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‘उत्तराधिकारी के तौर पर रतन टाटा की पसंद नहीं थे नोएल’, किताब में खुले जीवन के कई राज

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 थॉमस मैथ्यू द्वारा लिखी गई किताब रतन टाटा की जीवनी – ‘रतन टाटा ए लाइफ’ के मुताबिक,  दिवंगत रतन टाटा को लगता था कि उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को उनका उत्तराधिकारी बनने के लिए और अधिक अनुभव की आवश्यकता है।

मुंबई – टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के निधन के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा समूह का नया चेयरमैन बनाया गया है। हालांकि नोएल टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने में रतन टाटा की कोई भूमिका नहीं है। अब रतन टाटा के जीवन से जुड़ी एक किताब सामने आई है। जिसमें रतन टाटा के जीवन से जुड़े कई रहस्यों का खुलासा हुआ है।

थॉमस मैथ्यू द्वारा लिखी गई किताब रतन टाटा की जीवनी – ‘रतन टाटा ए लाइफ’ के मुताबिक,  दिवंगत रतन टाटा को लगता था कि उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को उनका उत्तराधिकारी बनने के लिए और अधिक अनुभव की आवश्यकता है। बता दें कि, नोएल टाटा को हाल में रतन टाटा की मृत्यु के बाद टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन के रूप में नियुक्त किया गया। यह ट्रस्ट अप्रत्यक्ष रूप से 165 अरब अमेरिकी डॉलर के टाटा समूह को नियंत्रित करता है।

रतन टाटा के उत्तराधिकारी की 2011 से हो रही थी तलाश
रतन टाटा की जीवनी के मुताबिक, मार्च, 2011 में जब रतन टाटा के उत्तराधिकारी की तलाश के लिए कई उम्मीदवारों का इंटरव्यू लिया गया, तो उसमें नोएल टाटा भी शामिल हुए थे। यही नहीं रतन टाटा ने उत्तराधिकारी को खोजने के लिए बनी चयन समिति से खुद को दूर रखने का फैसला किया था।  किताब के अनुसार, बाद में उन्हें इस फैसले पर पछतावा हुआ।

किताब के मुताबिक,  रतन टाटा चयन समिति से इसलिए दूर रहे, क्योंकि टाटा समूह के भीतर से कई उम्मीदवार थे। वह यह संदेश देना चाहते थे कि,  एक सामूहिक निकाय सर्वसम्मति से निर्णय के आधार पर उनमें से किसी एक की सिफारिश करेगा। चयन समिति से दूर रहने का एक दूसरा कारण व्यक्तिगत भी था। वह नहीं चाहते थे कि ऐसा माना जाए कि,  उनके सौतेले भाई नोएल टाटा उनके उत्तराधिकारी के तौर पर स्वाभाविक उम्मीदवार के रूप में देखा जाए।

‘रतन टाटा के लिए केवल व्यक्ति की प्रतिभा और मूल्य ही मायने रखते थे’
कंपनी में पारसियों और समुदाय के परंपरावादियों की ओर से दबाव के बीच नोएल टाटा को ‘अपना’ माना जाता था। किताब के अनुसार, हालांकि रतन टाटा के लिए केवल व्यक्ति की प्रतिभा और मूल्य ही मायने रखते थे। लेखक के मुताबिक, रतन टाटा नहीं चाहते थे कि नोएल को न चुने जाने की स्थिति में उन्हें उनके विरोधी के रूप में देखा जाए। किताब के मुताबिक, रतन टाटा का मानना था कि, शीर्ष पद के लिए सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्धा करने के लिए नोएल के पास अबतक के अनुभव से अधिक अनुभव होना चाहिए था।

अगर पुत्र होता तो भी उसे सीधे उत्तराधिकारी घोषित ना करते रतन टाटा
किताब में ये भी बताया गया है कि, रतन टाटा ने कहा था कि यदि उनका कोई पुत्र भी होता, तो वह कुछ ऐसा करते कि वह अपने आप उनका उत्तराधिकारी न बन पाता। ‘रतन टाटा ए लाइफ’ किताब को थॉमस मैथ्यू ने लिखा है। इसे हार्पर कॉलिन्स पब्लिशर्स ने प्रकाशित किया है।