ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ 46 साल बाद रविवार दोपहर को फिर से खोला गया. अधिकारियों ने बताया कि आभूषणों, मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत करने के लिए रत्न भंडार को खोला गया है। इसे पिछली बार 1978 में खोला गया था.
भुवनेश्वर – पुरी के जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 46 साल बाद फिर से खोल दिया गया. ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के ‘रत्न भंडार’ के दरवाजे रविवार दोपहर को फिर से खोल दिए गए. ऐसा कहा जाता था कि जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार और खजाने की रक्षा करते सांप करते हैं. रत्न भंडार से अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती हैं. मगर जब 46 साल बाद रत्न भंडार का दरवाजा खुला तो ये किंवदंतियां-कहानियां महज अफवाह निकलीं. जी हां, जब रविवार को रत्न भंडार का दरवाजा खुला तो अंदर से एक भी सांप नहीं मिला.
खबर के मुताबिक, पुरी के जिलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा कि जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के अंदर हमें न तो कोई सांप और कीड़े-मकोड़े मिले या न ही कोई रेंगने वाले जानवर मिले. हालांकि, अफसरों को भी डर था कि रत्न भंडर के अंदर सांप हो सकते हैं. यही वजह है कि रत्न भंडार में सांप होने की आशंका को देखते हुए सरकार ने स्नेक हेल्पलाइन के 11 सदस्यों को तैनात किया था. तीन सदस्य किसी भी आपात स्थिति से निपटने और अंदर जाने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रत्न भंडार के बाहर तैनात थे. इतना ही नहीं, पुरी जिला अस्पताल को एंटीवेनम स्टॉक में रखने को कहा गया था.
सांपों के लिए तैयार थी सरकार
स्नेक हेल्पलाइन के महासचिव शुभेंदु मल्लिक ने कहा, ‘रत्न भंडार खुलने तक हम अपने उपकरणों के साथ पूरी तरह से तैयार थे. हालांकि, हमारी सेवाओं की आवश्यकता नहीं पड़ी क्योंकि रत्न भंडार में कोई सांप नहीं मिला.’ रत्न भंडार की कीमती वस्तुओं की सूची की निगरानी के लिए सरकार द्वारा गठित 16 सदस्यीय समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) बिश्वनाथ रथ ने कहा कि रत्न भंडार खोलने से पहले अनावश्यक प्रचार और दहशत फैलाई गई थी. उन्होंने कहा, ‘अफवाहें फैलाई गई थीं कि जो लोग रत्न भंडार खोलेंगे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. रत्न भंडार खोलने के बाद हम (11 लोग) सभी सुरक्षित हैं.’
अंदर क्या मिला?
रत्न भंडार के भीतर सांप होने की अफवाहों को देखते हुए इस दौरान सुरक्षा के लिए एक माहिर सपेरे और डॉक्टरों की टीम को तैनात किया गया था. पुरी के रत्न भंडार की रक्षा करने वाले सांपों के मिथकों का सच अब सामने आ गया है. 46 साल बाद खुले खजाने में ना तो कोई सांप मिला और ना ही कोई नुकसान हुआ. हाई-पावर कमेटी को अंदर आलमारियां और लकड़ी के संदूक मिले. बता दें कि आभूषणों, मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत करने के लिए रत्न भंडार को खोला गया है. इसे पिछली बार 1978 में खोला गया था.
कब खोला गया रत्न भंडार
अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के सदस्यों ने दोपहर करीब 12 बजे मंदिर में प्रवेश किया और अनुष्ठान करने के बाद रत्न भंडार पुनः खोला गया. ओडिशा के मुख्यमंत्री कार्यालय के मुताबिक, जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वार खोले गए थे. अधिकारियों ने बताया कि रत्न भंडार को खोलते समय 11 लोग मौजूद थे, जिसमें उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विश्वनाथ रथ, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षक डीबी गड़नायक और पुरी के नाममात्र राजा ‘गजपति महाराजा’ के एक प्रतिनिधि शामिल थे.