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RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले-संघ ने कभी नहीं किया आरक्षण का विरोध, जब तक जरूरी हो इसका लाभ मिलता रहे

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार कहा कि संघ परिवार ने समाज के कुछ वर्गों को दिए गए आरक्षण का कभी विरोध नहीं किया है। मोहन भागवत का  बयान ऐसे समय आया है जब विपक्षी दल दावा कर रहे हैं कि अगर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) लोकसभा चुनाव जीतकर लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी करती है तो संविधान को बदल देगी। बीजेपी सरकार बनने पर आरक्षण की नीति को भी खत्म कर देगी।

मानना है कि आरक्षण का लाभ तब तक दिया जाना चाहिए जब तक इसकी जरूरत हो। आरएसएस बीजेपी का वैचारिक संगठन माना जाता है। मौजूदा लोकसभा चुनाव में बीजेपी जीत की हैट्रिक बनाने के टारगेट के साथ चुनाव लड़ रही है। बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 282 सीटें और 2019 के लोकसभा चुनावों में303 सीटें जीती थीं। इस बार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा की 543 सीटों में से अकेले बीजेपी के लिए 370 से अधिक सीटें और पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लिए 400 से अधिक सीटें जीतने का आह्वान किया है।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी का 400 सीटें जीतने का लक्ष्य
बीजेपी की ओर से अपने चुनाव प्रचार में बार बार लोगों से इस बार लोकसभा चुनाव में 400 से ज्यादा सीटों पर जीत दिलाने की अपील की जा रही है। साथ ही बीजेपी के कुछ नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर बयान दिया है कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो संविधान में संशोधन किया जाएगा। इससे विपक्षी पार्टियों को यह आरोप लगाने का मौका दे दिया है कि अगर बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी। इससे संविधान और हाशिए पर चल रहे लोगों को मिल रहा आरक्षण का लाभ खत्म हो जाएगा।

विपक्ष के आरोपों पर बीजेपी ने भी किया है पलटवार
वहीं बीजेपी ने भी संविधान बदलने से जुड़े कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों के आरोपों को झूठा बताया है। बीजेपी ने यह कहना शुरू कर दिया गया है कि अगर कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया ब्लॉक अगर सत्ता में आई तो दलितों और ओबीसी को आरक्षण के कोटा लाभ से वंचित कर देगी और अपने वोट-बैंक को ध्यान में रखते हुए धर्म-आधारित आरक्षण के लिए जमीन तैयार करेगी। साथ ही बीजेपी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस अगर सत्ता में आई तो लोगों से उनकी संपत्ति छीन लेगी और Inheritance Act दोबारा कड़ाई से लागू करेगी।

9 साल पहले भागवत के बयान ने बिगाड़ा था खेल
बता दें कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले, मोहन भागवत ने एक विवादास्पद बयान दिया। आरएसएस प्रमुख ने कहा था कि आरक्षण नीति की “समीक्षा” का की जानी चाहिए। भागवत की इस टिप्पणी के बाद विपक्षी पार्टियों को बैठे बिठाए एक मुद्दा मिल गया था। विपक्षी पार्टियों ने यह कहना शुरू कर दिया था कि संघ की सलाह पर बीजेपी चुनाव जीतते ही आरक्षण काे समाप्त कर देगी। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था। महागठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पीछे छोड़ दिया था।