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जून में लगा महंगाई का झटका, थोक महंगाई दर बढ़कर 3.36% पर आई

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नई दिल्ली – जून की थोक महंगाई दर का आंकड़ा आ गया है और ये 3 फीसदी के पार निकल गई है। खाने-पीने की चीजें महंगी होने की वजह से जून में थोक महंगाई दर 16 महीने के हाई पर पहुंच गई है। थोक महंगाई दर (होलसेल महंगाई) पिछले महीने 3.36 फीसदी पर आ गई है, मई 2024 में ये 2.61 फीसदी पर रही थी।

खाद्य महंगाई दर में आई बढ़त

खाने-पीने के सामान की दर मुख्य रूप से बढ़ी है जिसका असर थोक महंगाई दर पर आया है। जून में खाद्य मंहगाई दर बढ़कर 8.68 फीसदी पर आई है जो कि मई में 7.40 फीसदी पर थी।

प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर

प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर जून में 8.80 फीसदी की दर से बढ़ी है जबकि इससे पिछले महीने ये 7.20 फीसदी पर रही थी। फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर 1.35% से घटकर 1.03% रही।

मैन्यूफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर में भी इजाफा

मैन्यूफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की महंगाई भी बढ़ी है और ये जून में 1.43 फीसदी पर रही। मई 2024 में ये आंकड़ा 0.78 फीसदी पर रहा था।

WPI का आम आदमी पर असर

थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।

जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।