कोलकाता – पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को अचानक उस जगह पर पहुंच गईं जहां डॉक्टर पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने इस कदम से प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के साथ-साथ सबको चौंका दिया। उनके नरम तेवर ने भी चौंकाया। अबतक इस केस को लेकर सख्त लहजा अपनाने वालीं ममता के तेवर बदले हुए थे। डॉक्टर नारेबाजी कर रहे थे तो उन्होंने अपील की कि प्लीज, 5 मिनट सुन लीजिए। उनसे बातचीत की। काम पर लौटने की अपील की। न्याय का भरोसा दिलाया। ये भरोसा कि इस लड़ाई में वह भी डॉक्टरों के साथ हैं। बस कुछ समय दीजिए।
ममता का साम-दाम-दंड-भेद!
आरजी कर अस्पताल का केस ममता बनर्जी सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है। बर्बर कांड के खिलाफ पिछले करीब डेढ़ महीने से डॉक्टरों का प्रदर्शन जारी है। सुप्रीम कोर्ट भी डॉक्टरों से प्रदर्शन खत्म कर वापस लौटने की अपील कर चुका है। सीएम ममता बनर्जी भी प्रदर्शन खत्म कराने के लिए सख्त कार्रवाई की चेतावनी दे चुकी हैं। उससे बात नहीं बनी तो ‘इस्तीफे के पेशकश’ वाला इमोशनल कार्ड भी चल दिया।
डॉक्टरों के प्रति जनसहानुभूति सियासी तौर पर महंगा न पड़े, इसलिए उसे खत्म करने के लिए रणनीतिक दांव भी चल दिया। प्रोटेस्ट के दौरान इलाज नहीं मिलने से जिन लोगों की मौत हुई, उनके परिजनों को 2-2 लाख रुपये मुआवजे का दांव। और इतने सब के बाद भी बात बनती नहीं दिखी तो नरमी का संकेत भी दिया। यानी ममता बनर्जी साम-दाम-दंड-भेद की तरह हर तरह का रास्ता अपना रही हैं, ताकि कोलकाता डॉक्टर केस उनके लिए सियासी भंवर न बन पाए। उनके लिए ‘लेफ्ट का नंदीग्राम’ न साबित हो जाए जिसका फायदा उठाकर उन्होंने खुद कभी बंगाल में लेफ्ट की एकछत्र सत्ता को उखाड़ फेंका था।