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लोकसभा चुनाव से पहले नोटों की गड्डी पर सोए नजर आए नेता, तस्वीर सामने आते ही मचा बवाल

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नई दिल्ली – लोकसभा चुनाव 2024 के ऐलान के बाद से सियासी पारा गरमाया हुआ है। चुनावी मैदान में उतरने के साथ ही अब नेताओं के सियासी बयानबाजी का दौर भी शुरू हो चुका है। इसके साथ ही आरोप प्रत्यारोप का दौर भी चरम पर है। कांगना रनौत पर अभद्र टिप्पणी करने के बाद अब कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने भाजपा के सहयोगी दल के नेता की तस्वीर शेयर कर एक बार फिर सत्तारूढ़ भाजपा को आड़े हाथों लिया है।

सुप्रिया श्रीनेत ने अपने अधिकारिक X अकाउंट पर एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि 500 रुपए के नोटों की गड्डियों पर सोया हुआ यह आदमी बेंजामिन बसुमतारी है। यह असम में BJP के गठबंधन दल UPPL पार्टी का सदस्य है। UPPL के प्रमुख प्रमोद बोरो हैं, जो अमित शाह के बेहद करीबी हैं। BJP के साथ UPPL ने भी ‘भ्रष्टाचार से दूर रहने’ की प्रतिज्ञा ली थी। कमाल है! चुनाव सिर पर है, आचार संहिता लगी हुई है, BJP और उनके मित्र नोटों की गड्डी पर सो रहे हैं। ED वाले गाड़ी से निकले ज़रूर थे, रास्ते में डीज़ल ख़त्म हो गया, वरना मज़ाल है मोदी जी ऐसा होने देते! और अब देखियेगा, नोएडा के कमांडो वारियर एंकर इस पर इतने सारे डिबेट करेंगे कि सरकार को थक कर कार्यवाही करनी ही पड़ेगी!

Pramod Boro  यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल के अध्यक्ष

बता दें कि प्रमोद बोरो यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल के अध्यक्ष हैं। उनके नेतृत्व में, यूपीपीएल बीटीसी चुनाव, 2020 में भाजपा और जीएसपी के गठबंधन के साथ सत्ता में आई है। वह हाग्रामा मोहिलरी को पछाड़कर 15 दिसंबर 2020 से बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) के मुख्य कार्यकारी सदस्य (CEM) बन गए थे। प्रमोद बोरो ने एबीएसयू के अध्यक्ष रहते हुए ऐतिहासिक बीटीआर शांति समझौते, 2020 पर हस्ताक्षर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो सभी एनडीएफबी गुटों, एबीएसयू और सरकार के बीच नई दिल्ली में हस्ताक्षरित एक त्रिपक्षीय समझौता था।

कौन हैं प्रमोद बोरो

प्रमोद बोरो एक बहुत ही संघर्षशील कृषक परिवार से हैं, स्कूली शिक्षा और पढ़ाई के दौरान उनका जीवन आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण था। वह निम्न प्राथमिक चरण के दौरान अपने गाँव के स्कूल गए और बाद में वह उच्च प्राथमिक-मैट्रिकुलेशन के लिए तामुलपुर एचएस स्कूल गए। अपनी उच्च माध्यमिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह उच्च अध्ययन के लिए गुवाहाटी कॉलेज चले गए , आर्थिक बाधाओं के कारण उन्होंने आजीविका कमाने के लिए कॉलेज छोड़ दिया, वह दिहाड़ी मजदूर और रिक्शा चालक के रूप में काम करते थे। यहां तक ​​कि वह अपने दोस्तों के साथ मेघालय में कोयला खनन के लिए भी गए। कुछ महीनों के बाद, वह रंगिया कॉलेज में अपनी पढ़ाई करने के लिए लौट आए और 1994 में अपनी डिग्री पूरी की। उसके बाद वह ABSU के नाम से राजनीति में शामिल हो गए।