रायपुर – विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल में इस बार नए और पुराने चेहरों के साथ समाज के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया गया है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री द्वय अरुण साव और विजय शर्मा के बाद मंत्रिमंडल में जिन नौ मंत्रियों को शामिल किया गया है. उनमें पूर्व सरपंच से लेकर शिक्षक और आईएएस तक शामिल हैं. इन नौ मंत्रियों में पांच नए चेहरे हैं, वहीं चार पूर्व मंत्रियों को जगह मिली है.
आठवीं बार के विधायक बृजमोहन पांचवीं बार बने मंत्री
रायपुर दक्षिण से विधायक बृजमोहन अग्रवाल आठवी बार के विधायक हैं. वह अविभाजित मध्यप्रदेश में पटवा सरकार में मंत्री रहे, इसके बाद रमन सरकार के तीनों कार्यकाल में मंत्री रहे हैं. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी महंत रामसुंदर दास को रिकार्ड 67,919 मतों के अंतर से हराया. बृजमोहन अग्रवाल अविभाजित मध्य प्रदेश में भी भाजपा सरकार में मंत्री का पद संभाल चुके हैं. मध्य प्रदेश विधानसभा द्वारा उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार भी प्रदान किया गया है.
बृजमोहन अग्रवाल का जन्म एक मई 1959 को रायपुर में हुआ था. कामर्स व आर्ट्स दोनों विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले बृजमोहन अग्रवाल ने एलएलबी की डिग्री भी ली है. अग्रवाल ने मात्र 16 साल की उम्र में ही 1977 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्यता ले ली थी. वर्ष 1981 और 1982 के दौरान वे छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे. 1984 में वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बने. 1988 से 1990 तक वे भाजयुमो के युवा मंत्री भी रहे. 1990 में वे पहली बार मध्यप्रदेश विधानसभा में विधायक चुनकर आए. वे राज्य के सबसे युवा एमएलए थे. इसके बाद से 1993, 1998, 2003, 2008, 2013, 2018 और 2023 में वे विधायक चुने गए.
लंबे राजनीतिक अनुभव के धनी केदार कश्यप
कद्दावार आदिवासी नेता और पूर्व सांसद स्व. बलीराम कश्यप के बेटे केदार कश्यप का जन्म पांच नवंबर 1974 को हुआ था. बस्तर के भानपुरी स्थित ग्राम फरसागुड़ा के रहने वाले केदार कश्यप भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे. बस्तर ब्लॉक में जनपद सदस्य रह चुके केदार कश्यप 2003 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए. 2008 में दूसरी एवं 2013 में तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए.
2003 में केदार कश्यप पहली बार विधायक निर्वाचित हुए. पहली बार विधायक निर्वाचित होने के साथ ही वे राज्य मंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के स्वतंत्र प्रभार में रहे. 2008 में विधायक निर्वाचित होने के बाद आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग छत्तीसगढ़ शासन के मंत्री रहे. 2013 में जीत हासिल करने के बाद मंत्री आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास, पिछडा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री बने.
दूसरी बार के विधायक लखनलाल देवांगन बने मंत्री
कोरबा विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक बने लखनलाल देवांगन पहली बार मंत्री बने हैं. कोरबा के कोहडिया में रहने वाले लखनलाल ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत पार्षद पद से की थी. वर्ष 2005 में पहली बार कोरबा नगर निगम के महापौर के रूप में चुने गए थे.
देवांगन ने 2013 चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बोधराम कंबर को हराकर कटघोरा से विधायक बने. इस दौरान डॉ. रमन सिंह की सरकार में संसदीय सचिव (राज्य मंत्री रैक) बने. वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में हार गए. इसके बाद वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में लखनलाल देवांगन कोरबा विधानसभा से चुनाव लड़ा और तीन बार के विधायक व राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल को परास्त किया.
रामविचार नेताम को फिर मिला मंत्री पद
छठवीं बार विधायक निर्वाचित हुए भाजपा के कद्दावर नेता रामविचार नेताम को विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है. रामविचार नेताम राज्यसभा के सदस्य और भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके है.
बलरामपुर के ग्राम सनावल निवासी रामविचार नेताम को पार्टी ने रामानुजगंज विधानसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतारा था. उन्होंने कांग्रेस के डा. अजय तिर्की को पराजित कर लगातार छठवीं बार विधायक बने हैं. केवल रामविचार नेताम ही नहीं, बल्कि उनका पूरा परिवार राजनीति में सक्रिय है. उनकी पुत्री निशा नेताम जिला पंचायत बलरामपुर की अध्यक्ष तथा धर्मपत्नी पुष्पा नेताम जिला पंचायत सदस्य है. पुष्पा नेताम अविभाजित सरगुजा जिला पंचायत की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं.
विधायक बनते ही लक्ष्मी को मिला मंत्री पद
सरगुजा संभाग और सूरजपुर जिले के भटगांव विधानसभा क्षेत्र से लक्ष्मी राजवाड़े पहली बार विधायक निर्वाचित हुई है, और अब वह मंत्री बनी हैं.
सूरजपुर जिले के भैयाथान विकासखंड अंतर्गत ग्राम वीरपुर की लक्ष्मी राजवाड़े पहली बार जनपद सदस्य के पद पर निर्वाचित हुई थीं. पिछले पंचायत चुनाव में उन्होंने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी जीता था. वर्तमान में जिला पंचायत सूरजपुर के सदस्य के अलावा वे भाजपा महिला मोर्चा सूरजपुर की जिला अध्यक्ष भी हैं.
भाजपा संगठन में आरंभ से ही सक्रिय लक्ष्मी राजवाड़े ने अपने पहले ही चुनाव में दो बार के विधायक कांग्रेस के पारसनाथ राजवाड़े को 43 हजार से अधिक मतों से पराजित किया है. लक्ष्मी राजवाड़े को संगठन में सक्रियता की वजह से पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था, और अब विधायक निर्वाचित होने के बाद मंत्री पद की बड़ी जबाबदारी दी जा रही है.
दूसरी बार के विधायक हैं श्याम बिहारी
विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल का हिस्सा बने श्याम बिहारी जायसवाल सरगुजा संभाग के मनेन्द्रगढ़ विधानसभा से दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं.
अविभाजित कोरिया जिले में भाजपा के बड़े चेहरे श्याम बिहारी जायसवाल पूर्व में जनपद पंचायत खड़गवां के अध्यक्ष भी रह चुके है. भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष रह चुके जायसवाल ने वर्ष 2013 के चुनाव में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे. 2018 के चुनाव में उन्हें कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. इस बार उन्होंने कांग्रेस के रमेश सिंह को पराजित कर पिछली हार का मलाल दूर कर दिया है. विपक्ष के समय भी पांच वर्षों तक भाजपा संगठन से जुड़कर कार्य करते रहे.
आइएएस के बाद अब मंत्री बने ओपी चौधरी
चुनाव प्रचार के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व आईएएस ओपी चौधरी को बड़ा आदमी बनाने का वादा किया था. विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल में स्थान मिलने के साथ शाह का वादा पूरा हो गया है.
2005 बैच के अधिकारी ओपी चौधरी केवल 22 साल में आइएएस बने और 36 साल की उम्र में 2018 में रायपुर कलेक्टर रहते हुए नौकरी छोड़ी थी. उसी साल भाजपा में प्रवेश कर खरसिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. दो जून 1981 को मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे ओपी के पिता दीनानाथ चौधरी एक शिक्षक थे. जब ओपी दूसरी कक्षा में पढ़ रहे थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था.
ओपी चौधरी ने अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा अपने पैतृक गांव ब्यांग से ही पूरी की. खपरैल के स्कूल में ओपी चौधरी ने पढ़ाई की. इसके बाद हायर सेकेंडरी की शिक्षा में पर्याप्त शिक्षक नहीं होने से ओपी चौधरी ने स्वयं ही अपनी पढ़ाई पूरी की. स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने भिलाई से बीएससी की. पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से गणित, भौतिकी और इलेक्ट्रानिक्स में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और फिर सिविल सर्विस की तैयारी में जुट गए. पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में उनका चयन हुआ.
- पूर्व मंत्री दयाल दास को फिर मौका
विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल का हिस्सा बने अनुसूचित जाति से जुड़े दयालदास बघेल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सरपंच के पद से की.
दयालदास बघेल वर्ष 2003 में वे नवागढ़ विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए. इसके बाद वर्ष 2008 एवं 2013 में भी विधायक चुने गए. वर्ष 2008 में अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष भी रहे. रमन सिंह सरकार में वाणिज्य, उद्योग, सहकारिता संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री रहे बघेल को वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
वर्ष 2023 में शानदार वापसी करते हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी गुरु रुद्र कुमार को पराजित किया. दयालदास बघेल का जन्म एक जुलाई 1954 को ग्राम कुंरा में हुआ. उनके दो पुत्र और चार पुत्रियां हैं.
शिक्षक से अब मंत्री होंगे टंकराम वर्मा
विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल का हिस्सा बने बलौदाबाजार से भाजपा विधायक टंकराम दर्मा ने एलएलबी किया है. टंकराम पिछले 30 वर्षों से सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय हैं. विधायक बनने से पहले वे बलौदा बाजार जिला ग्रामीण भाजपा अध्यक्ष थे. क्षेत्र में रामायण व भागवत कथा करवाने के नाम से टंकराम वर्मा को ख्याति मिली हुई है. कुर्मी समाज से आने वाले टंकराम वर्मा ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस प्रत्याशी शैलेश नितिन त्रिवेदी को 14 हजार से अधिक मतों से हराया है.