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कोरबा – सफेद उल्लू को देखने के लिए लगी ग्रामीणों की भीड़, पूरे दिन करते रहे देखभाल

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रेस्क्यू टीम के विशेषज्ञ शत्रुघ्न कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि इस दुर्लभ प्रजाति के उल्लू को बर्न्ट आउल कहा जाता है. भारत में उल्लू बहुत आम हैं।

कोरबा – छत्तीसगढ़ के कोरबा में तिवरता में रहने वाले गोगपा नेता के घर की बाड़ी में एक अजीबोगरीब जीव जा पहुंचा। जिसे देखने ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। पहले तो लोग जीव को लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे थे, लेकिन कुछ लोगों ने उसकी पहचान सफेद उल्लू के रूप में की। वह दिन के उजाले में उड़ नही पा रहा था। उसकी देखरेख में ग्रामीण पूरे दिन जुटे रहे।

बताया जा रहा है कि कटघोरा वनमंडल अंतर्गत ग्राम तिवरता में विनय जायसवाल रहते हैं। वे युवा मोर्चा गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी के महासचिव पद पर पदस्थ हैं। प्रतिदिन की तरह सुबह सबेरे परिजन बाड़ी की ओर गए हुए थे, इसी दौरान उनकी नजर एक जीव पर पड़ी, जो देखने से अजीब लग रहा था। यह खबर देखते ही देखते पूरे गांव में फैल गई। ग्रामीण भारी संख्या में मौके पर जा पहुंचे। मामले की जानकारी जायसवाल ने वन विभाग के अलावा पक्षी प्रेमियों को दी। जिन्होंने पक्षी की पहचान सफेद उल्लू के रूप में की।

उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि सफेद उल्लू कृषि क्षेत्रों व गांव के खुले स्थानों को पसंद करते हैं। यह बाड़ों अथवा अन्य उपयुक्त स्थानों पर रहता है। सफेद उल्लू रात्रि के समय शिकार के लिए निकलता है। संभवत: सफेद उल्लू शिकार के लिए निकला होगा, इसके बाद समय रहते लौटा नही होगा। वह शाम ढलने के बाद अपने घोंसले की ओर जा सकता है। यह जानकारी मिलने के बाद जायसवाल और उनके परिजन सफेद उल्लू की देखरेख में जुटे रहे।
बिहार के सीवान में पहली बार दुर्लभ प्रजाति का पक्षी मिला है. यह एक या दो नहीं बल्कि चार संख्या में पाया गया. दुर्लभ सफेद उल्लू मिलने की सूचना मिलते ही देखने वालों की भीड़ लग गई। लोग कौतूहल से सफेद उल्लू को देखते नजर आए। प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह बर्फ से ढके स्थानों पर रहने वाला एक सफेद उल्लू है, जो यूरोप की ऊंची चोटियों और हिमालय जैसे पहाड़ी इलाकों में रहता है। सफेद उल्लू कम ही देखने को मिलता है।

एक घर से मिले दुर्लभ पक्षी के चार बच्चेसीवान
जिले के गुठनी थाने के विसवार गांव निवासी मनन सिंह के घर से एक दुर्लभ पक्षी के चार बच्चे मिले हैं. लोग उन्हें देखने आ रहे हैं. इस सफेद उल्लू के पंख मुलायम लेकिन कांटेदार होते हैं।
गांव के बुजुर्ग भी इसे दुर्लभ पक्षी मानते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि खलिहान उल्लुओं का जोड़ा सर्दियों के मौसम में ठंडे क्षेत्रों से आया होगा और प्रजनन के मौसम के दौरान यहां अपने अंडे दिए होंगे।

आवाज बंद कमरे से आ रही थी, घर वालों को लगा कि यह सांप है.
मामन सिंह का कहना है कि आवाज बंद कमरे से आ रही है. आवाज किसी बड़े साँप जैसी लग रही थी। इस संबंध में रेस्क्यू टीम को बुलाया गया. रेस्क्यू टीम ने जैसे ही बंद कमरे का दरवाजा खोला तो सभी की आंखें फटी की फटी रह गईं। वहाँ चार दुर्लभ पक्षी के बच्चे थे जो साँप के बजाय उल्लू की तरह दिखते थे। इसकी सूचना वन विभाग को दी गयी. हालांकि अभी तक वन विभाग की टीम नहीं पहुंची है.