Home देश मराठा आरक्षण – प्रदर्शनकारियों ने जलाई सरकारी बस, कर्फ्यू लगा

मराठा आरक्षण – प्रदर्शनकारियों ने जलाई सरकारी बस, कर्फ्यू लगा

25
0

जालना,महाराष्ट्र – मराठा आरक्षण का मुद्दा अब भड़क गया है। सोमवार को अंबाद तालुका के तीर्थपुरी शहर के छत्रपति शिवाजी महाराज चौक पर मराठा प्रदर्शनकारियों ने राज्य परिवहन की बस में आग लगा दी। इसके बाद महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम ने अगली सूचना तक ज़िले में बस सेवा बंद कर दी हैं।

एमएसआरटीसी ने कहा कि मराठा आंदोलनकारियों द्वारा कथित तौर पर एक बस में आग लगाए जाने के बाद एसपी जालना के सुझाव पर यह कदम उठाया गया है। एमएसआरटीसी ने आगे कहा कि मराठा आंदोलनकारियों द्वारा कथित तौर पर एक बस में आग लगाए जाने के बाद पुलिस कम्प्लेन दर्ज़ की गई है।

तो वहीं दूसरी ओर मनोज जरांगे द्वारा मराठा आरक्षण के लिए चलाए जा रहे आंदोलन के मद्देनजर कानून-व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र के जालना जिले के अंबड तालुका में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की अपनी मांग को लेकर आंदोलन

जालना के जिलाधिकारी श्रीकृष्ण पांचाल ने आदेश में कहा कि जरांगे ने रविवार को घोषणा की कि वह मुंबई जाएंगे और मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की अपनी मांग को लेकर आंदोलन करेंगे। इसमें कहा गया है कि ऐसी आशंका है कि लोग उन्हें (मुंबई जाने से) रोकने के लिए जालना के अंतरवाली सरती गांव में आ सकते हैं, जहां कार्यकर्ता भूख हड़ताल कर रहे हैं।

आदेश में कहा गया है कि भारी भीड़ के कारण धुले-मुंबई राजमार्ग और आसपास के अन्य इलाकों पर यातायात प्रभावित होने की आशंका है। आदेश में कहा गया है कि कानून – व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सोमवार आधी रात से अगले आदेश तक अंबड तालुका में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

जिलाधिकारी ने कहा कि सरकारी कार्यालयों, स्कूलों, राष्ट्रीय राजमार्गों पर आवाजाही, दूध वितरण, मीडिया और अस्पतालों को इस आदेश से छूट दी गई है। जरांगे रविवार की रात अंतरवाली सरती से रवाना होकर पास के भांबेरी गांव पहुंचे। हालांकि, सोमवार सुबह प्रदर्शनकारी कार्यकर्ता अंतरवाली सरती लौट आए और चिकित्सा उपचार लेना शुरू कर दिया।

आपको बता दें कि मराठा समुदाय कई सालों से मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है। हालांकि महाराष्ट्र विधान सभा (निचले सदन) ने फरवरी में पेश किए गए मराठा आरक्षण विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। जिसका उद्देश्य मराठों को 50 प्रतिशत की सीमा से ऊपर 10 प्रतिशत आरक्षण देना था।