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अकाल, सड़क, पुल पुलिया, सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने की मांग को लेकर तीन दिनों तक पदयात्रा किया जायेगा – लोकेश्वरी नेताम

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आदिवासी विकास परिषद एवं संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा क्षेत्रीय समस्याओं को लेकर आंदोलन की तैयारी

गरियाबंद – पूरा गरियाबंद जिला अकाल के चपेट में है सही समय पर बारिश नही होने के कारण किसानो के धान के फसल पूरी तरह बर्बाद हो गया है और क्षेत्र में दर्जनो सिंचाई परियोजनाएं वर्षो से अधुरा पड़ा हुआ है यदि सिंचाई परियोजनाएं पूर्ण हो जाते तो क्षेत्र के किसानो को यह दिन नही देखना पड़ता किसानो को तत्काल राहत राशि देने और क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए 01 अक्टूबर से 03 अक्टूबर तक विशाल पदयात्रा एवं आमसभा का आयोजन किया गया है।उक्त बाते जिला पंचायत गरियाबंद के सभापति एवं आदिवासी विकास परिषद व संयुक्त किसान मोर्चा के महिला प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष श्रीमति लोकेश्वरी नेताम ने पत्रकारो से चर्चा करते हुए कही।

श्रीमति नेताम ने आगे कहा गरियाबंद जिला अकाल की चपेट में इसमें सबसे ज्यादा मैनपुर और देवभोग विकासखण्ड प्रभावित है सलफ जलाशय व कई सिंचाई परियोजना अधुरा पड़ा हुआ है क्षेत्र में सड़को की स्थिति बेहद खराब है नदी नालो में पुल निर्माण नही हुआ है, प्रदेश ही नही पूरे देश में आदिवासियों की हालत बेहद खराब होती जा रही है लगातार आदिवासी शोषण, हत्या, लूट, बलात्कार, बेदखली, धर्मांतरण, विस्थापन, फर्जी मुकदमा से परेशान है आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, समाजिक रूप से हमला हो रहा हे संवैधानिक अधिकारो के साथ छेड़छाड़ कर कमजोर किया जा रहा है समान नागरिक सहिंता यूसीसी कानून लाकर आदिवासियो को दिये गये कानूनी अधिकार जैसे आरक्षण, 5वीं अनुसूची 244ए, 6वीं अनुसूची पेशा एक्ट, आदिवासियो की परंपरा रीति रिवाज रूढ़ी प्रथा, संस्कृति, कानूनी अधिकार को समाप्त करने की साजिश रचा जा रहा है इस सभी मांगो को लेकर आदिवासी विकास परिषद एवं संयुक्त किसान मोर्चा गरियाबंद द्वारा विशाल पदयात्रा किया जायेगा।

श्रीमति नेताम ने बताया 01 अक्टूबर को झाखरपारा व देवभोग, 02 अक्टूबर को मैनपुर नवागढ़, जोबा एवं 03 अक्टूबर को गरियाबंद जिला मुख्यालय में विशाल पदयात्रा आमसभा का आयोजन किया गया है साथ ही क्षेत्र की जनता को हाफ बिजली बिल कह कर धोखा दिया जा रहा है, चपरासी नियुक्ति में भारी भ्रष्टाचार व क्षेत्रीय समस्याओं को भी शामिल किया गया है। इस मौके पर प्रमुख रूप से उमेंदी कोमर्रा, गजेन्द्र पुजारी, हेमंत मरकाम, हरिसिंग गौटिया, परमानंद, राजेन्द्र मरकाम, नरेन्द्र ध्रुव, महेन्द्र नेताम आदि उपस्थित थे।