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‘किसी भी हालत में कांग्रेस 75 पार सीट नहीं जीत सकती’टी एस सिंहदेव के बयान के बाद मचा बवाल

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रायपुर – चुनाव के तत्काल बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस में दो फाड़ होती नज़र आ रही है, और ये लड़ाई सीधे-सीधे CM पद की है। दरअसल चुनाव होते ही छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव ने बड़ा बयान देकर छत्तीसगढ़ की सियासत में भूचाल ला दिया है। उन्होंने कहा है कि ये उनका आखिरी चुनाव होगा, साथ ही उन्होंने सीएम पद को लेकर भी ऐसी बात कह दी है जिससे सियासी भूचाल आ गया है। वहीं, टीएस सिंहदेव ने आईबीसी 24 से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस का 75 पार का नारा असंभव है यानि कांग्रेस प्रदेश की 75 सीट पर नहीं जीत रही है।

छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव ने कहा कि ये उनका अंतिम चुनाव था और वो अब चुनाव नही लड़ेंगे। ये बयान तब आया है जब प्रदेश में चुनाव सम्पन्न हुए है और परिणाम भी नही आये हैं। आईबीसी 24 से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में टीएस ने कहा कि उनके समर्थक व चाहने वाले लोग ये चाहते है कि वो सीएम बने मगर सीएम कौन होगा ये हाईकमान तय करेगा। लेकिन अब वो अपने निर्णय से ये कह रहे हैं कि अब वो चुनाव नही लड़ेंगे। इतना ही नहीं टीएस सिंह देव ने ये भी कहा कि पार्टी की ओर से उन्हें जो जिम्मेदारी दी जाएगी उसका निर्वहन वो करते रहेंगे मगर चुनाव नही लड़ेंगे

बाबा के इस बयान से ये कयास भी लगाए जा रहे हैं कि क्या आलाकमान ने टीएस बाबा से सीएम पद को लेकर कोई वादा तो नहीं कर दिया है जिसके आधार पर महाराज इस प्रकार के बयान दे रहे हैं। सवाल ये भी है कि क्या मौजूदा सीएम भूपेश बघेल अपनी कुर्सी बाबा के लिए छोड़ने को तैयार होंगे? क्योंकि ढाई-ढाई साल के जिस फार्मुले की चर्चा कांग्रेस के पहले कार्यकाल में जब-जब चली, भूपेश खेमे के विधायकों ने दिल्ली दौरा कर शक्ति प्रदर्शन कर हर बार ये साबित करने की कोशिश की कि वादे अपनी जगह है और समर्थन अपनी जगह। पिछली बार तो बाबा इस पूरे मामले पर चुप रह गए। लेकिन इस बार वो इस मूड में नज़र नहीं आ रहे।

इसकी एक और वजह हो सकती है। और वो है बाबा की ढलती उम्र। टी एस सिंहदेव उम्र के जिस पायदान पर खड़े हैं, उनके लिए अगला चुनाव लड़ पाना वैसे भी मुश्किल ही लगता है। ऐसे में उनका ये बयान कि सीएम बनने का ये आखिरी मौका है, ये दर्शाता है कि बाबा अपने राजनैतिक करियर को राज्य के सर्वोच्च पद पर रहते हुए समाप्त करना चाहते हैं।

लेकिन इस पद तक पहुंचने के लिए उनके सामने अभी कई चुनौतियां बाकी है। सबसे पहली चुनौती तो चुनाव के नतीजे ही हैं। सीएम बनने का सपना तब ही पूरा हो सकेगा जब कांग्रेस राज्य की सत्ता में वापसी कर पाएगी। आपको बता दें कि 17 नवंबर को छत्तीसगढ़ के दोनों चरणों के चुनाव खत्म हो गए। अब 3 दिसंबर को जनता के फैसले की जानकारी नेताओं समेत छत्तीसगढ़ के सभी वासियों को मिलेगी। छत्तीसगढ़ में हुए चुनावों की बात कर ली जाए तो इस बार कुल 75.08% वोटिंग हुई जो पिछली बार की तुलना में 0.9% कम रही। 2018 में इन सीटों पर 75.17% वोटिंग हुई थी। इस बार सबसे कम वोटिंग 65.45% रायपुर में और सबसे ज्यादा खरसिया में 86.54 प्रतिशत मतदान हुआ है। बिंद्रानवागढ़ के नक्सल प्रभावित 9 बूथों पर 91% वोटिंग हुई है।

भाजपा ने इस पूरे मामले में तंज कसते हुए कहा है कि बाबा का ये बयान स्वाभाविक है कि वो सीएम नहीं बने तो चुनाव नहीं लड़ेंगे। क्योंकि वो ये जानते हैं कि इस बार राज्य में भाजपा की सरकार आ रही है। अब ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि छत्तीसगढ़ की जनता आखिर किसकी ताजपोशी करती है। और सीएम की इस रेस में कौन बाज़ी मारता है। वैसे आपको क्या लगता है। इस बार कांग्रेस के चुनाव जीतने पर किसे सीएम बनाया जाना चाहिए? टी एस बाबा या कका को? और क्यों।साभार