देवघर के ज्योतिषी ने बताया कि इस साल शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लगने जा रहा है. इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजन किया जाता है.
देवघर – हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है. साल भर में 12 पूर्णिमा आती हैं. आश्विन माह की पूर्णिमा को सबसे शुभ दिन माना जाता है. इसे शरद पूर्णिमा भी कहते हैं. मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा और कथा श्रवण करना विशेष फलदायी होता है. इससे सारी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं. आश्विन माह की पूर्णिमा अन्य सभी पूर्णिमा सें भी बिल्कुल अलग होती है, क्योंकि इस दिन चन्द्रमा अपनी सोलह कलाओ सें युक्त होता है. इस दिन खीर बनाकर आंगन में रखने की परम्परा है और सुबह स्नान कर उसे ग्रहण किया जाता है. इससे सारे रोग दोष समाप्त हो जाते हैं. आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य सें जानते हैं कि कब है शरद पूर्णिमा और इसका महत्व क्या है.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नन्दकिशोर मुदगल ने लोकल 18 को बताया कि इस साल आश्विन माह की पूर्णिमा का व्रत 28 अक्टूबर को रखा जाएगा. इस दिन रात्री में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन खीर बनाकर आंगन में रखी जाती है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा सें अमृत वर्षा होती है और उस खीर को ग्रहण करने सें सारे रोग ख़त्म हो जाते हैं, लेकिन इस साल शरद पूर्णिमा के दिन ही साल का आखरी चंद्रग्रहण भी लगने जा रहा है. तो वो खीर पूरी रात बाहर ना रखें, नहीं तो वो दूषित हो जाएगी.
शरद पूर्णिमा में आंगन में ऐसे रखें खीर
इस बार कई साल बाद शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लगने जा रहा है और इस दिन रात में खीर भी खुले आसमान में रखी जाती है, ताकि उसमें चन्द्रमा सें अमृत वर्षा हो सके, लेकिन इस साल खीर को पूरी रात बाहर ना रखें, इससे वह दूषित हो जाएगी. ग्रहण 28 अक्टूबर की रात 01 बजकर 05 मिनट में लगने जा रहा है और समाप्ति 02 बजकर 23 मिनट पर होगी. इसलिए ग्रहण समाप्त होने के बाद ही यानि 02 बजकर 23 मिनट के बाद खीर को खुले आसमान के नीचे रखें और सुबह स्नान कर ही ग्रहण करें, जो शुभ रहने वाला है.
कब सें कब तक है शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा की तिथि 28 अक्टूबर की सुबह 04 बजकर 17 मिनट से शुरू हो रही है और समापन 28 अक्टूबर की देर रात 03 बजकर 46 मिनट पर हो रहा है. इसलिए 28 अक्टूबर को ही शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा.
कब से कब तक रहेगा चंद्रग्रहण
इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को लगने जा रहा है. ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है. सूतक काल में पूजा पाठ वर्जित होता है. यानि चंद्र ग्रहण के दिन दोपहर 03 बजे सूतक काल लग जाएगा और ग्रहण की शुरुआत 28 अक्टूबर की रात 01 बजकर 05 मिनट होगी. जोकि रात के 02 बजकर 23 मिनट तक रहने वाला है.
शरद पूर्णिमा के दिन सूतक काल दोपहर 3:00 बजे लगने जा रहा है और सूतक काल लग जाने के बाद पूजा पाठ वर्जित रहता है. वहीं शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है और इस दिन चंद्र अर्ध्य भी दिया जाता है. ऐसे में उस दिन ना ही पूजा कर पाएंगे और ना ही अर्ध्य दे पाएंगे. माना जाता है कि माता लक्ष्मी भगवान विष्णु रात्रि में ही पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं. इसलिए ग्रहण समाप्ति के बाद ही माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पूजा आराधना करें. इससे सारे कष्ट समाप्त हो जाएंगे.