शिमला – राज्यसभा चुनाव में भाजपा के लिए क्रॉस वोटिंग करने वाले छह कांग्रेस विधायकों को हिमाचल विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया। बागी विधायकों पर दल-बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई हुई है। विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानियां ने कहा कि विधायकों ने चुनाव कांग्रेस के सिंबल पर लड़ा, लेकिन वोट भाजपा के पक्ष में दिए। यह पार्टी के व्हिप का उल्लंघन है।
स्पीकर ने कहा कि मैंने दोनों पक्षों को सुना। तीस पन्नों का ऑर्डर दिया है। मैं घोषणा करता हूं कि छह लोग तत्काल प्रभाव से हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं रहेंगे। जिन विधायकों पर कार्रवाई की गई है उनमें सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजेंद्र राणा सिंह, चैतन्य शर्मा, देवेंद्र भुट्टो, इंदर दत्त लखनपाल शामिल हैं।
अब आगे क्या होगा? क्या सुक्खू सरकार संकट से उबर गई?
6 बागी विधायकों पर हुई कार्रवाई से ऐसा प्रतीत होता है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सरकार राजनीतिक संकट से सफलतापूर्वक निपट गई है। हिमाचल विधानसभा में 68 सीटें हैं। इनमें कांग्रेस के 40 विधायक थे। बहुमत का आंकड़ा 35 का था। 6 विधायक बागी हुए तो कांग्रेस का नंबर 34 पर आ गया था। यह बहुमत से एक नंबर कम था।
अब स्पीकर ने 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है तो विधानसभा की क्षमता 62 की हो गई है। अब बहुमत का आंकड़ा 32 का है। भाजपा के पास 25 विधायक हैं। निर्दलीय भी उनके पाले में हैं। ऐसे में कांग्रेस फिलहाल संकट से उबरती नजर आ रही है।
हिमाचल की सियासत के अहम घटनाक्रम
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस छह विधायकों द्वारा क्रॉस-वोटिंग के बाद अभिषेक मनु सिंघवी और भाजपा नेता हर्ष महाजन को 34-34 वोट मिले। हालांकि ड्रॉ में सिंघवी हार गए।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने बुधवार को छह विधायकों को विधानसभा से अयोग्य ठहराने की कांग्रेस की मांग पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस्तीफा देने की अटकलों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि न तो आलाकमान, न ही किसी और ने मुझसे इस्तीफा मांगा है और कहा कि कांग्रेस सरकार राज्य में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।
स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने बुधवार को विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर सहित 15 भाजपा विधायकों को सदन से निष्कासित कर दिया। उन पर हंगामा करने का आरोप लगा था।
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार सुबह कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दिया। शाम को वे पलट गए। कहा कि जब तक पार्टी नेताओं के साथ बातचीत पूरी नहीं हो जाती, वह अपने इस्तीफे पर जोर नहीं देंगे। उन्होंने पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों से मुलाकात के बाद दावा किया कि सरकार कभी संकट में नहीं थी।
विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार सुबह राजभवन गया और राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से यह सुनिश्चित करने को कहा कि वित्त विधेयक केवल मतदान के माध्यम से पारित किया जाए।
वरिष्ठ नेता भूपिंदर एस.हुड्डा समेत कांग्रेस के तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने बुधवार रात वरिष्ठ नेताओं और विधायकों से चर्चा की। बैठकों के बाद पत्रकारों से बात करते हुए हुडा ने अधिक जानकारी दिए बिना कहा कि हमने सभी नेताओं से बात की है।
दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व ने तीन पर्यवेक्षकों-भूपेश बघेल, भूपिंदर सिंह हुड्डा और डीके शिवकुमार को शिमला भेजा है। पार्टी ने संकेत दिया था कि वह कुछ कड़े कदम उठा सकती है।
कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ वोट करने के बाद कांग्रेस और तीन निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार की रात भाजपा शासित हरियाणा के पंचकुला के एक गेस्टहाउस में बिताई। वे बुधवार को विधानसभा सत्र में शामिल हुए और बाद में उनके फिर से पंचकुला के लिए रवाना होने की सूचना मिली।