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छत्तीसगढ़ में आज से धान की खरीदी, बिचौलियों पर प्रशासन की नजर, किसानों को मिलेंगी सुविधाएं

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रायपुर – पूरे भारत में सबसे ज्यादा मूल्य प्रधान खरीदी करने वाले छत्तीसगढ़ राज्य में आज 14 नवंबर से समर्थन मूल्य प्रधान खरीदी योजना की शुरुआत होने जा रही है। जिसके लिए शासन प्रशासन ने सभी इंतजाम पूरे कर लिए हैं। लगातार ओपन काटने की समस्या को देखते हुए इस बार 100 फीसदी ऑनलाइन और ऑफ लाइन टोकन काटने की व्यवस्था शासन द्वारा की गई है, साथ ही संविधान खरीदी केंद्रों में नमी मापक यंत्र के साथ बोरे बरदानों की व्यवस्था भी सुनिश्चित कर दी गई है।

इस बार भी धान खरीदी 50% नए और 50% पुराने बारदानों में की जाएगी। धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में आज 14 नवंबर से विपणन वर्ष 2024 – 25 के लिए खरीद धान खरीदी योजना की शुरुआत होने जा रही है। छत्तीसगढ़ मार्केटिंग फेडरेशन और सहकारी समितियां के माध्यम से सरकार किसानों का एक-एक दाना धान खरीदने की योजना बनाकर इस योजना की शुरुआत कर रही है।

जिसके लिए सभी धान खरीदी केंद्रों में सभी जरूरी इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं। जिसमें प्रमुख रूप से नए और पुराने दोनों ही बारदाने पहुंचा दिए गए हैं। नए बारदाने विपणन संघ की ओर से दिए गए हैं तो पुराने बारदाने राइस मिलरो और PDS दुकानों से प्राप्त कर धान खरीदी केदो में पहुंचा दिए गए हैं। इसके साथ-साथ सभी केंद्रों में नमी मापक यंत्र के साथ किसानों की सुविधा के लिए पीने के पानी और शौचालय की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है।

जिला विपणन अधिकारी रमेश लहरे ने कहा कि बीते वर्ष धान खरीदी के लिए टोकन के लिए रात में लगने वाली लंबी लंबी कतारों के बाद मीडिया में आई खबरों पर संज्ञान लेते हुए शासन ने इस बार 100 फीसदी टोकन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यम से काटने की सुविधा दे दी है। पर इस बार सीमांत और लघु कुछ किसानों को सिर्फ दो टोकन एवं दीर्घ किसानों को धान बिक्री के लिए तीन टोकन ही जारी किए जाएंगे। जिसमें उन्हें अपने पूरे धान को बेचना होगा। इसके अलावा इस बार भी धान खरीदी फिंगर प्रिंट या बायोमेट्रिक के माध्यम से ही होगी।

जिसके लिए सभी खरीदी केंद्रों में बायोमेट्रिक लगा दिए गए हैं, सीमावर्ती जिला होने की वजह से गौरेला पेंड्रा मरवाही में मध्य प्रदेश से लगने वाले लगभग 16 एंट्री एग्जिट प्वाइंट पर स्थाई और अस्थाई नाके बनाए गए हैं। जिससे बिचौलिए और कोचिये अपना धान सीमावर्ती राज्य से लाकर यहां ना खपाने पाए। इसके अलावा सभी खरीदी केंद्रो में धान की गुणवत्ता की जांच के लिए कृषि अधिकारियों को भी नियुक्त किया गया है।

साथ ही राजस्व अमला टोकन काटने वाले किसानों के खेत और खलिहान का निरीक्षण का टोकन और उपज का सत्यापन भी कर रहा है। ताकि जितनी उपज हो उतना ही धान खरीदी केंद्रों तक पहुंचे ना कि बिचौलिए किसानों की आड़ में अपना धान खपा सके। इसके अलावा कई नोडल और उड़न दस्ता टीम भी बनाई गई है जो लगातार सभी केन्द्रों की निगरानी करेगी। 3100 में धान खरीदी होने की वजह से सीमावर्ती जिलों में पड़ोसी राज्यों से बड़े पैमाने पर अवैध धान भी खपाया जाता है और बिचौलिए और व्यापारी इसका मुनाफा कमा कर सरकारी खजाने पर बड़ी चोट देते हैं। साथ ही इसी वजह से पात्र किसान अपने धान बेचने से भी वंचित रह जाते हैं।