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राज्यपाल को विधायकों के शपथ लेने से रोकने का कोई अधिकार नहीं – ममता बनर्जी

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बंगाल में धरने पर बैठे TMC के दो विधायक, राज्यपाल पर लगाया शपथ न दिलवाने का आरोप

कोलकाता – पश्चिम बंगाल विधानसभा के उपचुनाव में निर्वाचित तृणमूल कांग्रेस के दो विधायकों को शपथ दिलाने के स्थान को लेकर उत्पन्न विवाद के बीच राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस को यह प्रकिया रोकने का कोई अधिकार नहीं है. बनर्जी ने कहा कि राजभवन से कई घटनाओं की खबर आने के बाद उन्हें महिलाओं से शिकायतें मिली हैं जिन्होंने दावा किया है कि वे वहां जाने में असुरक्षित महसूस करती हैं.

मुख्यमंत्री ने राज्य सचिवालय में कहा, ”मेरे विधायकों सायंतिका बंदोपाध्याय और रायत हुसैन सरकार को निर्वाचित हुए एक करीब एक महीना हो गया है लेकिन अब तक वे शपथ नहीं ले पाए हैं. राज्यपाल उन्हें ऐसा करने से रोक रहे हैं. यह जनता है जिसने उन्हें चुना है, न कि राज्यपाल ने. वह शपथ लेने के उनके अधिकार से वंचित नहीं कर सकते हैं.” उन्होंने कहा, ”क्यों सभी को राजभवन जाना चाहिए? राज्यपाल (विधानसभा) अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को अधिकृत कर सकते हैं या स्वयं विधानसभा आ सकते हैं. महिलाओं ने मुझे सूचित किया है कि राजभवन से आई खबरों के मद्देनजर वे वहां जाने से डरती हैं.”

राज्यपाल ने हाल में हुए उपचुनाव में निर्वाचित दोनों विधायकों को बुधवार को राजभवन में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था. हालांकि, उन्होंने यह कहते हुए आमंत्रण को अस्वीकार कर दिया कि परंपरा के अनुसार उपचुनाव जीतने वाले उम्मीदवार के मामले में राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को शपथ दिलाने का काम सौंपते हैं. राज्यपाल विधानसभा में शपथग्रहण समारोह आयोजित करने से इनकार करते हुए बुधवार दोपहर नयी दिल्ली के लिए रवाना हो गए.

इसके जवाब में वराहनगर से निर्वाचित विधायक सायंतिका बंदोपाध्याय और भगबानगोला से निर्वाचित हुए रायत हुसैन सरकार विधानसभा परिसर में भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के सामने बैठ गए. उन्होंने मांग की कि राज्यपाल बोस विधानसभा के अंदर शपथग्रहण समारोह आयोजित कराकर उन्हें निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के कर्तव्य का निर्वहन करने दें.

संतों पर ममता की टिप्पणी : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने विहिप की याचिका का किया निस्तारण

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने चुनावी रैली के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा एक संत के खिलाफ की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की ओर से दाखिल याचिका का बृहस्पतिवार को निस्तारण कर दिया. अदालत ने टिप्पणी की कि ऐसे मामलों को जनहित याचिका के दायरे में नहीं लिया जा सकता. मुख्यमंत्री की ओर से पेश महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने दलील दी कि जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री ने चुनावी रैली के दौरान किसी विशेष संत को लेकर कुछ बातें कहीं.

जनहित याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया था कि वह समाज में शुचिता बनाए रखने तथा किसी विशेष समुदाय को किसी विशिष्ट धार्मिक और आध्यात्मिक संगठनों से संबद्ध होने के कारण अपमानित नहीं करने का निर्देश दे. मुख्य न्यायधीश टी.एस. शिवज्ञाणम की पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि ऐसे मामलों को जनहित याचिका के तौर पर निपटा नहीं जा सकता और मांगी गई राहत की अनुमति नहीं दी जा सकती. पीठ में न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य भी शामिल थे.

अदालत ने कहा, ”लेकिन याचिकाकर्ता अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए अन्य माध्यमों का इस्तेमाल कर सकता है.” विश्व हिंदू परिषद की दक्षिण बंगाल इकाई ने लोकसभा चुनाव के दौरान आयोजित एक रैली में ममता बनर्जी द्वारा मुर्शिदाबाद के एक संत के खिलाफ की गई कथित टिप्पणी को लेकर अदालत का रुख किया था.