गरियाबंद – घटना गरियाबंद जिले अंतर्गत विकासखंड छुरा के वनांचल ग्राम सेहरापानी का है जो आज लगभग एक वर्ष होने जा रहा है,यह घटना कीसी फिल्म की कहानी से कम नहीं लगती है। परिजनों की मानें तो घटना शुरू होती है गांव के एक लड़की के गुम हो जाने से, लड़की के घर के परिजन अपने स्तर पर गुम लड़की को ढूंढने में लगते हैं तो पता चलता है कि धरमबांधा उड़ीसा राज्य के किसी लड़के के साथ ओ चेन्नई में है।
वहीं उड़ीसा के ग्राम भाजीपाला की महिला उनेश्वरी यादव से गुम हुए लड़की के परिजनों को ख़बर किया गया कि आप लोग आओ और एक साथ यहां से जाकर चेन्नई से लड़की को लाएंगे। लड़की के पिता व भाई एवं एक अन्य ग्रामीण उड़ीसा राज्य के ग्राम भाजीपाला उनेश्वरी यादव के घर पहुंचे और रात वहीं रुके। फिर उनेश्वरी यादव ने कहा कि मैं अकेली महिला हो जाऊंगी एक महिला को भी गांव से बुलाकर लाओ जिस पर गांव के युवक लखन मरकाम जो साथ में था वह सेहरापानी आकर घसनीन बाई गोंड़ उम्र लगभग 58 वर्ष को साथ में चलने को कहा जिस पर घसनीन बाई के पुत्र नंद कुमार कहीं बाहर था उसने अपने मां को नहीं भेजने की बात कहा लेकिन लखन मरकाम जीद कर उसे ले गया।
वहीं ले जाने वाले लड़के लखन मरकाम की मानें तो मैं घसनीन बाई को लेकर भाजीपाला ग्राम उड़ीसा पहुंचा तो वे लोग रायपुर के लिए निकल गये थे और फोन किए तो रायपुर तक आओ रायपुर में रूरेंगे फिर एक साथ निकलेंगे कहा तो हम लोग गाड़ी बैठकर रायपुर पहुंचे और एक साथ रेलगाड़ी से चेन्नई के लिए निकले और वहां सुबह पहुंचे तो हमारा एक साथी सत्या ब्रश लेकर आ रहा हूं बोलकर गये तो वापस नहीं आए, उसे ढूंढने लगे वहीं लेजाने वाली महिला सामने होटल में नाश्ता के नाम पर ले गई और हमें नाश्ता कराई और अपने लिए अलग से नाश्ता मंगाई हमें नाश्ता करने के बाद नशा सा लगने लगा। वहीं महिला के साथ दो लड़के और थे जिसके साथ महिला उनेश्वरी यादव आटो में बैठकर जाने लगी और हमें भी चलने के लिए कहा लेकिन हमने कहा हमारा साथी सत्या अभी तक नहीं आया है उसे ढूंढने के बाद जायेंगे कहकर वहीं रुक गये।हम सत्या को ढूंढने में लगे थे उस दरम्यान मुझे कुछ लोगों ने पकड़ लिया और कहा कि हम इनका किडनी निकालकर बेचेंगे जिस पर मैं हाथ छुड़ाकर भागने लगा और हम सभी साथी वहां से इधर उधर भगकर अलग अलग हो गए।
वहीं उड़ीसा राज्य की भाजीपाला ग्राम की महिला उनेश्वरी यादव गांव की गुम लड़की को लेकर वापस उड़ीसा भाजीपाला ग्राम आ गई और लड़की को उड़ीसा में ही उसके किसी परिजन के घर छोड़ दी। फिर किसी तरह इन चार चेन्नई में बिछड़े लोगों ने अपने गांव में फोन के माध्यम से संपर्क कर बताया कि वे चेन्नई में फंस गए हैं सभी अलग अलग हो गए हैं उन्हें वहां से वापस आने में सहायता करें।
तो गांव के सरपंच एवं क्षेत्र के पूर्व जनपद सदस्य अलाराम ठाकुर ने छुरा थाने में गुमशुदगी का रिपोर्ट दर्ज कराई और पुलिस विभाग के कुछ कर्मचारी एवं समाज सेवी सीताराम सोनवानी एवं कुछ अन्य लोग चेन्नई पहुंचकर इन्हें ढूंढने लगे और फिर बहुत मुश्किल से चेन्नई के अलग-अलग इलाकों से तीन लोग सत्या,उमराज, और लखन मरकाम को बरामद कर वापस लाए लेकिन घसनीन बाई गोंड़ का पता नहीं चल पाया।
आज भी घसनीन बाई गोंड़ का परिवार अपने मां के मिलने और लौट आने के इंतजार में हैं। वहीं घसनीन बाई का पुत्र नंद कुमार ने रोते हुए बताया कि हम तीन भाई बहन होते हैं बहन की शादी हो गई है और एक भाई एक्सीडेंट होने के चलते दिव्यांग हो गया जो काम नहीं कर पाता है और मेरे भरोसे परिवार का भरण-पोषण होता है मैं चाहता हूं कि मैं ढूंढने खुद जाऊं लेकिन उतना दुर जाने के लिए पैसा भी नहीं होता है और किसी भी तरह कर्ज लेकर चला जाऊं तो कितने दिन लगेगा मुझे खुद पता नहीं और मेरे वापस आते तक मेरे बच्चे और परिवार कैसे चलेगा ये सोचकर मैं चुप रह जाता हूं। वहीं मां थी तो हम पति पत्नी काम पर जाते थे और मां घर और बच्चों को संभालती थी लेकिन मां के नहीं होने से पत्नी घर और बच्चों को संभालती है और मैं अकेला काम करने वाला हूं,हर त्यौहार पर हम परिवार वाले मां को याद करते हुए रो पड़ते हैं और आज भी रक्षा बंधन पर हम उन्हें याद कर रो पड़े। गांव के दुसरे की लड़की थी जिसे ढूंढने मेरी मां गई,गुम लड़की को अपने घर परिवार में वापस आ गई लेकिन मेरी मां खुद गुम हो गई इस दुख को हम जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे।
उन्होंने कहा कि मैं मिडिया के साथियों क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से निवेदन करता हूं कि मेरी मां को ढूंढने और वापस लाने में मदद करें।
आज इस घटना को लगभग एक वर्ष होने को है जिस पर सरकार, नेता और प्रशासन के लिए महज एक घटना हो सकती है लेकिन जिस मां ने उन बच्चों को जन्म दिया उस परिवार के लिए यह एक भयावह स्थिति से कम नहीं और ये दर्द उस परिवार के लिए एक नासुर से कम नहीं होती है। वैसे तो सरकार, प्रशासन और सभी राजनीतिक पार्टियां आदिवासियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए बड़े-बड़े दावे और वादे तो करते हैं लेकिन ऐसी घटनाएं आदिवासियों के संरक्षण और संवर्धन पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है।
थाना छुरा थाना प्रभारी का कहना है कि गुम इंसान का रिपोर्ट दर्ज कराया गया था जिस पर यहां से टीम गई थी तीन लोगों को वापस लाया गया था और घसनीन बाई का पता नहीं चल पाया। और इस प्रकार और कुछ घटना है तो परिजन आवेदन पेश करते हैं तो उस एंगल से भी जांच किया जाएगा।
समाज सेवक सीताराम सोनवानी एक सप्ताह के लिए चेन्नई रवाना हुए हैं जो अपने स्तर पर घसनीन बाई गोंड़ की खोज खबर वहां के समाजसेवी टीम और पुलिस विभाग के अधिकारियों से मिलकर करने का पुरा प्रयास करेंगे।
इस मामले पर क्षेत्रीय विधायक रोहित साहू से संपर्क कर जानकारी लेने का प्रयास किया गया लेकिन रक्षाबंधन पर्व के व्यस्तता के चलते बात नहीं हो पाया।साभार।