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‘रेप की तुलना साइकिल चलाने से करना महिलाओं का मजाक’: जिस अकाली नेता ने कहा कि ‘कंगना से पूछो रेप कैसे होता है’

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 बीजेपी सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत के किसान आंदोलन पर दिए बयान पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह ने किसान आंदोलनमें दुष्कर्म को लेकर कंगना की टिप्पणी पर बेहद आपत्तिजनक बयान दिया। सिमरनजीत सिंह मान पंजाब के पूर्व सांसद और शिरोमणि अकाली दल के नेता हैं। कंगना रनौत ने अकाली नेता के इस बयान को महिलाओं का अपमान बताया है। उन्होंने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया। बता दें कि कंगना की फिल्म ‘इमरजेंसी’ 6 सितंबर को रिलीज होने वाली है।

‘सीनियर नेता रेप की तुलना साइकिल चलाने से’
कंगना ने वीडियो ट्वीट कर लिखा- ”ऐसा लगता है कि यह देश कभी भी रेप को तुच्छ समझना बंद नहीं करेगा, आज इस सीनियर नेता ने दुष्कर्म की तुलना साइकिल चलाने से कर दी। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि रेप और मनोरंजन के लिए महिलाओं के खिलाफ हिंसा, इस पितृसत्तात्मक देश के मानस में इतनी गहरी जड़ें जमा चुकी है कि इसका इस्तेमाल चिढ़ाने के लिए किया जाता है। किसी महिला का मज़ाक उड़ाओ, भले ही वह एक हाई प्रोफाइल फिल्म निर्माता या राजनीतिज्ञ ही क्यों न हो।”

‘लगता है रनौत साहब को रेप का बड़ा तजुर्बा’
पूर्व सांसद और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता सिमरनजीत सिंह मान ने एक रिपोर्टर के सवाल पर कहा- ”लगता है रनौत साहब को रेप का बड़ा तजुर्बा है। उनसे पूछा जा सकता है कि रेप कैसे होता है। ताकि लोगों को समझाया जा सके। उन्हें इसका बहुत तजुर्बा है। इस पर रिपोर्टर ने पूछा कि कैसा तजुर्बा… तो सिमरनजीत सिंह ने कहा- आप जैसे साइकिल चलाते हैं, तो साइकिल चलाने का तजुर्बा नहीं होता, वैसा उन्हें भी है।”

बीजेपी प्रेसिडेंट नड्डा से दूसरी बार मिलीं कंगना रनौत

  • किसान आंदोलन पर भड़काऊ टिप्पणियों के लिए बीजेपी ने कंगना को आगे सोच समझकर बयान देने की हिदायत दी थी। इसके कुछ दिनों बाद कंगना रनौत ने गुरुवार (29 अगस्त) को हफ्तेभर में दूसरी बार बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इस बैठक में क्या बातचीत हुई, इस पर पार्टी की ओर से अब तक कोई बयान नहीं आया है।
  • इस हफ्ते की शुरुआत में 38 वर्षीय अभिनेत्री कंगना रनौत ने एक इंटरव्यू में कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान लाशे लटकी थीं, वहां रेप हो रहे थे। अगर मोदी सरकार वक्त रहते सही एक्शन नहीं लेती तो भारत में किसानों के विरोध के कारण बांग्लादेश जैसा संकट पैदा हो सकता था। इसमें विदेशी ताकतें भी शामिल थीं।