आइडिया आता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह लॉस एंजिल्स से ग्लोबल पीस समिट से लौटे हैं। इस पीआईएल में मुझे 180 रिटायर आईपीएस और आईएएस और रिटायर जजों का समर्थन मिला है। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह एक ऐसे संगठन के अध्यक्ष हैं जिसने तीन लाख से अधिक अनाथों और 40 लाख विधवाओं को बचाया है।
155 देशों में बैलट पेपर से वोटिंग- याचिकाकर्ता
जस्टिस नाथ ने सवाल किया कि आप क्यों इस राजनीतिक मामलों में संलिप्त होना चाहते हैं। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि यह पीआईएल पॉलिटिकल नहीं है। देखा जाए तो दुनियाभर के 155 देशों में बैलेट पेपर से वोटिंग होती है। सभी लोकतांत्रित देश में बैलेट पेपर से वोटिंग होती है। याचिकाकर्ता ने कहा कि मंगलवार को 26 नवंबर को संविधान दिवस है और ईवीएम से वोटिंग के कारण समानता, विचार अभिव्यक्ति और जीवन के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
कोर्ट ने खारिज की पीआईएल
इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नाथ ने सवाल किया कि राजनीतिक पार्टियों को इससे दिक्कत नहीं है तो फिर आपको क्या परेशानी है। याचिकाकर्ता डॉक्टर पॉल ने कहा कि चुनाव में पैसे बांटे जा रहे हैं। एक बिजनेसमैन ने 1200 करोड़ सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों को दिए हैं। बेंच ने तब मौखिक टिप्पणी में कहा कि हमें किसी चुनाव के लिए कभी कोई पैसा नहीं मिला। पीठ ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि यह जनहित याचिका विचारणीय नहीं है।