नई दिल्ली – आज के अखबारों में जब अमेरिकी चुनाव, संसद के बजट सत्र और बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश से संबंधित खबरें छाई हुई हैं तो टाइम्स ऑफ इंडिया ने नीट परिणाम से संबंधित खबर छापी है। आप जानते हैं कि देश भर के मेडिकल कालेजों में दाखिले के लिए उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया को दुरुस्त बनाने के नाम पर नरेन्द्र मोदी की सरकार ने एनटीए का गठन किया है और कई साल से परीक्षा करा रही है। इस परीक्षा में गड़बड़ी और घपले की शिकायतें हैं, मामला सुप्रीम कोर्ट में है और सरकार अपनी ओर से परीक्षा रद्द करने के लिए तैयार नहीं है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि सरकार को यह भरोसा नहीं हो कि एक बार हो चुकी परीक्षा को रद्द करके दोबारा कराया जाये तो उसमें कोई गड़बड़ी नहीं होगी। दूसरे एनटीए अगर कुछ गड़बड़ करता है या उसकी गुंजाइश छोड़ता है तो उसे चलते रहने दिया जाये और उसकी पोल न खुले। टाइम्स ऑफ इंडिया इस संबंध में खबरें छापता रहा है और आज जब यह विषय किसी भी अखबार के पहले पन्ने पर नहीं है तो टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से केंद्र और शहर वार सार्वजनिक किये गये नतीजों में जो विशेषताएं हैं और जो कल के अखबारों में नहीं छपी थीं।
वैसे तो टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी बताया है कि नीट मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। हिन्दुस्तान टाइम्स में सिंगल कॉलम की खबर टॉप पर है। आमतौर पर कोई मामला अदालत में हो तो उसकी चर्चा बाहर नहीं होती है। नीट का मामला अलग है। परीक्षा में घपले-घोटाले के पर्याप्त संकेत हैं फिर भी सरकार या परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी इसे स्वीकार नहीं कर रही है। सरकार की तरफ से कहा जा चुका है कि प्रश्नपत्र लीक नहीं हुए हैं और परीक्षा रद्द करने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार की तरफ से दलीलें दी गई हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने शहर वार और केंद्र वार नतीजे सार्वजनिक करने का आदेश दिया था। उससे संबंधित खबरें कल छपी थीं औऱ मैंने यहां उनकी चर्चा भी की थी। आज उसका विस्तार अकेले टाइम्स ऑफ इंडिया में है और इससे पता चलता है कि मामला साधारण नहीं है।
वैसे भी, नरेन्द्र मोदी सरकार में परीक्षाओं की पवित्रता संदिग्ध हो गई है, पदों की गरिमा कम हुई है और न सिर्फ उच्च शिक्षा संस्थाओं में प्रवेश की परीक्षा संदेह के घेरे में है बल्कि नौकरी की परीक्षाएं भी विवाद में रही हैं। अब जब पूजा खेदकर का मामला सामने आया तो इसे उसकी बेईमानी के रूप में पेश किया जा रहा है जबकि इस मामले में यह पहलू यह भी है कि पूजा खेदकर यह सब कर पाई और पकड़े जाने से पहले नियुक्ति हो चुकी थी। जाहिर है, अधिकारियों ने ऐसा होने दिया और व्यवस्था ऐसी है कि यह सब हो पाया। ऐसे में यह सवाल भी है कि जब पूजा के मामले में यह सब हो पाया तो क्यों नहीं माना जाये कि और मामलों में हुआ होगा या क्यों माना जाये कि और मामलों में ऐसा नहीं हुआ होगा। दूसरे मामलों की बात की जाये तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की बेटी का चयन पहले से चर्चा में है। मैं लिख चुका हूं कि उसके मामले में भी कई अनुत्तरित सवाल हैं। पर वह अलग मुद्दा है। हालांकि, यूपीएससी के चेयरमैन के इस्तीफे से यह मामला गंभीर हो गया है। और इसीलिए खबर के साथ यह भी बताया जा रहा है कि इस्तीफे का संबंध पूजा खेदकर मामले से नहीं है। लेकिन ऐसा ही है तो इसे गुप्त क्यों रखा गया?
नीट का मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि नरेन्द्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद से कई परीक्षाएं रद्द होती रही हैं और यह आम हो गया है। 23 जून 2024 की आज तक की एक खबर का शीर्षक था, 10 दिन, 5 परीक्षाएं, 38 लाख छात्र… लीक और शक के बीच झूलता युवाओं का करियर! आप समझ सकते हैं परीक्षाओं को लेकर छात्रों और अभिभावकों की क्या स्थिति होगी। परीक्षा रद्द होने की बीमारी डबल इंजन वाले यूपी बोर्ड की 10 वीं की परीक्षा तक पहुंच चुकी है। दूसरी ओर, सरकार ने ‘लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024’ यानी एंटी पेपर लीक कानून लागू किया है। इन्हीं दिनों सोशल मीडिया पर पेपर लीक सरकार शीर्षक से परीक्षाओं की एक सूची घूम रही थी। इसमें अगस्त 2014 में आर्मी रिक्रूटमेंट एग्जाम से लेकर जून 2024 में यूजीसी नेट परीक्षा की सूची थी जो रद्द किये गये हैं। अगर इस सूची पर यकीन किया जाये तो 10 साल में 25 परीक्षाएं रद्द हुई हैं। इनमें अंतिम परीक्षा की बात करूं तो इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार इसका पेपर लीक नहीं हुआ था बल्कि एक गलत खबर के आधार पर गृहमंत्रालय के निर्देश पर यह परीक्षा रद्द हुई थी।
जो भी हो, 19 जून को देर रात मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर लिखा था,नरेन्द्र मोदी जी, आप “परीक्षा पर चर्चा” तो बहुत करते हैं, “नीट परीक्षा पर चर्चा” कब करेंगे? यूजीसी नेट परीक्षा को रद्द करना लाखों छात्र-छात्राओं के जज़्बे की जीत है। ये मोदी सरकार के अहंकार की हार है जिसके चलते उन्होंने हमारे युवाओं के भविष्य को रौंदने का कुत्सित प्रयास किया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री पहले कहते हैं कि नीट में कोई पेपर लीक नहीं हुआ। जब बिहार, गुजरात व हरियाणा में शिक्षा माफ़िया की गिरफ़्तारियाँ होती हैं, तो शिक्षा मंत्री मानते हैं कि कुछ घपला हुआ है! नीट की परीक्षा रद्द कब होगी? मोदी जी, नीट परीक्षा में भी अपनी सरकार की धाँधली व पेपर लीक को रोकने की ज़िम्मेदारी लीजिए! प्रियंका गांधी ने लिखा था, भाजपा सरकार का लीकतंत्र व लचरतंत्र युवाओं के लिए घातक है। नीट परीक्षा में हुए घपले की खबरों के बाद अब 18 जून को हुई नेट की परीक्षा भी गड़बड़ियों की आशंका के चलते रद्द की गई। क्या अब जवाबदेही तय होगी? क्या शिक्षा मंत्री इस लचरतंत्र की जिम्मेदारी लेंगे? कहने की जरूरत नहीं है कि परीक्षाओं के मामले में सरकार का रुख बहुत ही लचर है। नरेन्द्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद संसद में नीट पर चर्चा की मांग के बावजूद चर्चा नहीं हो पाई थी। ऐसे में आज बजट सत्र की शुरुआत पर अखबारों ने जो लिखा-बताया है वह भी गौर करने लायक है।
इसमें खास बात यह है कि कल सर्वदलीय बैठक हुई। इसमें 44 दलों के 55 नेता शामिल हुए। बैठक में निर्दलीयों को छोड़कर एक सदस्य वाले दलों को भी बुलाया गया था। हालांकि, कोलकाता में अपनी वार्षिक शहीद दिवस रैली में व्यस्त होने के कारण तृणमूल कांग्रेस ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। तीन घंटे से अधिक चली बैठक में किरेन रीजीजू ने कहा (नवोदय टाइम्स) राजनाथ सिंह ने पिछले सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में चर्चा के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जवाब के दौरान विपक्ष के लगातार विरोध को याद किया और कहा कि इस तरह का व्यवधान नहीं होना चाहिये। आज के अखबारों में इस बैठक के आधार पर पहले पन्ने की खबरें हैं। आइये देखें संसद सत्र से संबंधित खबरों के शीर्षक क्या हैं।भड़ास से साभार