रायपुर – जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय रायपुर के मान्यता शाखा से प्राइवेट स्कूलों के मान्यता संबंधित कई शासकीय फाइलें गायब हो गई हैं। इस संबंध में छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रवक्ता का आरोप है कि आरटीइ और महंगे फीस वसूली के शासकीय दस्तावेजों को विभाग के मान्यता अधिकारी ने गायब कर दिया है। उन्होंने इस संबंध में कलेक्टर को एसपी को एफआईआर करने के लिए ज्ञापन सौंपा है।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी का आरोप है कि शिक्षा विभाग के आला अधिकारी और प्राइवेट स्कूलों के मिलीभगत से निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार 2009 के तहत प्रदेश में गरीब बच्चों का हक छीना जा रहा है। जरूरतमंद छात्रों के स्थान पर बड़े घर के बच्चों को एडमिशन दिया जा रहा है। बिना फी नियामक 2020 लागू हुए प्राइवेट स्कूल संचालक मनमाना फीस वसूल रहे हैं। हर साल रायपुर जिले में ही सालाना करीब 500 करोड़ से अधिक रुपये की उगाही की जा रही है। पालकों और छात्रों को लूटा जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता तिवारी ने रायपुर कलेक्टर गौरव सिंह और पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह को सौंपे शिकायत पत्र में आरोप लगाया है कि निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एक अप्रैल 2010 से लागू है। इस कानून के अनुसार सत्र 2011-12 से बिना मान्यता के कोई विद्यालय जिला रायपुर में संचालित नहीं रह सकता है, जिस मान्यता को पाने के लिए प्रत्येक अशासकीय विद्यालयों को निर्दिष्ट प्रारुप-1 में आवेदन करना होगा और तीन साल में दोबारा प्रारुप-1 में आवेदन कर मान्यता का नवीनीकरण कराना होगा।
उन्होंने शिकाय पत्र में लिखा कि प्रत्येक प्रारुप-1 को जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से पब्लिक डोमेन में सार्वजानिक नहीं किए जाने के कारण मुझे सूचना का अधिकार कानून के तहत आवेदन की प्रक्रिया अंतर्गत कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी रायपुर के लोक सूचना अधिकारी माइकल मिंज के जारी पत्र दिनांक तीन जुलाई 2024 के निर्देशानुसार उक्त अभिलेखों का निरीक्षण करने चार जुलाई 2024 को 12 बजे से 3 बजे तक उपस्थित रहा, जहां निरीक्षण कराने वाले ग्रेड-2 के बाबू तरुण साहू एवं मान्यता कक्ष के रविकांत डोये ने कुछ फाइलों को मेरे सामने रखा, जिसे देखकर मालूम चला कि प्राइवेट स्कूलों के कई फाइलें गायब हैं। वर्तमान में डोये की जगह महिलांग नाम से बाबू जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और वह भी दस्तावेज गायब रहने के कारण हैंडओवर नहीं लेना बता रहे हैं। इसकी सूचना पुलिस को नहीं दिया जाना चिंताजनक हैं।