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असुरक्षित भविष्य और पेंशन न मिलने का डर, क्या इसी वजह से अग्निवीर उठा रहे हैं खतरनाक कदम?

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भोपाल में छुट्टी पर आए अग्निवीर जवान ने ज्वेलरी शॉप से 50 लाख रुपए लूट लिए। कांग्रेस पार्टी के पूर्व सैनिक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल रोहित चौधरी ने इस घटना को गंभीर बताया है। उन्होंने कहा, एक और अग्निवीर दिशाहीन हुआ और अपराधी बन गया।

भारतीय सेना में अग्निवीरों की भर्ती की मामला तूल पकड़ता जा रहा है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी कह चुके हैं कि इंडिया गठबंधन की सरकार आते ही ‘अग्निवीर’ योजना को खत्म कर दिया जाएगा। लोकसभा चुनाव के बाद हुए संसद सत्र में राहुल ने प्रमुखता से अग्निवीरों का मुद्दा उठाया था। भोपाल में छुट्टी पर आए अग्निवीर जवान ने ज्वेलरी शॉप से 50 लाख रुपए लूट लिए। कांग्रेस पार्टी के पूर्व सैनिक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल रोहित चौधरी ने इस घटना को गंभीर बताया है। उन्होंने कहा, एक और अग्निवीर दिशाहीन हुआ और अपराधी बन गया। चौधरी ने सेना की इस भर्ती पर सवाल उठाते हुए कहा है कि चार साल बाद असुरक्षित भविष्य व पेंशन नहीं मिलने का डर, क्या यही बात अग्निवीरों को अपराध की राह पर ले जा रही है? इससे पहले उन्होंने ‘अग्निपथ’ योजना के जरिए सेना में भर्ती हो रहे ‘अग्निवीरों’ के बलिदान का मुद्दा उठाया था। पिछले एक साल में सेना के 15 ‘अग्निवीर’ बलिदान हो चुके हैं।

कर्नल रोहित चौधरी ने क्या कहा?
कर्नल रोहित चौधरी का कहना है, अग्निवीरों को अपना भविष्य सुरक्षित नजर नहीं आ रहा। वे भले ही जॉब में हैं, लेकिन उन्हें चार साल बाद की चिंता सता रही है। सेना से बाहर आने के बाद वे कहां जाएंगे। ताजा मामला भोपाल का है। छुट्टी पर आए अग्निवीर जवान ने ज्वेलरी शॉप से 50 लाख रुपए लूट लिए। खबरों में लिखा है कि उसने कर्ज चुकाने के लिए घटना को अंजाम दिया है। यह भेदभाव का ही नतीजा है। अगर उन्हें सेना के नियमित जवान की तरह सभी सुविधाएं एवं पेंशन मिलती तो वे अपराध की राह पर नहीं जाते। अब उन्हें अपना करियर अंधकार में नजर आ रहा है। बतौर चौधरी, पिछले महीने एक और अग्निवीर जवान को पंजाब पुलिस ने लूटपाट के मामले में गिरफ्तार किया था। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार को ऐसी घटनाओं के लिए चेताया था।
कर्नल रोहित चौधरी से सरकार से पूछे सवाल 
अग्निवीरों को मिलने वाली सुविधाओं के मामले में लंबे समय से आवाज उठा रहे कांग्रेस पार्टी के पूर्व सैनिक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष कर्नल रोहित चौधरी ने केंद्र सरकार से कुछ सवाल पूछे हैं। देश को जिसका डर था, वही हो रहा है। ये भेदभाव का ही नतीजा है कि अग्निवीर, अपराध की राह पर जा रहे हैं। उन्होंने सरकार से पूछा है कि क्या 4 साल के लिए लगे अग्निवीरों को कानून व सेना नियमों का डर नहीं है। क्या सेना में हथियारों की ट्रेनिंग देकर 4 साल बाद उन्हें घर भेजना उचित है। क्या उनको 4 साल बाद असुरक्षित भविष्य व पेंशन नहीं मिलने का डर सता रहा है। क्या अग्निवीरों के लिए मासिक तनख्वाह 21 हजार रुपये पर्याप्त है।

कर्नल चौधरी ने उठाए सवाल
इससे पहले चौधरी ने ‘अग्निपथ’ योजना के जरिए सेना में भर्ती हो रहे ‘अग्निवीर’ की शहादत का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था, पिछले एक साल में 15 ‘अग्निवीर’ बलिदान हो चुके हैं। जम्मू कश्मीर के अखनूर में हिमाचल प्रदेश के अग्निवीर निखिल डडवाल ने गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। ये बहुत भयावह स्थिति है कि एक साल के अंदर 15 अग्निवीर बलिदान हो चुके हैं। इनमें नौ से ज्यादा मामलों में आत्महत्या व संदिग्ध हालात में मौत हुई है। चौधरी ने केंद्र सरकार से सवाल किया था कि सेना में अग्निवीर जवान लगातार आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? उससे पहले 14वें बलिदानी अग्निवीर, श्रीकांत चौधरी ने भी गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। चौधरी ने कहा था, सेना में अग्निवीर जवान लगातार खुदकुशी क्यों कर रहे हैं? क्या अग्निवीरों को पर्याप्त ट्रेनिंग मिल पा रही है? क्या छह महीने का प्रशिक्षित अग्निवीर सेना में काम करने के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से सक्षम है?

राहुल गांधी भी उठा चुके हैं अग्निवीर योजना पर सवाल 
संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी कह चुके हैं कि इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर अग्निवीर योजना रद्द की जाएगी। केंद्र सरकार ने अग्निवीर योजना लाकर, हिंदुस्तान के जवानों को मजदूरों में बदल दिया है। अग्निवीर योजना में शहीद होने पर युवाओं को न शहीद का दर्जा मिलेगा, न ही पेंशन मिलेगी। उन्हें न ही कोई अन्य सुविधा मिलेगी। चार साल बाद युवा फिर बेरोजगार हो जाएंगे। अग्निवीर योजना सेना की योजना नहीं थी, यह प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा बनाई गई थी। चौधरी इस बात को मानते हैं कि राहुल गांधी ने जब से अग्निवीर के मुद्दे को संसद में उठाया है, इस योजना की कमियां गिनाई हैं, तब से केंद्र सरकार बैकफुट पर है। पिछले दिनों राहुल गांधी के दबाव के चलते ही ‘अग्निवीर’ भर्ती के पक्ष में केंद्र सरकार को एकाएक रक्षा मंत्री, सैन्य अधिकारी और तीन केंद्रीय बलों के आईपीएस डीजी उतारने पड़ गए थे। राहुल गांधी ने संसद में कहा था, अग्निवीर, लैंडमाइन ब्लास्ट में शहीद होता है तो मैं उसे शहीद कह रहा हूं, मगर भारत सरकार उसे शहीद नहीं कह रही है। एक शहीद को पेंशन मिलेगी और शहीद का दर्जा भी मिलेगा, दूसरे को यह सब नहीं मिलेगा।

राहुल गांधी ने क्या दावा किया था?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अग्निवीरों को सेवा के दौरान ग्रेज्युटी के अलावा अन्य लाभ न मिलने और उनके परिवार को पेंशन से वंचित करने की आलोचना की थी। राहुल गांधी ने दावा किया था कि सरकार, अग्निवीरों को इस्तेमाल करके उन्हें फेंक देने वाले मजदूर के रूप में देखती है। उन्हें शहीद का दर्जा भी नहीं देती। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में अग्निवीर भर्ती को लेकर राहुल गांधी के दावों का खंडन करते हुए कहा था कि 158 संगठनों से सुझाव लेने के बाद अग्निपथ योजना को लागू किया गया था। सीआरपीएफ, बीएसएफ और सीआईएसएफ के महानिदेशकों ने कहा था, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीएपीएफ में सिपाही के 10 प्रतिशत पद भूतपूर्व अग्निवीरों के लिए आरक्षित कर दिए हैं। अग्निवीरों को केंद्रीय पुलिस बलों में नौकरी भी मिलेगी। उन्हें फिजिकल टेस्ट में छूट दी जाएगी।