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दिल और दल बदलने वाले पत्रकारों की 4PM वाले संजय शर्मा ने इंदौर में लंका लगा दी

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लखनऊ /इंदौर – इंदौर में गौरवशाली स्टेट प्रेस क्लब ने भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का इस वर्ष भी आयोजन किया गया. आयोजन में तमाम दिग्गजों के साथ लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा भी आमंत्रित किए गए थे.

21, 22 और 23 जून यानी तीन दिवसिय इस आयोजन में बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए संजय शर्मा ने अपनी कहानी बताते हुए गोदी मीडिया को जमकर धोया. कैसे पत्रकारों का दिल और दल बदलने की कहानी भी उन्होंने सुनाई. वे कौन पत्रकार हैं जो आज दिल और दल बदलने के बाद गनर लेकर घूम रहे हैं.संजय शर्मा के पास भी दिल और दल बदलने का ऑफर आया था तो उन्होंने कैसे ठुकरा दिया. ये सारी बातें संजय शर्मा ने नीचे दिए वीडियो में विस्तार से कही बताई हैं ।

पूरे भारत में अपने बेबाक व निर्भीक पत्रकारिता व एनकरिंग से सत्ता की चूले हिला देने वाले वरिष्ठï पत्रकार व यूट्यूब 4 पीएम के संपादक संजय शर्मा ने दिल और दल बदलने वाले पत्रकारों को कथनी व करनी को आइना दिखाया है। उन्होंने कहा कि नेताओं ही नहीं पत्रकारों के दिल भी सत्ता के लिए बदल जाते हैं। श्री शर्मा ने इंदौर में प्रेस क्लब के एक समारोह में ये बातें साझा की। बता दें इंदौर गौरवशाली स्टेट प्रेस क्लब भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का इस वर्ष भी आयोजन कर रहा है।
इस आयोजन में तमाम दिग्गजों के साथ लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा भी आमंत्रित किए गए थे। 21, 22 और 23 जून यानी तीन दिवसीय यह समारोह चला।

इस आयोजन में बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए संजय शर्मा ने अपनी कहानी बताते हुए गोदी मीडिया को जमकर धोया। 4 पीएम यूट्यब चैनल के सर्वेसर्वा संजय शर्मा ने इंदौर में आयोजित कार्यक्रम में अपने अखबार से लेकर यूट्यूब चैनल की यात्रा की पूरी कहानी भी सुनाई। चैनल से पहले वह शाम का अखबार निकालते थे जो आज भी जनता से जुड़े मुद्दे उठा रहा है। श्री शर्मा ने कहा कि छोटे से शहर से आकर यूपी की राजधानी लखनऊ में कुछ अखबारों से होते हुए अपनी स्वतंत्र पत्राकारिता शुरू की और सत्ता पक्ष के विज्ञापन की बजाए उस खबर को दिखाया जिसे सरकारें दिखाना नहीं चाहती थी। उन्होंने कहा कि उनका अखबार हमेशा सच के साथ खड़ा रहता है।

‘सरकारी दमन के आगे नहीं झुका’

संजय शर्मा ने अपने साथ हुए सरकारी दमन की कहानी भी बताई। उन्होंने बताया कि 2017 में जब यूपी में बीजेपी की सरक ार आई तो उनको क ई बार सरकार के खिलाफ सच न लिखने के लिए धन, बल से दबाने की कोशिश की गई। कभी ईओडब्ल्यू, पुलिस, ईडी व आईटी के नोटिसों से डराने का प्रयास किया गया। इतना ही नहीं उनके व उनकी पत्नी पर एक बड़े पुलिस अफसर द्वारा मुकदमा भी दर्ज करवाया गया। उनके कार्यालय पर गुंडों द्वारा हमला भी किया गया। पर उन्होंने अपनी कार्यशैली से कोई समझौता नहीं किया। वह आज भी सत्ता से सवाल पूछना जारी रखे हुए हैं।

राजनेता से ज्यादा खतरनाक नौकरशाह

अपने विचार साझा करते हुए वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा ने कहा कि नेताओं से ज्यादा खतरनाक नौकरशाह होते हैं। वही एक नेता की छवि को खराब कर देते हैं। उन्होंने कहा नौकरशाह दो साल पढ़कर आईएएस बन जाते हैं फिर जनता से अपने को बड़ा समझने लगते हैं। जबकि नेता हर पांच साल में जनता के पास परीक्षा देने जाते हैं ऐसे में नेता अगर जनता से दूर होंगे तो वह फिर कभी चुनाव जीत नहीं पाएंगे।

अयोध्या व यूपी ने दिखाई नई दिशा

संजय शर्मा ने बीजेपी के अयोध्या हारने पर कहा कि अयोध्या ने इसबार देश की राजनीति को एक दिशा दी है। उन्होंने कहा कि इस देश के आमजन को नफरत की सियासत पसंद नहीं है। श्री शर्मा ने कहा कि इससे पहले भी अयोध्या ने एकबार दिशा दिखाई थी जब बाबरी मस्जिद ढहने के बाद बीजेपी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। उन्होंने आगे कहा कि यूपी ने इसबार बीजेपी की सीटें कम करके देश में एक नई राजनीति का संकेत दिया। अपनी बात दुष्यंत कुमार के शेर के साथ खत्म करते हुए उन्होंने कहा कुहांसा छंटेगा और नर्ई सुबह आएगी।

सत्ता के चाटुकार बने पत्रकार

संजय शर्मा ने कहा उनके पास भी दिल और दल बदलने का ऑफर आया था तो उन्होंने कैसे ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि दस साल पहले जो लोग दस जनपथ के आगे पीछे घूमते थे वह आज सत्ता के चाटुकार हो गए हैं। श्री शर्मा ने पत्रकारों का दिल और दल बदलने की कहानी भी सुनाई। वे कौन पत्रकार हैं जो आज दिल और दल बदलने के बाद गनर लेकर घूम रहे हैं।

समाज शिक्षित होगा तो नेता भी संस्कारी होंगे : संजय द्विवेदी

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति संजय द्विवेदी ने कहा कि जब समाज शिक्षित होगा और उसमें संस्कार होंगे तो नेता ख़ुद बा ख़ुद संस्कार वाले पैदा हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर नेता का मन एक विचारधारा से ऊब कर दूसरी तरफ चला जाता है तो उसे गलत नहीं समझा जाना चाहिए।

ईमानदारी के साथ पत्रकारिता करना बहुत मुश्किल : दीपाली

जी टीवी की एंकर दीपाली ने कहा कि इस दौर में ईमानदारी के साथ पत्रकारिता करना बहुत मुश्किल हो गया है। इस दौर में जो पत्रकार ईमानदारी से काम करना चाहें तो मालिक ही उन्हें यह नहीं करने देते।