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BJP से किस डर के चलते स्पीकर की कुर्सी मांग रहे TDP और JDU, जानें क्यों इतनी अहम है यह कुर्सी

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बीजेपी अपने सहयोगी दलों से सरकार बनाने को लेकर बातचीत कर रही है. इसी बीच यह चर्चा जोरों पर है कि एनडीए में शामिल टीडीपी और जेडीयू लोकसभा स्‍पीकर का पद मांग रहे हैं और बीजेपी ऐसा नहीं चाहती.

बीजेपी एनडीए की सरकार बनाने के लिए लगातार अपने सहयोगी दलों से संपर्क साध रही है. आज एनडीए की अहम बैठक भी हुई है. उम्‍मीद जताई जा रही है कि जल्‍द ही बीजेपी की ओर से नई सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है. इसी बीच राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि बीजेपी के घटक दल बीजेपी से टीडीपी और जदयू लोकसभा में स्‍पीकर का पद की मांग कर रहे हैं, हालांकि अभी तक इस बारे में दोनों दलों की तरफ से खुलकर कोई बात सामने नहीं आई है, लेकिन अंदरखाने में यही चर्चा है कि ये दोनों दल अपने लिए बीजेपी के सामने कुछ मांग रख सकते हैं, जिसमें एक प्रमुख मांग लोकसभा स्‍पीकर का पद भी हो सकता है. कहा यह भी जा रहा है कि बीजेपी किसी भी सूरत में किसी दूसरे दल के व्‍यक्‍ति को इस पद पर नहीं बैठाना चाहती. आइए जानते हैं कि आखिर लोकसभा स्‍पीकर का पद क्‍या होता है और उसके अधिकार क्‍या होते हैं.

क्‍या होते हैं लोकसभा स्‍पीकर का अधिकार
लोकसभा स्‍पीकर का पद सदन में काफी अहम होता है. स्‍पीकर ही लोकसभा सदन का मुखिया होता है. स्पीकर न केवल सदन के अनुशासन को सुनिश्चित करता है, बल्कि इसके उल्‍लंघन पर लोकसभा सदस्‍यों को दंडित करने का भी अधिकार रखता है. लोकसभा स्‍पीकर की भूमिका और अहम तब हो जाती है. जब किसी दल या गठबंधन का बहुमत परीक्षण कराना होगा. दोनों पक्षों के वोट बराबर होने पर वह मतदान करने का भी अधिकारी होता है. ऐसे में स्पीकर का वोट निर्णायक और महत्वपूर्ण हो जाता है. लोकसभा स्‍पीकर सदन की प्रक्रियाओं जैसे स्‍थगन प्रस्‍ताव, अविश्वास प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव आदि की भी अनुमति देता है. इसके अलावा स्पीकर संविधान के अनुच्छेद 108 के तहत वह संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता भी करता है. इतना ही नहीं स्‍पीकर ही लेाकसभा में विपक्ष के नेता को मान्‍यता देने पर भी फैसला करता है. लोकसभा स्‍पीकर ही सदन के सभी संसदीय समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है और उनके कार्यों पर निगरानी रखता है.

कितनी मिलती है सैलरी ?
लोकसभा का स्पीकर को 1954 के संसद अधिनियम के तहत वेतन, भत्ते और पेंशन आदि की सुविधाएं दी जाती है. दिसंबर 2010 में इस अधिनियम में कुछ संशोधन भी किया गया था. विशेष अधिनियम के मुताबिक लोकसभा स्पीकर को 50 हजार रुपए की सैलरी मिलती है. यहां यह जान लेना जरूरी है कि लोकसभा स्‍पीकर भी सदन का सदस्‍य ही होता है. लोकसभा स्‍पीकर को भी हर महीने 45 हजार रुपये निर्वाचन क्षेत्र का भत्ता मिलता है. स्‍पीकर को समितियों की बैठकों में हिस्‍सा लेने के लिए रोजाना 2 हजार रुपए भत्‍ता भी मिलता है. कार्यकाल समाप्‍त होने के बाद लोकसभा स्‍पीकर को पेंशन भी दी जाती है.