नई दिल्ली – भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव की ‘पतंजलि आयुर्वेद’ को कड़ी फटकार लगाई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने चेतावनी देते हुए ‘पतंजलि आयुर्वेद’ से कहा है कि वह आधुनिक दवाओं और टीकों के खिलाफ कोई गलत दावा न करे।
‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (IMA) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि यदि पतंजलि द्वारा यह गलत दावा किया गया कि उसके प्रॉडक्ट कुछ बीमारियों को ठीक कर सकते हैं, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद को ऐसे सभी झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत रोकना होगा। पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसकी ओर से इस तरह के कैजुअल स्टेटमेंट नहीं दिए जाएं। इस मुद्दे को एलोपैथी बनाम आयुर्वेद की बहस न बनाने की हिदायत भी दी गई।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा कि वह भ्रामक मेडिकल विज्ञापनों से निपटने के लिए एक प्रस्ताव लेकर आए। दरअसल, अपनी याचिका में ‘आईएमए’ का कहना था कि पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित किए हैं, जो एलोपैथी को नीचा दिखाते हैं। साथ ही इनमें कुछ बीमारियों के इलाज को लेकर झूठे दावे किए गए हैं।
‘आईएमए’ द्वारा दायर याचिका के अनुसार, पतंजलि ने पिछले साल जुलाई में एक विज्ञापन जारी किया था जिसमें कहा गया था, ‘एलोपैथी को लेकर फार्मा और मेडिकल इंडस्ट्री द्वारा फैलाई जा रही भ्रांतियों से खुद को और देश को बचाएं। अब इस मामले में पांच फरवरी 2024 को अगली सुनवाई होगी।