नई दिल्ली – कांग्रेस ने ‘हिट-एंड-रन’ (सड़क दुर्घटना के बाद मौके से भाग जाना) के मामलों में कड़ी सज़ा के प्रावधान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे ट्रक चालकों का समर्थन करते हुए मंगलवार को कहा कि कानून का दुरुपयोग “वसूली तंत्र” और “संगठित भ्रष्टाचार” को बढ़ावा दे सकता है। पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर अवसंरचना क्षेत्र में निवेश को रोकते हुए ‘गरीब को दंडित’ करने का आरोप लगाया। खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार की रणनीति जनसंपर्क (पीआर) करने और कुछ भी प्रदान नहीं करने की है।
उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, “भाजपा के ‘अच्छे दिन’ से लेकर ‘अमृत काल’ तक, भारत की प्रगति को रोकने की राह में सिर्फ काल्पनिक मील के पत्थर हैं।” हिट-एंड-रन’ (दुर्घटना के बाद मौके से भाग जाना) मामलों के लिए नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत जेल और जुर्माने की सज़ा के कड़े प्रावधान हैं, जिसके खिलाफ कुछ ट्रक, बस और टैंकर संचालकों ने सोमवार को तीन दिवसीय हड़ताल शुरू की। खरगे ने कहा, “अवसंरचना परियोजनाओं को मोदी सरकार का वित्तपोषण 14 साल में सबसे कम है।
भाजपा कड़े कानूनों के माध्यम से गरीब ट्रक चालकों को अन्यायपूर्ण रूप से परेशान करना और दंडित करना चाहती है, लेकिन उसकी सरकार देश की प्रगति के लिए नए अवसंरचना निर्माण में निवेश नहीं करना चाहती है।” कांग्रेस प्रमुख ने दावा किया, “उनकी लूट और सुस्ती साथ-साथ चलती है। पिछले बजट में पूंजीगत निवेश (कैपेक्स) में बढ़ोतरी के फर्जीवाड़े के बावजूद, सरकार द्वारा वित्त पोषित नई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के मूल्य में पिछले वर्ष की तुलना में 81 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है। इसी अवधि में निजी निवेश के मूल्य में भी 78 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो गैर-अनुकूल वातावरण का संकेत करता है।”
उन्होंने दावा किया कि 837 अवसंरचना परियोजनाएं तीन साल से अधिक समय से विलंबित हैं और केंद्रीय क्षेत्र की 23 फीसदी अवसंरचना परियोजनाओं की लागत 4.31 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। खरगे ने कहा कि मोदी सरकार की तीन रणनीतियां हैं।
1. गरीब को दंडित करना और उन्हें लूटते रहना।
2. सार्वजनिक संपत्ति को बेचना, निवेश रोकना और उन्नति बाधित करना।
3. पीआर प्रोपगैंडा करना, लेकिन देना कुछ भी नहीं।”
औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में प्रावधान है कि लापरवाही से गाड़ी चलाकर गंभीर सड़क दुर्घटना का कारण बनने वाले और पुलिस या प्रशासन के किसी भी अधिकारी को सूचित किए बिना भागने वाले वाहन चालकों को 10 साल तक की सजा या सात लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।