सीएम भूपेश बघेल ने कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले रविवार को महादेव घाट के खारून नदी तट पर पुण्य की डुबकी लगाई। सुबह में मुख्यमंत्री रायपुरा स्थित महादेवघाट पहुंचे और गुलाटी मारकर नदी में कूद गए।
रायपुर – कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले ही रविवार को मुख्यमंत्री ने महादेव घाट में पुण्य की डुबकी लगाई। सुबह मुख्यमंत्री पहुंचे और गुलाटी मारकर नदी में कूद गए। थोड़ी दूर तक तैरकर वापस आए। इसके बाद महादेव का पूजन दर्शन करके प्रदेश की सुख समृद्वि की कामना की। कुछ देर कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा की और फिर चले गए।
एक दिन पहले ही डुबकी लगाने का कारण यह बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री तेलंगाना के लिए रवाना हो रहे हैं, इसलिए एक दिन पहले ही पहुंच गए। इस दौरान पश्चिम विधानसभा के विधायक विकास उपाध्याय समेत अनेक जनप्रतिनिधि शामिल थे।
कार्तिक पूर्णिमा पर मेला, सज चुका महादेवघाट
खारुन नदी के महादेवघाट के किनारे पिछली छह सदी से कार्तिक पूर्णिमा पर भव्य मेले का आयोजन होता आ रहा है। इस साल 27 नवंबर को ब्रह्ममुहूर्त में नदी में स्नान और हटकेश्वर महादेव का पूजन, आरती के साथ मेले का शुभारंभ होगा। मेले को मात्र, एक दिन शेष होने से तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं। मंदिर के गुंबदों को विद्युत झालरों से सजाया गया है। जलाभिषेक करने के लिए गर्भगृह के बाहर ढलाननुमा जललहरी लगाई गई है, श्रद्धालु बाहर से ही इसमें जल अर्पित करेंगे। ढलान से होते हुए यह जल सीधे शिवलिंग पर गिरेगा।
लक्ष्मण झूला और नौका सजकर तैयार
घाट की सीढ़ियों, नदी के ऊपर लक्ष्मण झूला और नदी की बीच धारा में जाकर प्रकृति का नजारा देखने के लिए नौकाएं सजकर तैयार हैं। नौकाओं को आर्टिफिशियल फूल और बैटरी चलित विद्युत से सजाया गया है। कुछ नौकाओं में संगीत की व्यवस्था भी की गई है। नदी का नजारा मनमोहक दिखे, इसलिए दूर-दूर तक फैली जलकुंभी को बाहर निकाला गया है।
पुण्य की डुबकी लगाएंगे
कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने की मान्यता है। पापों से छुटकारा पाने और पुण्य में वृद्धि के लिए श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त में नदी में पुण्य की डुबकी लगाएंगे।
हटकेश्वरनाथ मंदिर के पुजारी पं. सुरेश गिरी गोस्वामी बताते हैं कि लगभग 600 साल पहले 1428 में राजा ब्रह्मदेव ने संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी होने पर हटकेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना की थी। छत्तीसग़ढ़ से सैकड़ों किलोमीटर दूर काशी, उज्जैन जाकर दर्शन पूजन करने में कई दिन लग जाते थे। राजा ने खारुन नदी के तट पर ही पूजन करके अपनी प्रजा को भोजन के लिए आमंत्रित किया। तबसे महादेवघाट स्थल छत्तीसगढ़ियों के लिए तीर्थ बन चुका है। इसे मिनी काशी, मिनी महाकाल के रूप में भी लोग पुकारने लगे हैं।
दो दिन चलेगा मेला
मेले का शुभारंभ 27 नवंबर को होगा। आसपास के गांवों से सपरिवार पहुंचने वाले घाट के किनारे ही तंबू लगाकर रात्रि में विश्राम करेंगे। अगले दिन 28 नवंबर को नदी में स्नान और महादेव का दर्शन, पूजन करके अपने गांव लौटेंगे। समापन वाले दिन को बुढ़वा परेवा मेला भी कहा जाता है।
शंकर-नारायण का अर्ध्यनारीश्वर रूप
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार भगवान शंकर व नारायण ने कार्तिक पूर्णिमा पर अर्ध्य-नारीश्वर का रूप धारण किया था। दो शक्ति को प्रसन्न करने के लिए पूर्णिमा की रात्रि में तुलसी की मंजरी, कमल पुष्प अर्पित कर जागरण करके उषा काल में पूजा की जाती है। हटकेश्वर मंदिर में 26 नवंबर को अभिषेक पूजा पश्चात श्रृंगार किया जाएगा। 27 नवंबर को सुबह विशेष अभिषेक पूजा, महाआरती के बाद मेले का विधिवत शुभारंभ होगा। ग्रामीणजन स्नान, ध्यान, महादेव का दर्शन लाभ लेने के साथ मेला घूमने का आनंद लेंगे।