आम आदमी पार्टी को दिल्ली शराब घोटाले में आरोपी बनाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय PMLA की धारा 70 लागू करने पर विचार कर रहा है. ऐसे में चुनाव आयोग एक्शन ले सकता है. ये सब होने लगा तो अरविंद केजरीवाल आगे की लड़ाई कैसे लड़ेंगे. चाहे वो साथियों के लिए हो, पार्टी के लिए हो या फिर देश के लिए?
नई दिल्ली – अन्ना आंदोलन से निकली और नवंबर 2012 में गठित आम आदमी पार्टी ने बेहद कम समय में ही लोगों को आश्चर्यचकित करते हुए 10 अप्रैल 2023 को राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा हासिल कर लिया। इसके लिए अरविंद केजरीवाल के ‘राजनीतिक आदर्शों’ के साथ-साथ उनकी उन योजनाओं को श्रेय दिया जा सकता है जिसे उन्होंने लागू किया और जिनके बल पर पार्टी ने आम लोगों के दिलों में अपने लिए खास जगह बना ली, लेकिन इन योजनाओं की लोकप्रियता के बीच अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में एक ऐसी शराब नीति की घोषणा की, जिसके कारण आज न केवल उनके कई शीर्ष नेता जेल में बंद हैं, बल्कि माना जा रहा है कि इसकी आंच अरविंद केजरीवाल तक भी पहुंच सकती है। आम आदमी पार्टी पर यह खतरा कितना बड़ा है और क्या अरविंद केजरीवाल भी इस मामले में जेल जा सकते हैं, या आम आदमी पार्टी की मान्यता भी रद्द हो सकती है?
दिल्ली सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से दिल्ली का राजस्व बढ़ेगा। लेकिन आरोप लगाया जाता है कि कंपनियों को शराब का लाइसेंस देने में भारी घोटाला किया गया। शराब बिक्री पर व्यापारियों का कमीशन 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। भाजपा ने आरोप लगाया है कि इसमें से छः प्रतिशत कमीशन आम आदमी पार्टी को देना तय किया गया था। उसका आरोप यह भी है कि शराब नीति में भारी काली कमाई की गई जिसे पंजाब-गोवा के विधानसभा चुनावों में खर्च किया गया।