कोलकाता/नई दिल्ली – पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का बृहस्पतिवार को यहां स्थित उनके आवास पर निधन हो गया. वह 80 वर्ष के थे. भट्टाचार्य को कम्युनिस्ट विचारधारा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और राज्य के औद्योगीकरण के प्रति व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए याद किया जाएगा.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक दिग्गज नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य ने अपने राज्य में औद्योगीकरण के लिए पूंजीवादियों को लुभाने के वास्ते अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता तक की परवाह नहीं की थी. बेदाग छवि वाले भट्टाचार्य को 2011 में राज्य में 34 साल के वामपंथी शासन के पतन के लिए भी याद रखा जाएगा. भट्टाचार्य के परिवार में उनकी पत्नी मीरा और बेटी सुचेतना हैं. हाल के वर्षों में अपने खराब स्वास्थ्य के बावजूद, भट्टाचार्य बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य में एक सम्मानित व्यक्ति बने रहे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भट्टाचार्य के निधन पर शोक जताया और कहा कि वह एक ऐसे राजनीतिक दिग्गज थे जिन्होंने प्रतिबद्धता के साथ राज्य की सेवा की.
प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन से दुखी हूं. वह एक राजनीतिक दिग्गज थे जिन्होंने प्रतिबद्धता के साथ राज्य की सेवा की. उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना.” पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर शोक व्यक्त किया. बनर्जी ने कहा कि वह भट्टाचार्य के निधन से ‘स्तब्ध और दुखी’ हैं.
बनर्जी ने ‘एक्स’ पर कहा, ”पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के आकस्मिक निधन से स्तब्ध और दुखी हूं. मैं उन्हें पिछले कई दशकों से जानती थी और पिछले कुछ वर्षों में जब वह बीमार थे और घर पर थे तब मैंने उनसे कई बार मुलाकात की थी. दुख की इस घड़ी में मीरा दी और सुचेतना के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं.” भट्टाचार्य साल 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस से हार गये थे और राज्य में माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का 34 साल का शासन खत्म हो गया था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के कई अन्य नेताओं ने भट्टाचार्य के निधन पर दुख जताया और सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को याद किया.
खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर मेरी गहरी संवेदनाएं. उन्होंने पांच दशक से अधिक लंबे राजनीतिक करियर में लोगों की सेवा की. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थना उनके परिवार और साथियों के साथ हैं.” भट्टाचार्य का निधन सुबह साढ.े आठ बजे पाम एवेन्यू स्थित उनके दो कमरों वाले सरकारी फ्लैट में हुआ, जहां वह मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान और उसके बाद भी रहे थे. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने भट्टाचार्य के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि माकपा नेता ने लोगों से सम्मान और प्यार अर्जित किया. उन्होंने भट्टाचार्य को अन्य राजनीतिक नेताओं के लिए अनुकरणीय आदर्श बताया.
राजभवन की ओर से जारी एक बयान में राज्यपाल ने कहा, ”बुद्धदेव एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने सादा जीवन, उच्च विचार और साहित्य एवं संस्कृति के प्रति लगाव से समाज के सभी वर्गों के लोगों का प्यार और सम्मान हासिल किया है.” भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं तथा केरल, असम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा के मुख्यमंत्रियों ने अपनी संवेदना व्यक्त की. बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर उद्योग जगत के दिग्गजों ने भी शोक जताया है.
आरपीएसजी ग्रुप के चेयरमैन संजीव गोयनका ने एक बयान में कहा, ”बुद्धदेव भट्टाचार्य एक ऐसे व्यक्ति थे, जिनका मैं बहुत सम्मान करता था. उनमें एक बहुत ही मानवीय पक्ष था. उनका प्रेरित करने का एक अनूठा तरीका था. बंगाल ने एक महान नेता खो दिया.” ‘भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स’ के अध्यक्ष एन.जी. खेतान ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के दुखद निधन ने राज्य में एक बहुत बड़ा शून्य पैदा कर दिया है, जिसे भरना मुश्किल होगा.
‘मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स’ ने कहा कि उन्होंने बड़े पैमाने पर विनिर्माण के माध्यम से निवेश जुटाने की इच्छा के साथ राज्य का औद्योगिकीकरण करने के लिए साहसिक निर्णय किए. बंगाल के फिल्म जगत के सदस्यों ने मार्क्सवादी दिग्गज के निधन पर शोक व्यक्त किया तथा कला जगत के साथ उनके करीबी जुड़ाव को याद किया. भट्टाचार्य का जन्म एक मार्च 1944 को उत्तरी कोलकाता में हुआ था. उनके दादा कृष्णचंद्र स्मृतितीर्थ एक संस्कृत विद्वान थे जिन्होंने पुजारियों के लिए एक पुस्तिका लिखी थी.
वह प्रसिद्ध बंगाली कवि सुकांत भट्टाचार्य के दूर के रिश्तेदार थे, जिन्होंने आधुनिक बंगाली कविता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.उन्हें खुद एक सफल लेखक के रूप में जाना जाता है और वह विभिन्न परिस्थितियों में रवींद्रनाथ टैगोर को उद्धृत करने में माहिर थे.
बंगाली में प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक करने के बाद उन्होंने पूरी तरह से राजनीति में आने से पहले एक शिक्षक के रूप में काम किया और 1960 के दशक के मध्य में माकपा में शामिल हो गए. इस दौरान प्रमोद दासगुप्ता की नजर उन पर पड़ी, जिन्होंने बिमान बोस, अनिल विश्वास, सुभाष चक्रवर्ती और श्यामल चक्रवर्ती जैसे बंगाल के अन्य पार्टी नेताओं के साथ भट्टाचार्य को राजनीति का ककहरा सिखाया.
वह 1977 में पहली बार कोसीपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने गए और ज्योति बसु के नेतृत्व में वाम मोर्चा की पहली सरकार में सूचना और संस्कृति मंत्री बने. एक नौकरशाह के साथ अपने अशिष्ट व्यवहार के लिए कथित तौर पर फटकार लगाए जाने के बाद उन्होंने 1993 में अचानक कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, मजबूत सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही माकपा उन्हें एक नए चेहरे के रूप में वापस लाई और 2000 में, वह ज्योति बसु के बाद पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने. अगले वर्ष उन्होंने राज्य विधानसभा चुनावों में वाम मोर्चे को जीत दिलाई और कृषि प्रधान राज्य में तेजी से औद्योगीकरण के लिए महत्वाकांक्षी पहल शुरू की.
अपनी सरकार की विकासात्मक पहलों के कारण मीडिया ने उन्हें ‘ब्रांड बुद्ध’ की ख्याति दे डाली. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि टाटा मोटर्स को सिंगुर में एक छोटा कार संयंत्र स्थापित करने के लिए आर्किषत करना था, जो शहर से बहुत दूर स्थित एक गैरउपजाऊ कृषि क्षेत्र था.
इस परियोजना को हालांकि किसानों का कड़ा विरोध झेलना पड़ा जो कि वाम दलों का प्रमुख वोट बैंक था और अंतत: यह मार्क्सवादी सरकार के पतन की मुख्य वजहों में से एक बन गया.
उनकी सरकार को नंदीग्राम में आंदोलन का खमियाजा भी भुगतना पड़ा, जहां तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व में कृषि भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन के कारण वाम मोर्चा के वोट बैंक में बड़ी गिरावट आई. बुद्धदेव भट्टाचार्य ने 2015 में माकपा पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति से इस्तीफा दे दिया था और 2018 में पार्टी के राज्य सचिवालय की सदस्यता भी छोड़ दी थी.
पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन, माकपा सहित तमाम दलों व नेताओं ने शोक जताया
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कद्दावर नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य (80) का बृहस्पतिवार को कोलकाता स्थित उनके आवास पर निधन हो गया. माकपा के पोलित ब्यूरो, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भट्टाचार्य के निधन पर दुख जताया. कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी भट्टाचार्य के निधन पर शोक व्यक्त किया.
माकपा ने एक बयान में कहा, ”माकपा पोलित ब्यूरो पार्टी के दिग्गज नेता एवं पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करता है.” पार्टी ने कहा कि भट्टाचार्य 1966 में बतौर छात्र पार्टी में शामिल हुए और विभिन्न छात्र एवं युवा आंदोलनों में भाग लिया. वह 1968 में पश्चिम बंगाल डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन के राज्य सचिव बने. भट्टाचार्य 1971 में पार्टी की पश्चिम बंगाल राज्य समिति के लिए चुने गए और 1982 में राज्य सचिवालय के सदस्य बने. इस दौरान भट्टाचार्य एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में उभरे जिन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं.
बयान में कहा गया है कि 2015 तक पोलित ब्यूरो के सदस्य के रूप में उन्होंने पार्टी की योजनाओं को रूप देने में योगदान दिया.
माकपा ने कहा, ”बुद्धदेव ने लगभग तीन दशक तक वाम मोर्चा सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी अहम भूमिका निभाई. नवंबर 2000 में ज्योति बसु के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली और उसके बाद वह दो और कार्यकालों के लिए चुने गए.” माकपा ने कहा कि सरकार के दृष्टिकोण और नीतियों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भट्टाचार्य के निधन पर शोक जताया. उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ”पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के आकस्मिक निधन से स्तब्ध और दुखी हूं. मैं उन्हें पिछले कई दशकों से जानती थी और पिछले कुछ वर्षों में जब वह बीमार थे और घर पर थे तब मैंने उनसे कई बार मुलाकात की थी. दुख की इस घड़ी में मीरा दी और सुचेतन के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं.” पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने बृहस्पतिवार को पूर्व मुख्यमंत्री भट्टाचार्य के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि माकपा नेता ने लोगों से सम्मान और प्यार अर्जित किया. उन्होंने भट्टाचार्य को अन्य राजनीतिक नेताओं के लिए अनुकरणीय आदर्श बताया.
राजभवन ने की ओर से जारी एक बयान में राज्यपाल ने कहा, ‘बुद्धदेव एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने सादा जीवन, उच्च विचार और साहित्य एवं संस्कृति के प्रति लगाव से समाज के सभी वर्गों के लोगों का प्यार और सम्मान हासिल किया है.” बीजू जनता दल (बीजद) के सुप्रीमो नवीन पटनायक ने माकपा के वरिष्ठ नेता भट्टाचार्य के निधन पर शोक व्यक्त किया.
नवीन पटनायक ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ. उन्हें उनकी ईमानदारी, कल्याणकारी पहलों और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के लिए याद किया जाएगा.” ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने माकपा नेता के निधन पर शोक व्यक्त किया.
माझी ने कहा, ”पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ…. इस कठिन समय में उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी संवेदना हैं.” असम के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता हिमंत विश्व शर्मा ने बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर दुख जताते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन से मुझे गहरा दुख पहुंचा है. वह जनसेवा के क्षेत्र में एक अग्रणी व्यक्ति थे. विधायक, मंत्री और बाद में मुख्यमंत्री के तौर पर पांच दशकों से अधिक के उनके व्यापक अनुभव ने एक अमिट छाप छोड़ी है. मैं उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं.” केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और विधानसभा अध्यक्ष ए एन शमसीर ने बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर शोक व्यक्त किया.
मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी किए गए बयान में विजयन ने कहा कि भट्टाचार्य ने अपनी युवावस्था से ही बेहतरीन नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया था.
उन्होंने कहा कि माकपा के दिग्गज नेता हमेशा “वंचितों के साथ खड़े रहे और अधिकारियों के दमन के खिलाफ उनकी लोकतांत्रिक लड़ाई में साथ दिया.” तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने भट्टाचार्य के निधन पर दुख जताते हुए एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ”पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री के निधन से गहरा दुख हुआ है. राज्य और राष्ट्र के प्रति उनकी दृढ. निष्ठा और सेवा को हमेशा याद रखा जाएगा. उन्होंने अपना जीवन एक समतावादी समाज के निर्माण, हाशिए पर पड़े लोगों के हित के लिए काम करने और सामाजिक न्याय की वकालत करने के लिए सर्मिपत कर दिया.”
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने बृहस्पतिवार को माकपा नेता के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, ” पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ. विधायक, मंत्री और अंतत? मुख्यमंत्री के तौर पर पांच दशकों से अधिक के उनके कार्यकाल ने एक स्थायी विरासत छोड़ी है. अपनी विनम्रता, बंगाली साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान और सार्वजनिक सेवा के प्रति अटूट समर्पण के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.”
बंगाल फिल्म जगत ने बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर शोक जताया
बंगाल में फिल्म जगत के सदस्यों ने पूर्व मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर बृहस्पतिवार को शोक व्यक्त किया तथा कला जगत के साथ उनके करीबी जुड़ाव को याद किया. दक्षिण कोलकाता में पाम एवेन्यू स्थित आवास पर माकपा नेता के परिवार के शोकसंतप्त सदस्यों से मुलाकात के बाद निर्देशक गौतम घोष ने संवाददाताओं से कहा, “बुद्धदेव बाबू से जुड़ी मेरी बहुत सारी यादें हैं.” भट्टाचार्य के सूचना एवं संस्कृति मंत्री रहने तथा बाद में मुख्यमंत्री बनने के बाद घोष को उनका करीबी माना जाता था. घोष ने याद किया कि उनकी भट्टाचार्य के साथ सरकारी सांस्कृतिक परिसर नंदन और रवींद्र सदन सहित अन्य स्थानों पर लंबी चर्चाएं होती थीं.
बंगाली फिल्म अभिनेत्री रितुपर्णा सेनगुप्ता ने कहा कि वह भट्टाचार्य को एक “ईमानदार, सर्मिपत, प्रतिबद्ध नेता मानती हैं, जिन्होंने एक साधारण जीवन शैली अपनाई और एक मिसाल कायम की.” उन्होंने अतीत में कुछ अवसरों पर भट्टाचार्य से हुई मुलाकात को याद किया और उन्हें एक सौम्य, विनम्र और सुसंस्कृत व्यक्तित्व बताया.
फिल्म निर्माता कमलेश्वर मुखर्जी ने कहा, “भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल के आर्थिक विकास और औद्योगीककरण को गति देने के लिए पहल की थी. बंगाल को ऐसे दूरदर्शी नेता की कमी खलती है.” अभिनेत्री श्रीलेखा मित्रा ने कहा, “मेरे पास अपनी बात कहने के लिए शब्द नहीं हैं. वह बंगाल की औद्योगिक प्रगति और युवाओं के लिए रोजगार सृजन के लिए बहुत कुछ करना चाहते थे. लेकिन वह अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सके.” फिल्म निर्माता अनिक दत्ता ने कहा, “मैं अब भी इस खबर से उबर नहीं पाया हूं. यह मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति से भी अधिक है.” भट्टाचार्य किताबें पढ.ने के शौकीन थे. उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस पर आधारित नाटक ‘दुसमय’ लिखा था. उन्हें फिल्म देखने का भी शौक था तथा वह वाम शासन के दौरान कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में काफी रुचि लेते थे.
उनके बंगाली फिल्म जगत की कई हस्तियों से अच्छे संबंध थे, जिनमें घोष और दिवंगत तरुण मजूमदार शामिल हैं. वह दिवंगत सत्यजीत रे, मृणाल सेन, उत्पल दत्त और अन्य लोगों के भी करीबी थे. पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री भट्टाचार्य का बृहस्पतिवार को कोलकाता स्थित उनके आवास पर निधन हो गया. वह 80 वर्ष के थे.